होशंगाबाद। नेशनल हाईवे- 69 पर नागपुर-भोपाल को जोड़ने वाला एक मात्र नर्मदा ब्रिज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. ब्रिज की रिपेयरिंग में भ्रष्टाचार किस कदर किया गया है, ये पहली ही बारिश से साफ हो गया. सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, जिसकी वजह से पहली ही बारिश में सड़क बह गई. सैकड़ों गड्ढे पुल पर नजर आने लगे हैं. ऐसे में इस ब्रिज पर रोजाना आने जाने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नर्मदा ब्रिज पर गहरे गड्ढे हो गए हैं, जिससे कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इससे पहले नर्मदा ब्रिज की रिपेयरिंग करने के लिए 5 माह के लिए ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया था. जिसके बाद लोगों को लगा था कि, ब्रिज की रिपेयरिंग से आवगमन में आसानी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तकरीबन 1 साल पूरा होने से पहले ही बारिश में ब्रिज पुरानी स्थिति में पहुंच गया है. ब्रिज पार करने में दो पहिया वाहन चालकों को हमेशा डर सताता रहता है. कहीं गड्ढा बचाने के चक्कर में हादसा ना हो जाए. रोजाना करीब पांच हजार वाहन यहां से निकलते हैं.
5 माह के लिए डायवर्ट किया गया था ट्रैफिक
1 साल पहले तकरीबन 5 माह के लिए ब्रिज की रिपेयरिंग के लिए भारी वाहनों को डायवर्ट किया गया था. हालांकि एक तरफ से छोटे वाहनों को निकाला जा रहा था. जिसके लिए यातायात विभाग ने बड़ी संख्या में जवानों को 5 माह तक तैनात किया था. जहां से सिग्नल के माध्यम से वाहनों को छोड़ा जा रहा था. एक साल में ही पुल डामरीकरण उखड़ गया है, ऐसे में यातायात डीएसपी आरसी गुप्ता द्वारा संभागीय मैनेजर एमपीआरडीसी को पत्र लिखकर रिपेयरिंग कराने सहित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.
डेढ़ करोड़ की लागत से हुई थी मरम्मत
पुल की रिपेयरिंग का काम भोपाल की सांवरिया कंस्ट्रक्शन कंपनी ने एक करोड़ 54 लाख रुपए में किया था. पुल के कमजोर हो चुके 64 एक्सपेंशन जॉइंट को सुधारा गया था. साथ ही सड़क की मरम्मत भी की गई थी. एक्सपेंशन ज्वाइंट 52 सालों से नहीं सुधरे थे. इनकी जगह एडवांस एक्सपेंशन ज्वाइंट लगाए गए. ब्रिज और उसकी सड़क की मरम्मत तो करा दी गई, लेकिन रेलिंग अभी भी जगह-जगह से टूटी हुई है. ठेका कंपनी को नई रेलिंग लगानी थी, जो कि अभी तक नहीं लग सकी है.
53 साल पहले हुआ था पुल का निर्माण
नर्मदा ब्रिज का निर्माण 53 साल पहले 1967 में किया गया था, जो कि उस समय लोक निर्माण विभाग के पास था. जिसके बाद इसे ब्रिज कारपोरेशन को हैंड ओवर कर दिया गया. अब मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम इसकी देखरेख कर रहा है. ब्रिज का निर्माण करीब 100 साल के लिए किया गया था, देखा जाए तो अभी ब्रिज की उम्र महज 53 साल हुई है. ब्रिज 47 साल तक और रहेगा. इसके बाद ही इसे आउटडेटेड किया जाएगा. ऐसे में मरम्मत में ही भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है.