ETV Bharat / state

सोयाबीन में पीला मोजेक से किसान परेशान, सरकार से सर्वे कर राहत राशि की मांग - सोयाबीन में पीला मोजेक

होशंगाबाद जिले में इटारसी क्षेत्र के ग्रामों में सोयाबीन की फसल पर पिला मोजेक से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. जिसको लेकर भारतीय किसान संघ सोयाबीन की फसलों के नुकसान के सर्वे और राहत राशि की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौपेंगे.

Farmers upset with yellow mosaic in soybean
सोयाबीन में पीला मोजेक से परेशान किसान
author img

By

Published : Aug 25, 2020, 7:38 PM IST

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के इटारसी क्षेत्र में सोयाबीन में पीला मोजेक आने से किसान प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं. भारतीय किसान संघ पीला मोजेक से खराब हुई सोयाबीन की फसल के सर्वे की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौपेंगे. तहसील अध्यक्ष श्रीराम दुबे ने बताया कि प्रशासन से सर्वे की मांग करेंगे और यदि 3 दिन में सर्वे नहीं हुआ तो आंदोलन करेंगे.

पीला मोजेक से इटारसी तहसील में प्रभावित गांव
मलोथर, जमानी, तालपुरा, टांगना, तीखड़, भट्टि, रूपापुर, दमदम, रामपुर अन्य ग्राम भी इससे प्रभावित हैं. जहां भविष्य में बड़े नुकसान की आशंका है. फिलहाल यहां 30-40 प्रतिशत फसलों में नुकसान हो चुका है. किसानों की मांग है कि शीघ्रता से वैज्ञानिक दलों द्वारा उनके खेत का सर्वे कराकर बचाव के उपाय बताए जाएं और नुकसानी क्षेत्रों में सर्वे कर राहत राशि प्रदान की जाए.

मलोथर के किसान राजेश साध नें बताया कि लागत अधिक लग चुकी है और पीला मोजेक से सोयाबीन बर्बादी की ओर जा रहा है. मेरे खेत में 30-35 प्रतिशत मोजेक लग चुका है रोकथाम के लिए उपाय किए हैं, लेकिन कारगर साबित नहीं हुए हैं. प्रशासन सर्वे करे और राहत राशि प्रदान करे. श्याम किशोर लौवंशी नें बताया कि पीला मोजेक फैल रहा है. रोकथाम के उपाय सफल नहीं हो पा रहे हैं कोई सर्वे दल अभी तक नहीं आया प्रशासन से आस लगाए बैठे हैं, रूपापुर के किसान रजत दुबे ने बताया कि 6-7 एकड़ में सोयाबीन लगाया था. जिसमें मोजेक आ चुका है धीरे-धीरे पूरे खेत में फैलता जा रहा है. विगत वर्ष भी मोजेक ने सोयाबीन बर्बाद कर दिया था. शासन प्रशासन शीघ्रता से सर्वे करें.

क्या है पीला मोजेक

यह फसल में एक गंभीर रोग है जो सोयाबीन के उत्पादन में भारी कमी करता है. मौसम में लगातार बनी रहने वाली नमी, ठंडक के कारण इस रोग का तीव्र गति से फैलाव होता है. ग्रीष्मकालीन मूंग की वजह से भी इस रोग का कारक उत्पन्न होता है. उसी वजह से इसका विषाणु सोयाबीन पर आकर तेजी से फैलता है. इस रोग का संचारण सफेद मक्खी द्वारा होता है. यह मक्खी सफेद व पीले रंग की होती है जोकि 1 मीमी से भी छोटी होती है. सफेद मक्खी (व्हाइट प्लाय) वायरस स्थानांतरण के माध्यम से बीमारी फैलती है. इसमें फ्लाय मक्खी पौधो की पत्तियों पर बैठकर रस चूस लेते हैं. तदुपरांत लार वहीं छोड़ देती है, जिससे वायरस का प्रारंभ होता है.

पिला मोजेक के लक्षण

रोगग्रस्त पौधे की पत्तियों की नसें साफ दिखाई देने लगती हैं. उनका नरम पन कम होना, बदशक्ल होना, सिकुड़ने सहित अन्य लक्षण साफ दिखाई देते हैं. इसमें पौधों की पत्तियां भी खुरदुरी हो जाती है. मोटापन लिए गहरा रंग धारण कर लेती हैं और पत्तियों पर सलवट पड़ जाती है. कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे-पीले धब्बे दिखाई देते हैं और एक-दो दिन बाद में संपूर्ण पौधे ऊपर से बिल्कुल पीले हो जाते हैं.

