नर्मदापुरम। जिले में आई फ्लू के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. संक्रमण बढ़ने से आए दिन उनकी संख्या भी बढ़ रही है. आई फ्लू से ग्रामीण और शहरी लोग परेशान देखे जा रहे हैं. वायरल आई फ्लू से पीड़ित सैकड़ों मरीज नेत्र विशेषज्ञों के पास परामर्श एवं उपचार हेतु पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने मध्यप्रदेश में आंखों के संक्रमण के संबंध में सभी मुख्य चिकित्सक और स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र जारी किया है. इसमें आई फ्लू से बचने और इसके लक्षण के बारे में जानकारी दी है.
हवा के जरिए एक दूसरे में फैलता है संक्रमण: शहर के प्रसिद्ध वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सर्जन डॉ आरबी अग्रवाल ने बताया कि ''आई फ्लू के मुख्य लक्षण आंखों में सूजन आ जाना, लाल हो जाना, आंखों से पानी बहना के साथ-साथ सिर दर्द के साथ बुखार हैं.'' डॉ आरके अग्रवाल ने बताया कि ''आई फ्लू में बैक्टीरिया का इंफेक्शन हो गया तो आंखों में कीचड़ भी आ सकता है. यह संक्रमण हवा के जरिए एक दूसरे में फैलता है. बरसात के मौसम में गर्मी एवं उमस के कारण नेत्र रोग बहुत तेजी से फैल रहा है.''
आई फ्लू या कंजेक्टिवाइटिस या पिंक आई क्या है? बारिश के मौसम में कंजंक्टिवाइटिस नामक बीमारी बहुत तेजी से फैलती है. इसे आम भाषा में आंख आना भी कहते हैं. आई फ्लू एक बेहद संक्रामक नेत्र रोग है. आई फ्लू बरसात के समय एडिनोवायरस टाइप 8 व19 अथवा स्टेफाइलोंकोकस, हिमोफिलस इनफ्लुएंजा आदिअथवा जीवाणुओं संक्रमण से होता है. शुरूआत मे आई फ्लू नामक इंफेक्शन एक आंख में होता है पर सावधानी न बरतने पर यह दूसरी आंख में भी हो जाता है. पहले आंख लाल होना शुरू होती है और कुछ घंटों में ही जलन चुभन पलकों में सूजन होने लगती है. संपर्क में आने पर आई फ्लू बहुत तेजी से फैलता है.
जिस आंख में संक्रमण हो उसे नीचे रखकर करवट सोएं: आई फ्लू से पीड़ित रोगी की आंख में दवा डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि दवा के आगे वाला भाग रोगी की आंख व उंगलियों को स्पर्श न करें. दवा डालने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन से अवश्य धो लें. आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति आंखों को साफ करने के लिए स्टराइल आई Wipes का उपयोग कर सकते हैं. आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति अपना चश्मा तोलिया रुमाल तकिया आदि अलग रखें.