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छात्रों ने सरकारी विद्यालय को कुछ यूं बनाया खास, अब कहलाने लगा है 'गांधी टोपी वाला स्कूल'

हरदा में एक ऐसा स्कूल है. जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रास्तों पर चलने को प्रेरित करता है. यहां के छात्र पिछले 125 सालों से सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलते के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.

'गांधी टोपी वाला स्कूल'
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Published : Oct 2, 2019, 2:36 AM IST

हरदा। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. इस मौके पर एक तरफ जहां पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर उनके सिद्धांतों और पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है, तो वहीं हरदा के छीपाबड़ गांव स्थित प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में 125 सालों से स्कूली बच्चे गांधी टोपी पहनकर लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.


खिरकिया नगर पंचायत में आने वाले सरकारी स्कूल में छात्र टोपी लगाकर आते हैं, यही वजह है कि अब इस स्कूल की पहचान गांधी टोपी वाले स्कूल के तौर पर होने लगी है. स्कूल की स्थापना 1 जनवरी 1892 को हुई थी, तब से लेकर अब तक, यहां के छात्र इस परंपरा को निभा रहे हैं.

छात्रों का कहना है कि वे गांधी वाली टोपी पहनकर अपने आप को गौरान्वित महसूस करते हैं. स्कूल के पूर्व छात्र आज देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अपना नाम कमा रहे हैं.

वहीं स्कूल में पदस्थ्य शिक्षिका का कहना है कि यहां कुल 157 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें पहली से आठवीं तक के छात्र शामिल हैं, ये सभी रोजाना टोपी लगाकर ही स्कूल आते हैं.

छात्रों में महात्मा गांधी को लेकर प्यार और लगाव की समाजसेवी भी तारीफ कर रहे हैं. हालांकि सुविधाओं की कमी के चलते स्कूल में दर्ज छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है. ऐसे में कुछ समाजसेवियों ने मांग है कि सालों से जिस स्कूल ने गांधी के सिद्धातों को अपनाया है, उस स्कूल पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

हरदा जिले का ये स्कूल अपनी खासियत के चलते औरों से जुदा है. यहां पढ़ने वाले बच्चों में महात्मा गांधी को जानने और समझने की ललक है. इसलिए वह सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलते के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं.

हरदा। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. इस मौके पर एक तरफ जहां पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर उनके सिद्धांतों और पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है, तो वहीं हरदा के छीपाबड़ गांव स्थित प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में 125 सालों से स्कूली बच्चे गांधी टोपी पहनकर लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.


खिरकिया नगर पंचायत में आने वाले सरकारी स्कूल में छात्र टोपी लगाकर आते हैं, यही वजह है कि अब इस स्कूल की पहचान गांधी टोपी वाले स्कूल के तौर पर होने लगी है. स्कूल की स्थापना 1 जनवरी 1892 को हुई थी, तब से लेकर अब तक, यहां के छात्र इस परंपरा को निभा रहे हैं.

छात्रों का कहना है कि वे गांधी वाली टोपी पहनकर अपने आप को गौरान्वित महसूस करते हैं. स्कूल के पूर्व छात्र आज देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अपना नाम कमा रहे हैं.

वहीं स्कूल में पदस्थ्य शिक्षिका का कहना है कि यहां कुल 157 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें पहली से आठवीं तक के छात्र शामिल हैं, ये सभी रोजाना टोपी लगाकर ही स्कूल आते हैं.

छात्रों में महात्मा गांधी को लेकर प्यार और लगाव की समाजसेवी भी तारीफ कर रहे हैं. हालांकि सुविधाओं की कमी के चलते स्कूल में दर्ज छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है. ऐसे में कुछ समाजसेवियों ने मांग है कि सालों से जिस स्कूल ने गांधी के सिद्धातों को अपनाया है, उस स्कूल पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

हरदा जिले का ये स्कूल अपनी खासियत के चलते औरों से जुदा है. यहां पढ़ने वाले बच्चों में महात्मा गांधी को जानने और समझने की ललक है. इसलिए वह सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलते के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं.

Intro:जहां एक ओर पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांतों और पदचिन्हों पर चलने को लेकर देश के प्रमुख राजनैतिक दलों में होड़ सी लगी हुई है।वही मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्राम छीपाबड़ की सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में बीते 125 सालों से लगातार प्रतिदिन स्कूली बच्चों के द्वारा गांधी टोपी पहनकर लोगो को सत्य और अहिंसा के सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।खिरकिया जिले का यह स्कूल में पहले तो दर्ज संख्या अच्छी हुआ करती थी।लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और निजी स्कूलों के खुलने से यहां हर साल दर्ज संख्या में कमी आ रही है।यहां के छात्र गांधी टोपी पहनने के बाद अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं।


Body:हरदा के इस स्कूल में बीते 125 सालों से छात्रों के टोपी पहनकर स्कूल आने की परंपरा है।जिसकी पहचान अब गांधी टोपी वाले स्कूल के रूप में हो गई है।जिले के ग्राम छीपाबड़ में खंडवा रोड के किनारे बने इस स्कूल की स्थापना 1 जनवरी 1892 को हुई थी।तब से लेकर आज तक यहां के छात्रों को इस परंपरा को सतत जारी रखा हुआ है।पहली से आठवीं तक के सभी छात्रों के द्वारा आज भी टोपी लगाकर ही स्कूल आया जाता है।जिसको पहनने से गर्व महसूस होने के साथ साथ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने को लेकर प्रेरणा भी मिलती है।इस स्कूल के पूर्व छात्र आज देश के महानगरों सहित विदेशों में कार्य कर अपनी स्कूल का नाम रोशन कर रहे है।
बाईट-राहुल मालाकर,छात्र
बाईट-रेहान खान ,छात्र


Conclusion:स्कूल की शिक्षिका का कहना है कि पहली से आठवीं तक यहां पर 157 छात्र अध्ययन कर रहे है।जो प्रतिदिन टोपी लगाकर ही स्कूल आते है।चूंकि पहले गांधी टोपी हमारे शान हुआ करती थी।जिसका यहा पर 1892 से लेकर अब तक के सभी छात्र कर रहे है।जो अब स्कूल की पहचान बन चुकी है।
बाईट-पूर्णिमा पाराशर,शिक्षिका
उधर समाजसेवी शांति जैसानी का कहना है कि सालो से जिस स्कूल ने गांधी जी के सिद्धांतों को अपना कर रखा हुआ है शासन को इस स्कूल को एक आर्दश स्कूल के रूप में तैयार करना चाहिए।वही गाँधीजी के आदर्शों को लेकर होड़ करने वाले लोगो को इस स्कूल से सीख लेनी चाहिए।
बाईट-शांति जैसानी,समाजसेवी एवं अधिवक्ता
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