हरदा। नगर पालिका परिषद ने शहर में बढ़ रहे यातायात के दबाव को रोकने के लिए, 9 साल पहले जिले के प्रमुख चौराहों पर करीब पच्चीस लाख रुपए की लागत से ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे. लेकिन बीते 2 सालों से ये सिग्नल बस चौराहों की शोभा बढ़ा रहे हैं. ट्रैफिक सिग्नल बंद होने से बेतरतीब आवागमन हो रहा है, जिससे जिले के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नगर पालिका परिषद के द्वारा लघु उद्योग निगम की मदद से हरदा के पांच प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे. हरदा के टावर चौराहा, परशुराम चौक, अस्पताल चौक, हनुमान मंदिर चौक और अंबेडकर चौक पर लगे ट्रैफिक सिग्नल बंद होने के बाद, अब तक नगर पालिका के किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इन्हें दोबारा से शुरू कराए जाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है. नगर पालिका परिषद के द्वारा यातायात पुलिस के जवानों को चौराहों पर नियुक्त करने के बाद सिग्नल में सुधार कराने की बात की जा रही है.
यातायात थाने में पदस्थ सूबेदार का कहना है कि हरदा में सकरी सड़कें होने से ट्रैफिक सिग्नल लगाने का कोई औचित्य नहीं है, ट्रैफिक पुलिस के द्वारा जब सिग्नलों का उपयोग करा जाता है, उस दौरान जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है. उन्होंने कहा कि हरदा शहर में मुख्य चौराहों पर सड़कों को चौड़ा किया जाना चाहिए, ताकि ट्रैफिक सिग्नल का उपयोग हो सके और यातायात का दबाव कम हो सके.
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का कहना है कि हरदा में ट्रैफिक सिग्नल बीते कई सालों से बंद हैं, जिससे जनता के पैसों की बर्बादी होती नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि हरदा में लगे ट्रैफिक सिग्नल इन दिनों महज शोपीस बनकर रह गए हैं.