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प्रशासन का दावा फेल, कीटनाशक छिड़काव के बावजूद टिड्डियां फसलों को पहुंचा रही नुकसान

कोरोना वायरस के बाद अब टिड्डी दल ने किसानों और प्रशासन की नींद उड़ा दी है. मध्यप्रदेश के कई जिलों में टिड्डी दल ने किसानों के अनाज और सब्जी की फसलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. वहीं प्रशासन अपने प्रयासों से टिड्डियों को खत्म करने के दावे कर रही है, जो फेल नजर आ रहे हैं.

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Published : May 30, 2020, 7:39 PM IST

locusts attack
कीटनाशक छिड़कने के बाद भी टिड्डी जिंदा

होशंगाबाद। कोरोना वायरस के बाद अब मध्यप्रदेश के किसान टिड्डी दल के प्रकोप से परेशान हैं. पाकिस्तान से चलकर राजस्थान होते हुए आए टिड्डी दल का खतरा होशंगाबाद में भी मंडरा रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. रेगिस्तान की गर्मी को सहन करने वाली टिड्डियों को कृषि विभाग सहित जिला प्रशासन की टीम और भारत सरकार की ओर से आए कृषि वैज्ञानिक ने खत्म करने का दावा किया था. लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. कीटनाशक छिड़काव का असर खत्म होते ही मिशन पर निकल जाते हैं ये टिड्डी.

कीटनाशक छिड़कने के बाद भी टिड्डी जिंदा

सरकार के दावे फेल

ईटीवी भारत ने जब सरकार के दावों की पड़ताल की तो 12 से ज्यादा गांवों में टिड्डियां खेतों में खड़ी मूंग की फसल को चट कर रही थी, जिला प्रशासन ने 4 दिनों पहले टिड्डियों पर फायर ब्रिगेड की मदद से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया था और 90 फीसदी टिड्डियों को खत्म करने का दावा भी किया था. कीटनाशक का असर खत्म होते ही टिड्डियों का आंतक फिर शुरू हो जाता है.

किसानों की बढ़ी चिंता

किसानों का कहना है कि अभी तक लगभग 30 से 35 फीसदी फसलों के नुकसान की आशंका है. लेकिन अचेत हुई टिड्डियों ने होश में आकर फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. हालांकि अभी तक प्रशासन इन टिड्डियों को मरा हुआ मानकर राहत की सांस ले रहा है. वहीं किसान अभी भी चिंतित हैं.

प्रशासन छुपा रहा नाकामी

टिड्डियों को मारने के लिए प्रशासन ने कीटनाशक का छिड़काव किया. जिससे किसानों की फसल इस कीटनाशक के छिड़काव के कारण सूखने लगी हैं. साथ ही खेतों में जिन जगहों से वाहनों की लगातार आवाजाही हुई. वहां की भी फसल पूरी तरह नष्ट होने की कगार पर है. दोबारा पनपने की स्थिति पर कृषि विभाग का दावा है कि जितनी टिड्डियां थी उन्हें मार दिया गया है. अब वही टिड्डी बची होंगी जिन पर छिड़काव नहीं किया गया होगा.

राजस्व की हानि या आर्थिक भार

एक ओर जहां प्रशासन नुकसान न मानते हुए खर्चा गिना रहा है, वहीं किसानों की फसलें 30 से 35 फीसदी खराब हो चुकी हैं. प्रशासन का कहना है कि टिड्डियों को मारने के लिए लेंडासांईथ्रोलीन दवा से बना 400 लीटर कीटनाशक का उपयोग किया गया. जिसकी कीमत 1 हजार रूपए प्रति लीटर से 4 लाख रूपए है. साथ ही छिड़काव में उपयोग हुए वाहनों के डीजल सहित अन्य खर्चा भी हुआ है और कीटनाशक से टिड्डियों पर असर भी हुआ है.

होशंगाबाद। कोरोना वायरस के बाद अब मध्यप्रदेश के किसान टिड्डी दल के प्रकोप से परेशान हैं. पाकिस्तान से चलकर राजस्थान होते हुए आए टिड्डी दल का खतरा होशंगाबाद में भी मंडरा रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. रेगिस्तान की गर्मी को सहन करने वाली टिड्डियों को कृषि विभाग सहित जिला प्रशासन की टीम और भारत सरकार की ओर से आए कृषि वैज्ञानिक ने खत्म करने का दावा किया था. लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. कीटनाशक छिड़काव का असर खत्म होते ही मिशन पर निकल जाते हैं ये टिड्डी.

कीटनाशक छिड़कने के बाद भी टिड्डी जिंदा

सरकार के दावे फेल

ईटीवी भारत ने जब सरकार के दावों की पड़ताल की तो 12 से ज्यादा गांवों में टिड्डियां खेतों में खड़ी मूंग की फसल को चट कर रही थी, जिला प्रशासन ने 4 दिनों पहले टिड्डियों पर फायर ब्रिगेड की मदद से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया था और 90 फीसदी टिड्डियों को खत्म करने का दावा भी किया था. कीटनाशक का असर खत्म होते ही टिड्डियों का आंतक फिर शुरू हो जाता है.

किसानों की बढ़ी चिंता

किसानों का कहना है कि अभी तक लगभग 30 से 35 फीसदी फसलों के नुकसान की आशंका है. लेकिन अचेत हुई टिड्डियों ने होश में आकर फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. हालांकि अभी तक प्रशासन इन टिड्डियों को मरा हुआ मानकर राहत की सांस ले रहा है. वहीं किसान अभी भी चिंतित हैं.

प्रशासन छुपा रहा नाकामी

टिड्डियों को मारने के लिए प्रशासन ने कीटनाशक का छिड़काव किया. जिससे किसानों की फसल इस कीटनाशक के छिड़काव के कारण सूखने लगी हैं. साथ ही खेतों में जिन जगहों से वाहनों की लगातार आवाजाही हुई. वहां की भी फसल पूरी तरह नष्ट होने की कगार पर है. दोबारा पनपने की स्थिति पर कृषि विभाग का दावा है कि जितनी टिड्डियां थी उन्हें मार दिया गया है. अब वही टिड्डी बची होंगी जिन पर छिड़काव नहीं किया गया होगा.

राजस्व की हानि या आर्थिक भार

एक ओर जहां प्रशासन नुकसान न मानते हुए खर्चा गिना रहा है, वहीं किसानों की फसलें 30 से 35 फीसदी खराब हो चुकी हैं. प्रशासन का कहना है कि टिड्डियों को मारने के लिए लेंडासांईथ्रोलीन दवा से बना 400 लीटर कीटनाशक का उपयोग किया गया. जिसकी कीमत 1 हजार रूपए प्रति लीटर से 4 लाख रूपए है. साथ ही छिड़काव में उपयोग हुए वाहनों के डीजल सहित अन्य खर्चा भी हुआ है और कीटनाशक से टिड्डियों पर असर भी हुआ है.

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