नर्मदापुरम। जिले के पचमढ़ी में सतपुड़ा के जंगलों में लगने वाले नागद्वारी मेले की शुरुआत हो चुकी है. हर साल लगने वाला ये मेला सतपुड़ा के जंगल के बीचो-बीच स्थित नाग मंदिर पर लगता है, जहां जाने का रास्ता साल में एक बार ही खुलता है. यहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु इस प्रसिद्ध स्थान को प्रदेश के अमरनाथ के नाम से भी जानते हैं.(Nagdwari Yatra 2022)
साल में एक बार खुलता है मंदिर: प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी से होकर जाने वाले पवित्र स्थान नागद्वारी मेला हर साल भराता है, पिछले साल कोविड़ के चलते इस मेले को निरस्त किया गया था. फिलहाल इस बार इस मेले में प्रदेश सहित महाराष्ट्र के लाखों श्रद्धालु यहां नागपंचमी के दौरान दर्शन करने पहुंचने की संभावना हैं. हर साल सावन में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है, यह स्थान सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होने के कारण यहां प्रवेश वर्जित होता है. रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है. प्रतिवर्ष इस मेले में भाग लेने के लिए लोग जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल यात्रा चलकर पहुंचते हैं, सावन में नागपंचमी के पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु, खासतौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों का आना यहां आना शुरू हो जाता है.
नागदेव की कई मूर्तियां है यहां: दुर्गम स्थानों से पहुंचते हुए श्रद्धालु यहां नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा में पहुंचते हैं, यह गुफा 100 फीट लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं,
स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है, स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं. यहां की मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इस नागद्वारी जाने की यात्रा के दौरान रास्ते में आपका कई जहरीले सांपों से भी सामना हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक यह सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं तो 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं. नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है.
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कई वर्षो से लग रहा है मेला: नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को के सैकड़ों वर्ष होए गए हैं, लोग अपनी कई पीढ़ियों से इस मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. इस बार मेले का आयोजन 23 जुलाई से शुरू हुआ है, जो 3 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान भक्त गुफा में विराजमान नाग देवता के दर्शन करेंगे. नागद्वार मंदिर की यात्रा श्रद्धालु सुबह से ही शुरू करते हैं, जिससे शाम तक गुफा तक पहुंचा जा सके.
प्रदेश के अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है: बाबा अमरनाथ और नागद्वारी की यात्रा सावन मास में ही होती है, बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए ऊंचे हिमालयों से होकर दुर्गम रास्तों से होकर करना होता है. वहीं जिले में नागद्वारी की यात्रा भी सतपुड़ा पर्वत की घनी व ऊंची पहाडियों में सर्पाकार पगडंडियों से पूरी करना होता है. मान्यता है कि पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है, नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं भी श्रद्धालुओं की पूरी होती हैं. दोनों ही यात्राओं में भोले के भक्तों को धर्म लाभ के साथ ही प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं, इसी के चलते इसे प्रदेश की अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है.