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चतुर्मुख शिवलिंग की अनोखी है महिमा, महाशिवरात्रि दर्शन से मिलता है विशेष पुण्य - होशंगाबाद न्यूज

होशंगाबाद के सिवनी मालवा तहसील में एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान हैं. महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

Visiting Chaturmukh Shivling on Mahashivaratri benefits
महाशिवरात्रि पर चतुर्मुख शिवलिंग के दर्शन से मिलता है लाभ
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Published : Feb 20, 2020, 8:00 PM IST

Updated : Feb 20, 2020, 8:40 PM IST

होशंगाबाद। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में विराजमान हैं. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि, इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन जिले की सिवनी मालवा तहसील में पूरे भारत का एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगता है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

सिवनी- मालवा तहसील के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मां नर्मदा- इन्द्रावती के संगम पर स्थित ग्राम भेला में प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है. ये शिवलिंग अपने आप में ही अलग पहचान रखता है, क्यूंकि इस चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि ये स्वयं धरती से निकले हैं. इस शिवलिंग की बनावट भी इतनी अच्छी है, की इसमें भगवान शिव का साफ-साफ चेहरा बना हुआ दिखाई पड़ता है.

मंदिर में पूजा करने वाले नागा समुदाय की पुजारी का कहना है कि, चतुर्मुख शिवलिंग को जब लोगों ने यहां से निकालकर अन्य जगह स्थापित करने की कोशिश की, तो ये शिवलिंग अपने आप ही जमींन के अन्दर लगभग 1 फिट तक समा गया था. शिवलिंग का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी किया गया है. पुजारी का कहना है कि, भोपाल रियासत के नवाब ने मंदिर क्षेत्र की पूरी जमीन नागा साधू को दी थी.

तबसे आज तक उस मंदिर की पूजा नागा समुदाय ही करता आ रहा है. हर साल शिवरात्रि पर क्षेत्रवासियों की तरफ से एक मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दूर- दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के चतुर्मुख शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते है.

होशंगाबाद। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में विराजमान हैं. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि, इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन जिले की सिवनी मालवा तहसील में पूरे भारत का एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगता है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

सिवनी- मालवा तहसील के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मां नर्मदा- इन्द्रावती के संगम पर स्थित ग्राम भेला में प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है. ये शिवलिंग अपने आप में ही अलग पहचान रखता है, क्यूंकि इस चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि ये स्वयं धरती से निकले हैं. इस शिवलिंग की बनावट भी इतनी अच्छी है, की इसमें भगवान शिव का साफ-साफ चेहरा बना हुआ दिखाई पड़ता है.

मंदिर में पूजा करने वाले नागा समुदाय की पुजारी का कहना है कि, चतुर्मुख शिवलिंग को जब लोगों ने यहां से निकालकर अन्य जगह स्थापित करने की कोशिश की, तो ये शिवलिंग अपने आप ही जमींन के अन्दर लगभग 1 फिट तक समा गया था. शिवलिंग का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी किया गया है. पुजारी का कहना है कि, भोपाल रियासत के नवाब ने मंदिर क्षेत्र की पूरी जमीन नागा साधू को दी थी.

तबसे आज तक उस मंदिर की पूजा नागा समुदाय ही करता आ रहा है. हर साल शिवरात्रि पर क्षेत्रवासियों की तरफ से एक मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दूर- दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के चतुर्मुख शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते है.

Last Updated : Feb 20, 2020, 8:40 PM IST
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