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मदारीपुर जंक्शन का हुआ मंचन, 'कहानी लिखो' प्रतियोगिता का भी हुआ आयोजन

प्रो. प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, मध्यप्रदेश संस्कृति संचनालय और नगर पालिका हरदा के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिन तक चलने वाले नाटक और लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.

Pro Prem Shankar Raghuvanshi Memorial Festival organized in harda
प्रो प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति समारोह का आयोजन
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Published : Dec 22, 2019, 9:47 AM IST

Updated : Dec 22, 2019, 12:37 PM IST

हरदा। प्रो. प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति में हरदा में तीन दिनों तक चलने वाला 15 वां नाट्य समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, मध्यप्रदेश संस्कृति संचनालय और नगर पालिका के संयुक्त तत्वधान में नाटक और लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के अंतिम दिन मदारीपुर जंक्शन के मंचन के साथ ही प्रो.प्रेमशंकर रघुवंशी फाउंडेशन के माध्यम से कहानी लिखो स्पर्धा का आयोजन किया गया और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया.

प्रो. प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति समारोह का आयोजन

समारोह के पहले दिन 'जितने लब उतने अफसाने' और 'आषाढ़ का एक दिन' जैसे नाटकों का मंचन इप्टा के निर्देशन संजय तेनगुरिया ने किया. दूसरे दिन 'तुमने क्यो कहा था मैं खूबसूरत हूं' का मंचन इरशाद खान और अंतिम दिन 'मदारीपुर जंक्शन' का निर्देशन आलोक चटर्जी ने किया. जिसमें 'मदारीपुर जंक्शन' दर्शकों को पसंद आया और लोग इसकी सराहना करते भी नजर आए.

'मदारीपुर जंक्शन' समाज के हर एक वर्ग को और उनकी समस्याओं को दर्शाता है. नाट्य मंच एक प्रकार का सामाजिक विसंगतियों एवं कुरीतियों को भी दिखाता है. साथ ही नाटक में समाज के प्रति, कानून के प्रति, मीडिया और उच्च वर्ग के प्रति व्यंग भूी किया गया.

हरदा। प्रो. प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति में हरदा में तीन दिनों तक चलने वाला 15 वां नाट्य समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, मध्यप्रदेश संस्कृति संचनालय और नगर पालिका के संयुक्त तत्वधान में नाटक और लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के अंतिम दिन मदारीपुर जंक्शन के मंचन के साथ ही प्रो.प्रेमशंकर रघुवंशी फाउंडेशन के माध्यम से कहानी लिखो स्पर्धा का आयोजन किया गया और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया.

प्रो. प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति समारोह का आयोजन

समारोह के पहले दिन 'जितने लब उतने अफसाने' और 'आषाढ़ का एक दिन' जैसे नाटकों का मंचन इप्टा के निर्देशन संजय तेनगुरिया ने किया. दूसरे दिन 'तुमने क्यो कहा था मैं खूबसूरत हूं' का मंचन इरशाद खान और अंतिम दिन 'मदारीपुर जंक्शन' का निर्देशन आलोक चटर्जी ने किया. जिसमें 'मदारीपुर जंक्शन' दर्शकों को पसंद आया और लोग इसकी सराहना करते भी नजर आए.

'मदारीपुर जंक्शन' समाज के हर एक वर्ग को और उनकी समस्याओं को दर्शाता है. नाट्य मंच एक प्रकार का सामाजिक विसंगतियों एवं कुरीतियों को भी दिखाता है. साथ ही नाटक में समाज के प्रति, कानून के प्रति, मीडिया और उच्च वर्ग के प्रति व्यंग भूी किया गया.

Intro:संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ,मध्यप्रदेश संस्कृति संचनालय एवं नगर पालिका परिषद के सँयुक्त तत्वावधान में प्रो प्रेमशंकर रघुवंशी स्मृति में तीन दिवसीय नाट्य समारोह का आयोजन किया गया।15 वे नाट्य समारोह के पहले दिन जितने लब उतने अफसाने एवं आषाढ़ का एक दिन का मंचन इप्टा के निर्देशन संजय तेनगुरिया,तुमने क्यो कहा था मैं खूबसूरत हूँ का मंचन इरशाद खान एवं मदारीपुर जंक्शन का निर्देशन आलोक चटर्जी के द्वारा किया गया।वही प्रो प्रेमशंकर रघुवंशी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कहानी लिखो स्पर्धा के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।


Body:मदारीपुर जंक्शन नाटक में दो उच्च वर्ग के लोग छेड़ी बाबू ओर बैरागी बाबू जो कि आपस मे अच्छे दोस्त हुआ करते थे।किन्ही कारणों से दोनों के बीच तकरार हो गया।जिसके चलते उनकी लड़ाई चुनाव के रूप में बदल गई। गांव में बैरागी बाबू इकलौते शिक्स्पीयर है और उनके मित्र वेद बाबू जो जाने माने चाणक्य नीति के है।खुद ने कभी डॉक्टर की पढ़ाई तो नही कर पाए लेकिन पूरे गांव में वेद बाबू जरूर कहलाए।
छेदी बाबू के करीबी लल्लन मल्लन भतीजा बिजई अपने चाचा से नफरत की वजह से बीच चुनाव में अपोजिशन के प्रत्याशी बैरागी बाबू के हो जाते है।इस दौरान उन पर दो लोगों की मौत का आरोप लगा देते है।


Conclusion:इसमें इन दोनों के बीच की लड़ाई के बीच में हरिजन टोला फंस जाता है।यहां पर रहने वाली एक महिला मेघिया जिन्हें नेताजी अपना करीबी मानते है और चुनावी रंजिश की लड़ाई की आग में झुलस कर मृत्यु को प्राप्त कर लेते है।
मदारीपुर जंक्शन में समाज के हर एक वर्ग को एवं उनकी समस्याओं को दर्शाता है।यह एक प्रकार का सामाजिक विसंगतियों एवं कुरीतियों को भी दिखाता है।जो उच्च वर्ग के लोग आपस मे लड़कर और प्रतिस्पर्धा करते हुए निम्न वर्ग के लोगो को दबाते है।इस नाटक में समाज के प्रति,कानून के प्रति,मीडिया के प्रति ओर उच्च वर्ग के प्रति व्यंग है।
बाईट- संजय तेनगुरिया
निर्देशक इप्टा हरदा
Last Updated : Dec 22, 2019, 12:37 PM IST
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