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जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में राज्यपाल ने किया किसानों से संवाद

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज होशंगाबाद जिले के पवारखेड़ा होशंगाबाद में आयोजित जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में किसानों को संबोधित किया. वहीं इस अवसर पर कृषि मंत्री कमल पटेल भी मौजूद रहे.

Governor Anandiben Patel
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
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Published : Dec 29, 2020, 10:50 PM IST

होशंगाबाद। जिले में आयोजित जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रुप में पहुंची,इस दौरान पवारखेड़ा में उन्होंने किसानों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 'जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगें आए. कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जैविक बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध कराने की कार्ययोजना पर अमल करें. उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक आदानों की आपूर्ति की आवश्यकता का संकलन किया जाए. उसके अनुसार आगामी दो-तीन वर्षो में आपूर्ति की व्यवस्था की जाए. बता दें, इस अवसर पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल भी मौजूद रहे.

जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में राज्यपाल

राज्यपाल पटेल ने कहा कि रसायनिक खादों के उपयोग से होने वाले उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं, गोबर से जैविक खाद, कीटनाशक और पोषक तत्वों का सफल उत्पादन गुजरात में हो रहा है. उत्तर प्रदेश में भी 10 हजार गायों के गोबर से जैविक उत्पादों के उत्पादन की परियोजना शुरू हुई है. उन्होंने विकास के लिए खाकों में नहीं एकीकृत प्रयासों की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि गांवों के समग्र विकास की सोच के साथ कार्य किया जाए तो अनेक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी. राज्यपाल पटेल ने कार्यक्रम स्थल पर जैविक कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, कृषकों से संवाद कर, उन्हें उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर विक्रय के लिए प्रेरित किया. जैविक उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बजाय अधिकतम समर्थन मूल्य पर विक्रय के लिए प्रोत्साहित किया.

इस दौरान मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है, उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं, अधिकतम खुदरा मूल्य पर फसल बेचने का अधिकार दिया है. उन्होंने कहा कि अभी तक उत्पादक किसान बहुत थे, मगर खरीददार व्यापारी थोड़े से होने के कारण फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता था।, अब किसान स्वयं अपने उत्पादन को बेचने में सक्षम हो गया है. वह खाद्यान्न उत्पादक संघ बनाकर अधिकतम खुदरा मूल्य प्राप्त कर सकता है.

साथ ही कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पीके बिसेन ने बताया कि पंवारखेड़ा कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना वर्ष 1903 में हुई है. इस अवधि में केन्द्र द्वारा 53 उन्नत गेहूं की किस्मों का अविष्कार किया है. उन्होंने किसानों से नरवाई नहीं जलाने की अपील करते हुए कहा कि केन्द्र से बायो डाइजेस्टर प्राप्त कर नरवाई को 15 दिनों में जैविक खाद में बदला जा सकता है.

होशंगाबाद। जिले में आयोजित जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्य अतिथि के रुप में पहुंची,इस दौरान पवारखेड़ा में उन्होंने किसानों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 'जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगें आए. कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जैविक बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध कराने की कार्ययोजना पर अमल करें. उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक आदानों की आपूर्ति की आवश्यकता का संकलन किया जाए. उसके अनुसार आगामी दो-तीन वर्षो में आपूर्ति की व्यवस्था की जाए. बता दें, इस अवसर पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल भी मौजूद रहे.

जैविक कृषि प्रोत्साहन कार्यक्रम में राज्यपाल

राज्यपाल पटेल ने कहा कि रसायनिक खादों के उपयोग से होने वाले उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं, गोबर से जैविक खाद, कीटनाशक और पोषक तत्वों का सफल उत्पादन गुजरात में हो रहा है. उत्तर प्रदेश में भी 10 हजार गायों के गोबर से जैविक उत्पादों के उत्पादन की परियोजना शुरू हुई है. उन्होंने विकास के लिए खाकों में नहीं एकीकृत प्रयासों की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि गांवों के समग्र विकास की सोच के साथ कार्य किया जाए तो अनेक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी. राज्यपाल पटेल ने कार्यक्रम स्थल पर जैविक कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, कृषकों से संवाद कर, उन्हें उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर विक्रय के लिए प्रेरित किया. जैविक उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बजाय अधिकतम समर्थन मूल्य पर विक्रय के लिए प्रोत्साहित किया.

इस दौरान मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है, उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं, अधिकतम खुदरा मूल्य पर फसल बेचने का अधिकार दिया है. उन्होंने कहा कि अभी तक उत्पादक किसान बहुत थे, मगर खरीददार व्यापारी थोड़े से होने के कारण फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता था।, अब किसान स्वयं अपने उत्पादन को बेचने में सक्षम हो गया है. वह खाद्यान्न उत्पादक संघ बनाकर अधिकतम खुदरा मूल्य प्राप्त कर सकता है.

साथ ही कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पीके बिसेन ने बताया कि पंवारखेड़ा कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना वर्ष 1903 में हुई है. इस अवधि में केन्द्र द्वारा 53 उन्नत गेहूं की किस्मों का अविष्कार किया है. उन्होंने किसानों से नरवाई नहीं जलाने की अपील करते हुए कहा कि केन्द्र से बायो डाइजेस्टर प्राप्त कर नरवाई को 15 दिनों में जैविक खाद में बदला जा सकता है.

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