होशंगाबाद। सतपुड़ा की पहाड़ियों के दुर्गम रास्तों, सैकड़ों नदियों और नालों को पार कर नागपंचमी से 10 दिन पहले लगने वाले नागद्वारी मेले पर इस साल कोरोना महामारी का ग्रहण लग गया है. नागद्वारी मेले में हर साल नाग देवता और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से तकरीबन 8 लाख श्रद्धालु दर्शन करने प्रतिवर्ष पचमढ़ी पहुंचते थे, विशेष रुप से महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां लगता था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस साल प्रशासन द्वारा मेले पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित जंगल में सकरे पहाड़ी क्षेत्रों, दुर्गम रास्तों पर कोरोना से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजिंग की व्यवस्था प्रशासन कराने में असमर्थ है. ऐसे में प्रशासन द्वारा मेले को ही रद्द करने का फैसला लिया गया है.
आजादी के पहले से भी चले आ रहे इस मेले के इतिहास की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, इस मेले को पहली बार रद्द करने के निर्देश शासन द्वारा दिए गए हैं. ये मेला पूर्णता प्राकृतिक झरनों, पेड़-पौधों और पहाड़ों के बीच लगने वाला मेला अपने आप में अनोखा है. दुर्गम पहाड़ियों और 3 दिनों की लंबी चढ़ाई के बाद भगवान शिव के दर्शन किए जाते हैं. जहां श्रद्धालु सैकड़ों क्विंटल वजनी त्रिशूल लेकर भगवान शिव को चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं. हर साल मेले में जाने वाले लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले भी बारिश नहीं होने के चलते नागद्वारी मेला रद्द करने की कोशिश की गई थी, लेकिन अंतिम दिनों में इसे जारी रखने के निर्देश जारी कर दिए गए थे, लेकिन पहली बार मेले को रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं.
महाराष्ट्र में लगातार बढ रहे कोरोना वायरस के मरीज इस मेले के रद्द होने का एक बड़ा कारण है. दरअसल, मेले में करीब 5 लाख श्रद्धालु महाराष्ट्र के नागपुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों से आते हैं. वहीं महाराष्ट्र में कोरोना मरीज की संख्या बहुत ज्यादा है, ऐसे में कोरोना वायरस के सार्वजनिक रूप से फैलने की आशंका के चलते होशंगाबाद प्रशासन द्वारा मेले को ही रद्द करा दिया गया है.