होशंगाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 30 नवंबर 1933 को रेल यात्रा कर वर्धा से इटारसी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, इस दौरान महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन के सामने बनी सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला में एक रात रुके थे, धर्मशाला में आज भी उनके द्वारा इटारसी रुकने के संस्मरण के बारे में महात्मा गांधी के द्वारा स्वयं लिखित पत्र की फोटो आज भी धर्मशाला परिसर में लगी हुई है.
महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है, तो इसकी प्रशंसा उन्होंने धर्मशाला के रजिस्टर में की थी. महात्मा गांधी यहां एक रात रूके थे, जब वे इटारसी पहुंचे, तो यहां पर एक सभा भी की थी जिसमें, काफी लोग शामिल हुए थे. होशंगाबाद जिले की इटारसी में जिस धर्मशाला में वे रुके हुए थे, आज भी वहां उनके हाथों से लिखा पत्र धर्मशाला में फ्रेम कर लगाया हुआ है. धर्मशाला में महात्मा गांधी के अलावा 22 अप्रैल 1935 में पंडित जवाहरलाल नेहरू नागपुर जाते समय नरेन्द्र देव के साथ व 14 अगस्त 1935 में राजेंद्र प्रसाद वर्धा से प्रयाग जाते समय मथुरा प्रसाद, चंद्रधर शरण के साथ दो तीन घंटे के लिए धर्मशाला में रुके थे.