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संकट में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी, तीन माह में 25 फीसदी बढ़ा नर्मदा में प्रदूषण - mp news

नर्मदा नदी में जल प्रदूषण पिछले 3 माह में 25 फीसदी तक बढ़ा है. इसका खुलासा नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने अलग-अलग घाटों से पानी का सैंपल लेकर जांच के बाद किया है.

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Published : Jun 28, 2019, 11:10 PM IST

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश की लाइफ लाइन मानी जाने वाली नर्मदा नदी का भौतिक और पौराणिक महत्व है, इसे प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है क्योंकि ये प्रदेश को जीवन देती आ रही है, लेकिन जीवनदायिनी मां नर्मदा को भी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है. नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के मुताबिक बीते 3 माह में नर्मदा के प्रदूषण में 25 फीसदी तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
नर्मदा नदी का जल अब आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. दिन-ब-दिन नर्मदा के तटों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है, इसके बावजूद वहां पहुंचने वाले कम ही लोग नर्मदा के जल से आचमन करना पसंद करते हैं. अधिकांश तट पर खड़े होकर नर्मदा के जल को हाथ में लेकर नमन कर लेते हैं.
नर्मदा नदी में जल प्रदूषण पिछले 3 माह में 25 फीसदी तक बढ़ा है, नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने अलग-अलग घाटों से पानी का सैंपल लेकर जांच के बाद ये बताया है. केमिस्ट्री विभाग ने बारिश से पहले होशंगाबाद जिले के आसपास अलग-अलग जगह से सैंपल लिया था, जिसके बाद ये जानकारी लगी कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है.

संकट में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी
केमिस्ट्री विभाग की जांच में पता चला -
  • नर्मदा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है, जोकि जलीय जीवों के लिये हानिकारक है.
  • जल में घुली ऑक्सीजन 6 पॉइंट होती है, वह 4.5 से 5.4 पर पहुंच गई है.
  • जल सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि सामान्यतः 400 से 800 होता है, वह 4 हजार से 5 हजार तक पहुंच गई है.
  • बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि 200 से 400 होनी चाहिये है, वह 600 से 800 पहुंच गया है.
  • जलीय जीवों के लिए जरूरी फैकल कॉलीफॉर्म जिसकी मात्रा एक लाख के करीब होनी चाहिये, वह नर्मदा जल में 25 लाख से ऊपर चली गई है.
  • फैकल कॉलीफॉर्म की बढ़ती मात्रा जलीय जीव के जीवन पर संकट खड़ा कर रही है.

पीने लायक नहीं पानी
नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने नर्मदा नदी के छह अलग-अलग क्षेत्रों से जल का सैंपल इकट्ठा किया है, उसी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 माह नर्मदा का पानी A कैटगरी से B कैटेगरी में पहुंच गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार जिस स्थिति में पानी रहता है. 3 माह पानी का प्रदूषण 25 फीसदी बढ़ा है जोकि चिंताजनक है.

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश की लाइफ लाइन मानी जाने वाली नर्मदा नदी का भौतिक और पौराणिक महत्व है, इसे प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है क्योंकि ये प्रदेश को जीवन देती आ रही है, लेकिन जीवनदायिनी मां नर्मदा को भी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है. नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के मुताबिक बीते 3 माह में नर्मदा के प्रदूषण में 25 फीसदी तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
नर्मदा नदी का जल अब आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. दिन-ब-दिन नर्मदा के तटों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है, इसके बावजूद वहां पहुंचने वाले कम ही लोग नर्मदा के जल से आचमन करना पसंद करते हैं. अधिकांश तट पर खड़े होकर नर्मदा के जल को हाथ में लेकर नमन कर लेते हैं.
नर्मदा नदी में जल प्रदूषण पिछले 3 माह में 25 फीसदी तक बढ़ा है, नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने अलग-अलग घाटों से पानी का सैंपल लेकर जांच के बाद ये बताया है. केमिस्ट्री विभाग ने बारिश से पहले होशंगाबाद जिले के आसपास अलग-अलग जगह से सैंपल लिया था, जिसके बाद ये जानकारी लगी कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है.

