नर्मदापुरम/सिंगरौली। मध्यप्रदेश में पहली बार पुलिस ने आरोपियों की संपत्ति फ्रीजिंग की कार्रवाई की है. ये कार्रवाई नर्मदापुरम जिले के पिपरिया तहसील में की गई है. मंगलवारा थाना पिपरिया पुलिस ने गांजे के आरोपियों के संपत्ति पर हुई कार्रवाई की जानकारी प्रेस वार्ता कर दी. टीआई उमेश तिवारी ने बताया कि, "गांजा बेचने और खरीदने वाले आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम 1988 की धारा के तहत यह कारवाई की है. आरोपियों के परिवार की अर्जित संपत्ति फ्रीजिंग करने की कार्रवाई की है."
आरोपियों के संपत्ति फ्रिजिंग की कार्रवाई: पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि, "आरोपी अब अपनी 5 करोड़ रुपए तक की संपत्ति नहीं बेच पाएंगे." मंगलवारा थाना प्रभारी पिपरिया के उमेश तिवारी ने बताया कि, आकाश बाथरे, रघुवीर ठाकुर (26), नितेश ठाकुर (30), खेत सिंह (31) को सीहोर के ग्राम खापरखेड़ा रोड से पुलिस ने 23 सितंबर 2022 को बिना नंबर की सिल्वर रंग की आर्टिका कार से 250 किलो 100 ग्राम मादक पदार्थ गांजा के साथ पकड़ा था. इसके बाद चारों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी. चारों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कई वर्षों से मादक पदार्थ का व्यापार करने और कई संपत्तियां अर्जित करने की जानकारी दी थी. पुलिस ने चारों पर सख्त कार्रवाई करते हुए संपत्ति फ्रीजिंग की कार्रवाई की है.
एमपी पुलिस की संपत्ति फ्रिजिंग की पहली कार्रवाई: टीआई उमेश तिवारी ने बताया कि, एसपी से निर्देश मिलने के बाद आरोपियों के संबंध में आर्थिक विवेचना की गई. यह व्यावसायिक मात्रा का गांजा था. इस संबंध में थाना पिपरिया ने आर्थिक विवेचना करते हुए चारों आरोपियों और उनके परिजनों की संपत्ति को सर्च किया. इसके बाद इसका प्रतिवेदन बनाकर मुंबई भेजा, जिसकी प्रोसेस हुई फाइल मिली. इसके बाद फ्रीजिंग ऑर्डर प्राप्त हुआ. इसमें से 3 आरोपी और परिजन की संपत्ति को फ्रिज करने का आर्डर प्राप्त हुआ. यह करीब 4 से 5 करोड़ की संपत्ति है, जिसमें मकान, प्लॉट और वाहन है. इसमें आर्थिक विवेचना की जाती है. एनसीपी इस प्रकार की कारवाई करती रहती है, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस की यह पहली कार्रवाई है.
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कोल माइंस के विस्थापितों का प्रदर्शन: सिंगरौली कोल माइंस मझौली के विस्थापितों द्वारा गुरुवार चौथे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा. श्रमिक कल्याण संघ के बैनर तले जेपी कोल माइंस मझौली के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया गया. उनका कहना है कि, जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन लगातार विकास यात्रा में जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर मौजूद समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा, जिन विस्थापितों को जेपी कोल माइंस में नौकरी मिली थी वो भी कॉन्ट्रैक्ट के अंडर में काम कर रहे हैं. उनका पेमेंट 8 हजार से लेकर 14 हजार के अंदर ही है. उन्होंने कहा, अगर कोई भी विस्थापित अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाता है तो उनके ऊपर रजनीश के तौर पर नटवर मिश्रा के द्वारा मुकदमा कायम कराकर कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.