ऐसे कर सकते हैं बचाव

पिला मोजेक को प्रारंभिक अवस्था में ही रोकना आवश्यक होता है. अगर विस्तृत रूप में फैलता है तो फिर रोकना मुश्किल होता है. प्रारंभ में ही प्रभावित पौधों को उखाड़कर मिट्टी से ढंक दिया जाए या नीम तेल का छिड़काव जैसी जैविक पद्धतियां भी अपना सकते हैं. इसके बचाव के लिए बीटा साइलीथ्रिल और इमेडाक्लोरोप्रिड का छिड़काव भी कर सकते हैं.

होशंगाबाद। होशंगाबाद जिले के इटारसी क्षेत्र में सोयाबीन में पीला मोजेक आने से किसान प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं. भारतीय किसान संघ पीला मोजेक से खराब हुई सोयाबीन की फसल के सर्वे की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौपेंगे. तहसील अध्यक्ष श्रीराम दुबे ने बताया कि प्रशासन से सर्वे की मांग करेंगे और यदि 3 दिन में सर्वे नहीं हुआ तो आंदोलन करेंगे.

पीला मोजेक से इटारसी तहसील में प्रभावित गांव
मलोथर, जमानी, तालपुरा, टांगना, तीखड़, भट्टि, रूपापुर, दमदम, रामपुर अन्य ग्राम भी इससे प्रभावित हैं. जहां भविष्य में बड़े नुकसान की आशंका है. फिलहाल यहां 30-40 प्रतिशत फसलों में नुकसान हो चुका है. किसानों की मांग है कि शीघ्रता से वैज्ञानिक दलों द्वारा उनके खेत का सर्वे कराकर बचाव के उपाय बताए जाएं और नुकसानी क्षेत्रों में सर्वे कर राहत राशि प्रदान की जाए.

मलोथर के किसान राजेश साध नें बताया कि लागत अधिक लग चुकी है और पीला मोजेक से सोयाबीन बर्बादी की ओर जा रहा है. मेरे खेत में 30-35 प्रतिशत मोजेक लग चुका है रोकथाम के लिए उपाय किए हैं, लेकिन कारगर साबित नहीं हुए हैं. प्रशासन सर्वे करे और राहत राशि प्रदान करे. श्याम किशोर लौवंशी नें बताया कि पीला मोजेक फैल रहा है. रोकथाम के उपाय सफल नहीं हो पा रहे हैं कोई सर्वे दल अभी तक नहीं आया प्रशासन से आस लगाए बैठे हैं, रूपापुर के किसान रजत दुबे ने बताया कि 6-7 एकड़ में सोयाबीन लगाया था. जिसमें मोजेक आ चुका है धीरे-धीरे पूरे खेत में फैलता जा रहा है. विगत वर्ष भी मोजेक ने सोयाबीन बर्बाद कर दिया था. शासन प्रशासन शीघ्रता से सर्वे करें.

क्या है पीला मोजेक

यह फसल में एक गंभीर रोग है जो सोयाबीन के उत्पादन में भारी कमी करता है. मौसम में लगातार बनी रहने वाली नमी, ठंडक के कारण इस रोग का तीव्र गति से फैलाव होता है. ग्रीष्मकालीन मूंग की वजह से भी इस रोग का कारक उत्पन्न होता है. उसी वजह से इसका विषाणु सोयाबीन पर आकर तेजी से फैलता है. इस रोग का संचारण सफेद मक्खी द्वारा होता है. यह मक्खी सफेद व पीले रंग की होती है जोकि 1 मीमी से भी छोटी होती है. सफेद मक्खी (व्हाइट प्लाय) वायरस स्थानांतरण के माध्यम से बीमारी फैलती है. इसमें फ्लाय मक्खी पौधो की पत्तियों पर बैठकर रस चूस लेते हैं. तदुपरांत लार वहीं छोड़ देती है, जिससे वायरस का प्रारंभ होता है.

पिला मोजेक के लक्षण

रोगग्रस्त पौधे की पत्तियों की नसें साफ दिखाई देने लगती हैं. उनका नरम पन कम होना, बदशक्ल होना, सिकुड़ने सहित अन्य लक्षण साफ दिखाई देते हैं. इसमें पौधों की पत्तियां भी खुरदुरी हो जाती है. मोटापन लिए गहरा रंग धारण कर लेती हैं और पत्तियों पर सलवट पड़ जाती है. कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे-पीले धब्बे दिखाई देते हैं और एक-दो दिन बाद में संपूर्ण पौधे ऊपर से बिल्कुल पीले हो जाते हैं.

ऐसे कर सकते हैं बचाव

पिला मोजेक को प्रारंभिक अवस्था में ही रोकना आवश्यक होता है. अगर विस्तृत रूप में फैलता है तो फिर रोकना मुश्किल होता है. प्रारंभ में ही प्रभावित पौधों को उखाड़कर मिट्टी से ढंक दिया जाए या नीम तेल का छिड़काव जैसी जैविक पद्धतियां भी अपना सकते हैं. इसके बचाव के लिए बीटा साइलीथ्रिल और इमेडाक्लोरोप्रिड का छिड़काव भी कर सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.