संकट में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी
केमिस्ट्री विभाग की जांच में पता चला -
  • नर्मदा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है, जोकि जलीय जीवों के लिये हानिकारक है.
  • जल में घुली ऑक्सीजन 6 पॉइंट होती है, वह 4.5 से 5.4 पर पहुंच गई है.
  • जल सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि सामान्यतः 400 से 800 होता है, वह 4 हजार से 5 हजार तक पहुंच गई है.
  • बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि 200 से 400 होनी चाहिये है, वह 600 से 800 पहुंच गया है.
  • जलीय जीवों के लिए जरूरी फैकल कॉलीफॉर्म जिसकी मात्रा एक लाख के करीब होनी चाहिये, वह नर्मदा जल में 25 लाख से ऊपर चली गई है.
  • फैकल कॉलीफॉर्म की बढ़ती मात्रा जलीय जीव के जीवन पर संकट खड़ा कर रही है.

पीने लायक नहीं पानी
नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने नर्मदा नदी के छह अलग-अलग क्षेत्रों से जल का सैंपल इकट्ठा किया है, उसी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 माह नर्मदा का पानी A कैटगरी से B कैटेगरी में पहुंच गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार जिस स्थिति में पानी रहता है. 3 माह पानी का प्रदूषण 25 फीसदी बढ़ा है जोकि चिंताजनक है.

Intro:होशंगाबाद। वेदों पुराणों में कहा गया है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है लेकिन कलयुग में नर्मदा नदी खुद के प्रदूषण रूपी पाप को दूर नहीं कर पा रही है और अपनी दुर्दशा पारी रो रही है अब नर्मदा नदी का जल अब आचमन करने लायक भी नहीं बचा है। मानवता के प्रति लोगों की श्रद्धा किसी से छुपी नहीं है दिनोंदिन गडर नर्मदा तटों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है उसके बावजूद फ्टू पर पहुंचने वाले कम ही लोग नर्मदा जल से आचमन करना पसंद करते हैं अधिकांश तट पर खड़े होकर हाथ में लेकर नर्मदा जल हाथ में लेकर नमन कर लेते हैं




Body:नर्मदा नदी का प्रदूषण पिछले 3 माह में 25% वृद्धि हो गई है नदी का जल आचमन के लायक भी नहीं बच सका है इसका खुलासा नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के द्वारा अलग अलग घाटों से जल का सैंपल लेकर जांच के बाद हुआ है केमिस्ट्री विभाग में बारिश से पहले होशंगाबाद जिले के आसपास अलग-अलग जगह से सैंपल लिये गया है जिसके अनुसार जल मे ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है जोकि जलीय जीव के लिए भी हानिकारक है रिपोर्ट के अनुसार जल सीओडी( केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) जो कि सामान्य 400 से 800 होता है वह 4000 से 5000 तक पहुंच गई है वही बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) जो कि 200 से 400 होती है वह 600 से 800 पहुंच गया है जल खुली ऑक्सीजन जोकि 6 पॉइंट होती है वह 4.5 से 5.4 पर पहुंच गई है जो कि नदी में रहने वाले जीवो के लिए संकट खड़ा कर रही है। नर्मदा नदी के जलीय जीवों के लिए आवश्यक फैकल कॉलीफॉर्म जिसकी मात्रा 1 लाख के करीब होती है वह नर्मदा नदी में 25 लाख से ऊपर चली गई है जो कि जलीय जीव के जीवन पर संकट खड़ा कर रही है


Conclusion:नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने छह अलग-अलग क्षेत्रों से जल का सैंपल इकट्ठा किया है उसी के आधार पर यह रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट तैयार की है उसके अनुसार पिछले 3 माह में ए कैटगरी से बी कैटेगरी में आ गया है जिस स्थिति में जल वैज्ञानिकों के अनुसार पीने लायक नहीं रहता है इस जल में 3 माह के अंदर 25% अधिक प्रदूषण की मात्रा बड़ी है जोकि चिंता का विषय है ।
byte ओ एन चौबे( केमिस्ट्री विभाग प्रमुख )
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