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MP Narmadapuram बाघ के शिकार मामले में 28 लोगों को 5-5 साल की जेल व 10-10 हजार रुपए जुर्माना - नर्मदापुरम जिले के वन परिक्षेत्र बाघ शिकार

नर्मदापुरम जिले के वन परिक्षेत्र में साल 2015 में टाइगर का शिकार करने के मामले (Tiger hunting case) में 28 आरोपियों को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है. मध्य प्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स के अधिकारियों द्वारा मामले की विवेचना की गई थी. इसके बाद जिला न्यायालाय ने कुल 28 लोगो को सजा के साथ ही 10-10 हजार रुपए का जुर्माने भी ठोका. कोर्ट ने तीन दिन पहले ये फैसला सुनाया.

jail and fine to 28 people in tiger hunting case
बाघ के शिकार मामले में 28 लोगों को जेल व जुर्माना
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Published : Dec 23, 2022, 7:27 PM IST

नर्मदापुरम। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा के अनुसार 13 जुलाई 2015 को घटनास्थल सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के शासकीय जंगल कोर क्षेत्र में महावत मनीराम एवं गन्नूलाल ने गश्ती के दौरान 8-10 लोगों को अवैध रूप से प्रवेश करते हुए देखा. इसकी सूचना उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी. मौके पर आरोपियों का पीछा किया गया, परंतु वे जंगल में भाग गये. टीम ने आरोपियों के पदचिह्नों का पीछा किया. घटनास्थल की तलाशी लेने पर वन्य प्राणी पैंगोलिन की खोपड़ियां, चाकू एवं अन्य सामग्री बरामद की गई.

टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने की थी जांच : टाइगर स्ट्राइक फोर्स के अधिकारियों द्वारा विवेचना के दौरान आरोपियों से बाघ की एक खाल जब्त की गई. इसके बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. रितु वर्मा कटारिया मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तीन दिन पहले इस पर फैसला सुनाया.

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इन लोगों को हुई सजा : आरोपी श्रीवास, सखाराम, परेश, श्यामजी, सुम्मी, सुरेश, रामचरण, उमत, छोटेवीर, रामपाल, शेख चाउस, शेख युनुस, पन्नालाल, विस्तु, सीताराम, रामकिशोर, नियालाल, गन्ना, रमेश, स्नोर, हरिदास, झूलन, मोहम्मद शमीम व अन्य को धारा 27/51, 21/51, 9/51सी, 43, 44, 49, 49/51(क), 51(1)क वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया. प्रकरण में शासन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरुण कुमार पठारिया ने पैरवी की.

नर्मदापुरम। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा के अनुसार 13 जुलाई 2015 को घटनास्थल सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के शासकीय जंगल कोर क्षेत्र में महावत मनीराम एवं गन्नूलाल ने गश्ती के दौरान 8-10 लोगों को अवैध रूप से प्रवेश करते हुए देखा. इसकी सूचना उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी. मौके पर आरोपियों का पीछा किया गया, परंतु वे जंगल में भाग गये. टीम ने आरोपियों के पदचिह्नों का पीछा किया. घटनास्थल की तलाशी लेने पर वन्य प्राणी पैंगोलिन की खोपड़ियां, चाकू एवं अन्य सामग्री बरामद की गई.

टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने की थी जांच : टाइगर स्ट्राइक फोर्स के अधिकारियों द्वारा विवेचना के दौरान आरोपियों से बाघ की एक खाल जब्त की गई. इसके बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. रितु वर्मा कटारिया मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तीन दिन पहले इस पर फैसला सुनाया.

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इन लोगों को हुई सजा : आरोपी श्रीवास, सखाराम, परेश, श्यामजी, सुम्मी, सुरेश, रामचरण, उमत, छोटेवीर, रामपाल, शेख चाउस, शेख युनुस, पन्नालाल, विस्तु, सीताराम, रामकिशोर, नियालाल, गन्ना, रमेश, स्नोर, हरिदास, झूलन, मोहम्मद शमीम व अन्य को धारा 27/51, 21/51, 9/51सी, 43, 44, 49, 49/51(क), 51(1)क वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया. प्रकरण में शासन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरुण कुमार पठारिया ने पैरवी की.

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