हरदा। हंडिया-नेमावर को मां नर्मदा का नाभि स्थल माना जाता है. नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु नाव के जरिये नाभिकुंड पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. बीच नर्मदा में स्थित नाभि कुंड पर दर्शन के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां नर्मदा जयंती के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. पंडितों के द्वारा विधिविधान से यहां पर श्रद्धालुओं को पूजा अभिषेक कराया जाता है.
नाभि कुंड के जल का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है. कहा जाता है कि नाभि कुंड के जल से अनेकों प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. नर्मदा नदी का यह मध्य भाग प्रकृति का सुंदर स्थान है. यहां पर कई साधु संतों और महायोगी ने आकर नर्मदा की पावन धारा में तपस्या की है. वहीं देवास जिले के पास स्तिथि मेल घाट के पास प्रसिद्ध सन्त आत्मा राम बाबा का समाधि स्थल भी है. जहां हर साल मेला लगता है.
नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी के दोनों तटों को विशेष रूप से साज सज्जा की जाती है. वहीं श्रद्धालुओं के द्वारा नर्मदा नदी की पूजा कर दीप प्रज्वलित कर नर्मदा की धार में छोड़े जाते है. इस दौरान नर्मदा नदी का सुंदर नजारा देखते ही बनता है.
भक्तों की माने तो यहां पर मांगी जाने वाली सभी मन्नतें पूरी होती हैं. नर्मदा जयंती को लेकर मान्यता है कि हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है. मान्यता ये भी है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही सारे पापों का नाश होता है.