जबलपुर। जांच में दोषी पाये जाने के बावजूद आईएफएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया था जांच में दोषी पाये जाने के बावजूद भी डीपीसी ने प्रमोशन भी प्रदान कर दिया. हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने सरकार को इस मामले में जवाब पेश करने समय प्रदान किया है. याचिका पर अगली सुनवाई 1 मार्च को निर्धारित की गई है.
फर्जी कंपनी से की खरीदी : डिप्टी कंजरर्वेटर फॉरेस्ट के पद से सेवानिवृत्त मधुकर चतुर्वेदी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में रायसेन जिले में डीएफओ के पद पर पदस्थ अजय पांडे को विभागीय जांच में दोषी पाया गया था. अजय पांडे ने होशंगाबाद में पदस्थापना के दौरान बिना टेंडर के बीज व पौधों की खरीदी फर्जी कम्पनी के माध्यम से की थी. बीज व पौधों की खरीदी सिर्फ कागज में हुई थी. विभागीय जांच में उन्हें दोषी पाया गया था. याचिका में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट दो साल पूर्व की है. इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. डीपीसी के माध्यम से उन्हें प्रमोशन दे दिया गया.
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सरकार को जवाब देने का समय मिला : याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने पैरवी की. बता दें कि होशंगाबाद में ये मामला काफी गर्माया था. उन्होंने मनमाने तरीके से खरीदी की थी. इस मामले में भ्रष्टाचार होने की आशंका विभाग के कर्मचारी लगातार व्यक्त करते रहे हैं. जांच होने पर उन्हें दोषी ठहराया गया था. लेकिन अपनी ऊंची पहुंच के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. अब ये मामला हाईकोर्ट में चल रहा है.