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इटारसी की इस धर्मशाला में ठहरे थे महात्मा गांधी, फीडबैक रजिस्टर में लिखा था ये संदेश - गांधी जयंती खास

महात्मा गांधी की यादों को इटारसी की एक धर्मशाला में संजोकर रखा गया है, वर्धा जाने के दौरान बापू सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला में एक रात ठहरे थे, जब उन्हें पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजनों को भी रुकने की सुविधा है तो वे बहुत खुश हुए थे.

सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला
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Published : Sep 27, 2019, 4:53 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 5:37 PM IST

होशंगाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 30 नवंबर 1933 को रेल यात्रा कर वर्धा से इटारसी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, इस दौरान महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन के सामने बनी सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला में एक रात रुके थे, धर्मशाला में आज भी उनके द्वारा इटारसी रुकने के संस्मरण के बारे में महात्मा गांधी के द्वारा स्वयं लिखित पत्र की फोटो आज भी धर्मशाला परिसर में लगी हुई है.

धर्मशाला से जुड़ी बापू की याद


महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है, तो इसकी प्रशंसा उन्होंने धर्मशाला के रजिस्टर में की थी. महात्मा गांधी यहां एक रात रूके थे, जब वे इटारसी पहुंचे, तो यहां पर एक सभा भी की थी जिसमें, काफी लोग शामिल हुए थे. होशंगाबाद जिले की इटारसी में जिस धर्मशाला में वे रुके हुए थे, आज भी वहां उनके हाथों से लिखा पत्र धर्मशाला में फ्रेम कर लगाया हुआ है. धर्मशाला में महात्मा गांधी के अलावा 22 अप्रैल 1935 में पंडित जवाहरलाल नेहरू नागपुर जाते समय नरेन्द्र देव के साथ व 14 अगस्त 1935 में राजेंद्र प्रसाद वर्धा से प्रयाग जाते समय मथुरा प्रसाद, चंद्रधर शरण के साथ दो तीन घंटे के लिए धर्मशाला में रुके थे.

Gandhi stayed in Itarsis Dharamshala
धर्मशाला से जुड़ी बापू की याद

होशंगाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 30 नवंबर 1933 को रेल यात्रा कर वर्धा से इटारसी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, इस दौरान महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन के सामने बनी सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला में एक रात रुके थे, धर्मशाला में आज भी उनके द्वारा इटारसी रुकने के संस्मरण के बारे में महात्मा गांधी के द्वारा स्वयं लिखित पत्र की फोटो आज भी धर्मशाला परिसर में लगी हुई है.

धर्मशाला से जुड़ी बापू की याद


महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है, तो इसकी प्रशंसा उन्होंने धर्मशाला के रजिस्टर में की थी. महात्मा गांधी यहां एक रात रूके थे, जब वे इटारसी पहुंचे, तो यहां पर एक सभा भी की थी जिसमें, काफी लोग शामिल हुए थे. होशंगाबाद जिले की इटारसी में जिस धर्मशाला में वे रुके हुए थे, आज भी वहां उनके हाथों से लिखा पत्र धर्मशाला में फ्रेम कर लगाया हुआ है. धर्मशाला में महात्मा गांधी के अलावा 22 अप्रैल 1935 में पंडित जवाहरलाल नेहरू नागपुर जाते समय नरेन्द्र देव के साथ व 14 अगस्त 1935 में राजेंद्र प्रसाद वर्धा से प्रयाग जाते समय मथुरा प्रसाद, चंद्रधर शरण के साथ दो तीन घंटे के लिए धर्मशाला में रुके थे.

Gandhi stayed in Itarsis Dharamshala
धर्मशाला से जुड़ी बापू की याद
Intro:
होशंगाबाद। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 30 नवंबर 1933 को ट्रेन से वर्धा से इटारसी रेलवे स्टेशन आए थे।
इस दौरान महात्मा गांधी ने रेलवे स्टेशन के सामने बनी सेठ लखमीचंद गोठी धर्मशाला में एक रात रूके थे। धर्मशाला में आज भी उनके द्वारा इटारसी रुकने के संस्मरण के बारे में महात्मा गांधी के द्वारा स्वयं लिखित पत्र को फोटो फ्रेम कर धर्मशाला परिसर में आज लगाया हुआ है।
Body:महात्मा गांधी को जब इस बात का पता चला कि इस धर्मशाला में हरिजन लोगों को भी आश्रय दिया जाता है तो इसकी प्रशंसा उन्होंने रजिस्टर में की थी। महात्मा गांधी यहां पर एक रात रूके थे जब वह इटारसी पहुंचे तो यहां पर एक सभा भी की थी जिसमें काफी लोग शामिल हुए थे होशंगाबाद जिले की इटारसी में जिस धर्मशाला में वे रुके हुए थे आज भी वहां उनके हाथों से लिखा पत्र धर्मशाला में फ्रेम कर लगाया हुआ है। धर्मशाला में महात्मा गांधी के अलावा 22 अप्रैल 1935 में पंडित जवाहरलाल नेहरू नागपुर जाते समय नरेन्द्र देव के साथ व 14 अगस्त 1935 में राजेंद्र प्रसाद वर्धा से प्रयाग जाते समय मथुरा प्रसाद, चंद्रधर शरण के साथ दो तीन घंटे के लिए धर्मशाला में रुके हुए थे।
बाईट
कश्मीर सिंह उप्पल गांधीवादी विचारकConclusion:इटारसी में 1 रात रूके थे महात्मा गांधी
Last Updated : Sep 27, 2019, 5:37 PM IST
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