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नर्मदा नदी के नाभि कुंड के जल का है विशेष महत्व, पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएं - हरदा न्यूज

नाभि कुंड के जल का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है. कहा जाता है कि नाभि कुंड के जल से अनेकों प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

water of the navel pool of the Narmada river has special significance
नर्मदा नदी में स्थित नाभि कुंड
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Published : Jan 31, 2020, 9:47 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 11:14 PM IST

हरदा। हंडिया-नेमावर को मां नर्मदा का नाभि स्थल माना जाता है. नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु नाव के जरिये नाभिकुंड पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. बीच नर्मदा में स्थित नाभि कुंड पर दर्शन के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां नर्मदा जयंती के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. पंडितों के द्वारा विधिविधान से यहां पर श्रद्धालुओं को पूजा अभिषेक कराया जाता है.

नर्मदा नदी में स्थित नाभि कुंड


नाभि कुंड के जल का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है. कहा जाता है कि नाभि कुंड के जल से अनेकों प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. नर्मदा नदी का यह मध्य भाग प्रकृति का सुंदर स्थान है. यहां पर कई साधु संतों और महायोगी ने आकर नर्मदा की पावन धारा में तपस्या की है. वहीं देवास जिले के पास स्तिथि मेल घाट के पास प्रसिद्ध सन्त आत्मा राम बाबा का समाधि स्थल भी है. जहां हर साल मेला लगता है.


नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी के दोनों तटों को विशेष रूप से साज सज्जा की जाती है. वहीं श्रद्धालुओं के द्वारा नर्मदा नदी की पूजा कर दीप प्रज्वलित कर नर्मदा की धार में छोड़े जाते है. इस दौरान नर्मदा नदी का सुंदर नजारा देखते ही बनता है.


भक्तों की माने तो यहां पर मांगी जाने वाली सभी मन्नतें पूरी होती हैं. नर्मदा जयंती को लेकर मान्यता है कि हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है. मान्यता ये भी है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही सारे पापों का नाश होता है.

हरदा। हंडिया-नेमावर को मां नर्मदा का नाभि स्थल माना जाता है. नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु नाव के जरिये नाभिकुंड पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. बीच नर्मदा में स्थित नाभि कुंड पर दर्शन के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां नर्मदा जयंती के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. पंडितों के द्वारा विधिविधान से यहां पर श्रद्धालुओं को पूजा अभिषेक कराया जाता है.

नर्मदा नदी में स्थित नाभि कुंड


नाभि कुंड के जल का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है. कहा जाता है कि नाभि कुंड के जल से अनेकों प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. नर्मदा नदी का यह मध्य भाग प्रकृति का सुंदर स्थान है. यहां पर कई साधु संतों और महायोगी ने आकर नर्मदा की पावन धारा में तपस्या की है. वहीं देवास जिले के पास स्तिथि मेल घाट के पास प्रसिद्ध सन्त आत्मा राम बाबा का समाधि स्थल भी है. जहां हर साल मेला लगता है.


नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी के दोनों तटों को विशेष रूप से साज सज्जा की जाती है. वहीं श्रद्धालुओं के द्वारा नर्मदा नदी की पूजा कर दीप प्रज्वलित कर नर्मदा की धार में छोड़े जाते है. इस दौरान नर्मदा नदी का सुंदर नजारा देखते ही बनता है.


भक्तों की माने तो यहां पर मांगी जाने वाली सभी मन्नतें पूरी होती हैं. नर्मदा जयंती को लेकर मान्यता है कि हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है. मान्यता ये भी है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही सारे पापों का नाश होता है.

Intro:मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी के हर घाट का अपना महत्व है।लेकिन हरदा ओर देवास जिले के मध्य से निकलने वाली नर्मदा नदी के प्राचीन सिद्धनाथ और रिद्धनाथ मंदिर के पास बीच नर्मदा नदी में बने नाभिकुण्ड से यहां के महत्व को बड़ा दिया है।नर्मदा नदी के मध्य में बने इस नाभिकुण्ड से नर्मदा नदी की कुल दूरी को दो भागों में बांटा जा सकता है।यहां से नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक और समागम स्थल गुजरात की खम्बात की खाड़ी की दूरी लगभग एक बराबर है।जिसके चलते यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।यहां पर दूर दराज से आकर श्रद्धालुओं के द्वारा नाव के जरिये नाभिकुण्ड पर पहुँचकर दर्शनों का लाभ लिया जाता है।यहां पर नर्मदा जयंती के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।पंडितों के द्वारा विधिविधान से यहां पर श्रद्धालुओं को पूजा अभिषेक कराया जाता है।


Body:जिस तरह से मनुष्य के शरीर मे नाभि का महत्व होता है ठीक उसी प्रकार से नर्मदा नदी के इस मध्य भाग का धार्मिकमहत्व होने के साथ साथ वैज्ञानिकआधार भी है।बताया जाता कि नाभिकुण्ड के जल के प्रयोग से अनेकोंप्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।यहां के बाद नर्मदा नदी पूर्वी निमाड़ जिले में प्रवेश करती है।नर्मदा नदी का यह मध्य भाग प्रकृति का सुंदर स्थान है।यहां पर कई साधु संतों और महायोगी ने आकर नर्मदा की पावन धारा में तपस्या की है।वही देवास जिले के पास स्तिथि मेल घाट के पास प्रसिद्ध सन्त आत्मा राम बाबा का समाधि स्थल भी है।जहाँ हर साल मेला लगता है।
नर्मदा नदी के नबाईट- श्याम साकल्ले साहित्यकार हरदा


Conclusion:नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी के दोनों तटों को विशेष रूप से साज सज्जा की जाती है।वही श्रद्धालुओं के द्वारा नर्मदा नदी की पूजा कर दीप प्रज्वलित कर नर्मदा की धार में छोड़े जाते है।इस दौरान नर्मदा नदी का सुंदर नजारा देखते ही बनता है।भक्तों की माने तो यहां पर मांगी जाने वाली सभी मन्नते पूरी होती है।जिसको लेकर यहां भक्त दर्शनों के लिए पहुचते है।नर्मदा जयंती को लेकर मान्यता है हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है भारत की सात प्रमुख धार्मिक नदियों में नर्मदा नदी कांपना विशेष महत्व भगवान शिव ने देवताओं को उनके पाप धोने के लिए नर्मदा नदी को उत्पन्न किया था नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही सारे पापों का नाश होता है वही नर्मदा ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत भी नांदीकुंड के दर्शन से की जाती है।
बाईट- धीरज जाट श्रद्धालु
बाईट-योगेश शर्मा पंडित
Last Updated : Jan 31, 2020, 11:14 PM IST
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