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मवेशियों की अच्छी सेहत के लिए अनोखी परंपरा, आग जलाकर उसके ऊपर से निकालते हैं लोग

हरदा जिले में दीपावली के दिन बाद अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यहां दिवाली के अगले दिन मवेशियों को नहलाकर उनका श्रृंगार किया जाता है और फिर अग्नि जलाकर उन्हें उसके ऊपर से निकाला जाता है.

मवेशियों की अच्छी सेहत के लिए अनोखी परंपरा
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Published : Oct 28, 2019, 12:33 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 1:21 PM IST

हरदा। कहते हैं कि कदम-कदम पर पानी बदले, कोस कोस पर वाणी, यह कहावत मध्यप्रदेश में भी बिल्कुल सही साबित होती है. यहां हर जिले में कई अनोखी और भिन्न-भिन्न परंपराएं देखने को मिलती हैं. ऐसी ही एक परंपरा हरदा जिले में भी है, जहां दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा को कुछ खास तरीके से मनाया जाता है.

आग जलाकर उसके ऊपर से निकालते हैं मवेशी

कृषि प्रधान हरदा जिले में इस खास परंपरा के चलते दीपावली के दूसरे दिन भी धूम रहती है. इस दिन मवेशियों को नहलाया जाता है, फिर उनके शरीर पर रंग-बिरंगे छपके लगाकर उनका श्रृंगार किया जाता है, फिर घर के मुख्य द्वार पर अग्नि जलाकर उसके ऊपर से मवेशियों को निकाला जाता है.

ग्रामीणों की मान्यता है कि दीपावली के अगले दिन मवेशियों को अग्नि के ऊपर से निकालने से वे पूरे साल स्वस्थ रहते हैं. जिसके चलते इस परंपरा का निर्वहन पीढ़ी दर पीढ़ी से चलता आ रहा है. बताया जाता है कि दीपावली के दिन भी यहां मवेशियों की पूजा की जाती है, क्योंकि किसानों का असली धन उनके पशु ही होते हैं.

वहीं आधुनिक संसाधनों के चलते गांवों में पशुओं की संख्या कम होती जा रही है. इससे गौ आधारित कृषि संयंत्रों जैसे ट्रैक्टर आदि को भी सजाकर गांवों में रैली के रूप में निकाला जाने लगा है. बता दें कि जिले के ग्राम सोडलपुर, फुलड़ी, दुलिया में पशुओं के साथ ट्रैक्टर की साज-सज्जा की नई परंपरा की शुरुआत की है.

हरदा। कहते हैं कि कदम-कदम पर पानी बदले, कोस कोस पर वाणी, यह कहावत मध्यप्रदेश में भी बिल्कुल सही साबित होती है. यहां हर जिले में कई अनोखी और भिन्न-भिन्न परंपराएं देखने को मिलती हैं. ऐसी ही एक परंपरा हरदा जिले में भी है, जहां दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा को कुछ खास तरीके से मनाया जाता है.

आग जलाकर उसके ऊपर से निकालते हैं मवेशी

कृषि प्रधान हरदा जिले में इस खास परंपरा के चलते दीपावली के दूसरे दिन भी धूम रहती है. इस दिन मवेशियों को नहलाया जाता है, फिर उनके शरीर पर रंग-बिरंगे छपके लगाकर उनका श्रृंगार किया जाता है, फिर घर के मुख्य द्वार पर अग्नि जलाकर उसके ऊपर से मवेशियों को निकाला जाता है.

ग्रामीणों की मान्यता है कि दीपावली के अगले दिन मवेशियों को अग्नि के ऊपर से निकालने से वे पूरे साल स्वस्थ रहते हैं. जिसके चलते इस परंपरा का निर्वहन पीढ़ी दर पीढ़ी से चलता आ रहा है. बताया जाता है कि दीपावली के दिन भी यहां मवेशियों की पूजा की जाती है, क्योंकि किसानों का असली धन उनके पशु ही होते हैं.

वहीं आधुनिक संसाधनों के चलते गांवों में पशुओं की संख्या कम होती जा रही है. इससे गौ आधारित कृषि संयंत्रों जैसे ट्रैक्टर आदि को भी सजाकर गांवों में रैली के रूप में निकाला जाने लगा है. बता दें कि जिले के ग्राम सोडलपुर, फुलड़ी, दुलिया में पशुओं के साथ ट्रैक्टर की साज-सज्जा की नई परंपरा की शुरुआत की है.

Intro:दीपावली के दूसरे दिन पूरे देश मे गोवर्धन पूजा की जाती है।जिसको लेकर अलग अलग स्थानों पर अनेको प्रकार की परंपरा निभाई जाती है।लेकिन मध्यप्रदेश के कृषि प्रधान हरदा जिले में गोवर्धन पूजा को कुछ खास अंदाज में मनाया जाता है।यहां पर सुबह से किसानों के द्वारा अपने मवेशियों को नहलाया जाता है।फिर उनके शरीर पर रंग बिरंगे छपके लगाकर उनकी पूजा की जाती है।वही ग्रामीण क्षेत्रों में तो किसानों के द्वारा घरों के मुख्य द्वार पर अग्नि जलाकर उसके ऊपर से निकाला जाता है।ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि दीपावली के अगले दिन सभी मवेशियों को अग्नि के ऊपर से निकालने से वे पूरे साल निरोगी बने रहते है।जिसको लेकर इस परंपरा का निर्वहन पीढ़ी दर पीढ़ी से चलता आ रहा हैBody:जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा का दिन सुबह से ही उत्साह से भरा होता है।यहां गांव के मुख्य चौक पर सभी किसानों के द्वारा अपने अपने मवेशियों की साज सज्जा कर लाया था है।वही उनके आसपास पटाखे फोड़कर उन्हें अग्नि के संपर्क में भी लाने की परंपरा चली आ रही है।पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन को दीपावली के समान ही मनाया जाता है।चूंकि किसानों का धन उसके पशु होते है।जिसके चलते वे अपने पशुओं को तैयार कर पूरे परिवार सहित उसकी पूजा करते है।Conclusion:उधर आधुनिकता के कारण गांवों में पशुओं की संख्या कम होती जा रही है।जिसके चलते गौ आधारित खेती के साथ साथ कृषि कार्यो में मुख्य भूमिका निभाने वाले ट्रेक्टर सहित अन्य मशीनों को सजाकर ग्राम में रैली के रूप में निकाला जाने लगा है।जिले के ग्राम सोडलपुर,फुलड़ी,दुलिया में अब पशुओं के साथ साथ ट्रेक्टर की साज सज्जा की नई परंपरा की शुरुआत की गई है।
बाइट- सोनू गौर, ग्राम बालागांव
बाइट- मदन गौर, ग्राम बालागांव
बाइट- हरिप्रसाद गौर, ग्राम बालागांव
Last Updated : Oct 28, 2019, 1:21 PM IST
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