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सोयाबीन, मूंग और उड़द की फसल को भारी नुकसान, किसान कांग्रेस ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा में सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक और बारिश के चलते मूंग और उड़द की फसल गलने से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. जिसको लेकर किसान कांग्रेस ने फसल के नुकसान का सर्वे कर राहत राशि की मांग करते हुए तहसीलदार को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है.

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Published : Aug 25, 2020, 7:03 PM IST

Heavy losses to crops in hoshangabad
सोयाबीन, मूंग और उड़द की फसल को भारी नुकसान

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा में किसान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोयाबीन, मूंग और उड़द की फसल के नुकसान का सर्वे और मुआवजे की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम नायब तहसीलदार नीलेश पटेल को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में सोयाबीन में पीला मोजेक और बारिश से अफलन की बीमारी से मूंग और उड़द की फसल गल गई है. किसानों की फसल में नुकसान होने से किसानों को अपनी लागत भी निकाल पाना मुश्किल हो जाएगा.

किसान कांग्रेस प्रदेश महामंत्री मुकेश पटेल ने बताया कि बानापुरा की कृषि उपज मंडी में मूंग की फसल को बेचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टोकन की जो व्यवस्था की गई है, उससे पूरे क्षेत्र के किसानों की 50 प्रतिशत मूंग भी नहीं बिक पाई है. इसी तरह यदि टोकन व्यवस्था लागू रही तो दो तीन माह बीत जाने के बाद भी मूंग की फसल नहीं बिक पाएगी. जिससे छोटे किसानों को मण्डी के बाहर मण्डी दामों से 1000 से 1500 रूपये कम कीमत में बेचना पड़ेगा.

कोरोना काल में वैसे भी किसान को आर्थिक नुकसान हुआ है. जिसको लेकर सरकार से मांग की गई है कि सर्वे कराकर नुकसान का मुआवजा अति शीघ्र किसानों को दिलाया जाए. यदि किसानों की मांगे जल्द पूरी नहीं की जाती है तो किसान कांग्रेस उग्र आंदोलन करने पर विवश होगा.

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा में किसान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोयाबीन, मूंग और उड़द की फसल के नुकसान का सर्वे और मुआवजे की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम नायब तहसीलदार नीलेश पटेल को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में सोयाबीन में पीला मोजेक और बारिश से अफलन की बीमारी से मूंग और उड़द की फसल गल गई है. किसानों की फसल में नुकसान होने से किसानों को अपनी लागत भी निकाल पाना मुश्किल हो जाएगा.

किसान कांग्रेस प्रदेश महामंत्री मुकेश पटेल ने बताया कि बानापुरा की कृषि उपज मंडी में मूंग की फसल को बेचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टोकन की जो व्यवस्था की गई है, उससे पूरे क्षेत्र के किसानों की 50 प्रतिशत मूंग भी नहीं बिक पाई है. इसी तरह यदि टोकन व्यवस्था लागू रही तो दो तीन माह बीत जाने के बाद भी मूंग की फसल नहीं बिक पाएगी. जिससे छोटे किसानों को मण्डी के बाहर मण्डी दामों से 1000 से 1500 रूपये कम कीमत में बेचना पड़ेगा.

कोरोना काल में वैसे भी किसान को आर्थिक नुकसान हुआ है. जिसको लेकर सरकार से मांग की गई है कि सर्वे कराकर नुकसान का मुआवजा अति शीघ्र किसानों को दिलाया जाए. यदि किसानों की मांगे जल्द पूरी नहीं की जाती है तो किसान कांग्रेस उग्र आंदोलन करने पर विवश होगा.

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