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हरदा के हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर है मुल्ला दो प्याजा की मजार - akbhar

हरदा जिले में ऐतिहासिक महत्व की मुल्ला दो प्याजा की ऐतिहासिक महत्व की मजार है, लेकिन अब उनकी ये मजार प्रशासनिक अनदेखी की भेंट चढ़ रही है.

मुल्ला दो प्याजा की मजार
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Published : Mar 18, 2019, 12:13 AM IST

हरदा। हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर बनी मुल्ला दो प्याजा की मजार प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रही है. हंडिया में सैकड़ों साल से वीरान पड़ी इस मजार में पुरातत्व विभाग सुधार कार्य करा चुका है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की अनदेखी ने इसे बदहाली में पहुंचा दिया है.

मुल्ला दो प्याजा मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में शुमार थे. कहा जाता है कि जब सम्राट अकबर दक्कन की यात्रा पर जा रहे थे उसी दौरान रास्ते में मुल्ला दो प्याजा की मौत हो गई, जिसके बाद उन्हें हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. तभी से उनकी याद में हंडिया में ताजिए भी निकाले जाते हैं.

हरदा के हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर है मुल्ला दो प्याजा की मजार

अकबर के दरबार में हर नवरत्न अपने किसी खास गुण के लिए जाना जाता था. बीरबल जहां अपनी हाजिर जवाबी के लिए तो मुल्ला दो प्याजा अपने चुटकुलों के लिए मशहूर थे. मुल्ला दो प्याजा का असल नाम अब्दुल हसन था. कहा जाता है कि अब्दुल हसन को भोजन में दो प्याज पसंद थे, जिसके चलते सम्राट अकबर उन्हें दो प्याजा कहकर बुलाते थे. यही वजह है कि उनका नाम मुल्ला दो प्याजा पड़ गया.

हरदा। हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर बनी मुल्ला दो प्याजा की मजार प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रही है. हंडिया में सैकड़ों साल से वीरान पड़ी इस मजार में पुरातत्व विभाग सुधार कार्य करा चुका है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की अनदेखी ने इसे बदहाली में पहुंचा दिया है.

मुल्ला दो प्याजा मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में शुमार थे. कहा जाता है कि जब सम्राट अकबर दक्कन की यात्रा पर जा रहे थे उसी दौरान रास्ते में मुल्ला दो प्याजा की मौत हो गई, जिसके बाद उन्हें हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. तभी से उनकी याद में हंडिया में ताजिए भी निकाले जाते हैं.

हरदा के हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर है मुल्ला दो प्याजा की मजार

अकबर के दरबार में हर नवरत्न अपने किसी खास गुण के लिए जाना जाता था. बीरबल जहां अपनी हाजिर जवाबी के लिए तो मुल्ला दो प्याजा अपने चुटकुलों के लिए मशहूर थे. मुल्ला दो प्याजा का असल नाम अब्दुल हसन था. कहा जाता है कि अब्दुल हसन को भोजन में दो प्याज पसंद थे, जिसके चलते सम्राट अकबर उन्हें दो प्याजा कहकर बुलाते थे. यही वजह है कि उनका नाम मुल्ला दो प्याजा पड़ गया.

Intro:हरदा जिले के हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर लगभग 15 वी शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के नो रत्नों में से एक मुल्ला दो प्याजा की मजार है। मुल्ला दो प्याजा नाम का अकबर का यह रत्न बहुत ही तिकड़मबाज था। जिसका असल नाम अब्दुल हसन था।जिस तरह दरबारे अकबर में
वीरबल अपनी हाजिर जबावी के लिए तो मुल्ला दो प्याजा के चुटकुले भी उतने ही मशहूर थे।अब्दुल हसन ने मुल्ला दो प्याजा नाम की हास्य कृति लिखी थी।सम्राट अकबर के साथ दक्कन की ओर जाते वक्त उनकी तबियत बिगड़ गई थी।और फिर हंडिया में नर्मदा नदी के तट पर उन्हें सुपुर्द ख़ाक किया गया था।मुल्ला दो प्याजा की मजार के पास रहने वाले मुस्लिम परिवार के लोगों के द्वारा मोहर्रम के समय उनकी याद में हर साल ताजिए बनाये जाते हैं।


Body:मुगल बादशाह अकबर के दरबार मे नो रत्न थे।अबुल फजल, तानसेन, भगवान दास,अब्दुल रहीम खाने खाना, टोडरमल, मानसिंह,मुल्ला दो प्याजा,हकीम हुक्काम।
इनमें से मुल्ला दो प्याजा अरब देश का रहने वाला था।हुमायूं के समय मे मुल्ला दो प्याजा के भारत आने के बारे मे बताया जाता है।भोजन के समय उसे दो प्याजा अधिक पसंद थे।जिसके चलते सम्राट अकबर ने उसे दो प्याजा के नाम से संबोधित किया था।अपनी


Conclusion:हंडिया में सैकड़ों सालों से वीरान पड़ी हुई इस मजार को पुरात्तव विभाग ने अपने कब्जे में लेकर उसमें कुछ सुधार कार्य कराया गया था।लेकिन उसके बाद से यहां की सुध लेने कोई आगे नही आया है।यहां के रहवासियों की माने तो उन्हें कुछ सालों तक इस मजार की देखरेख करने के लिए शासन से।सहयोग राशि दी जाती थी लेकिन अब कई सालों से यह भी बंद हो गई है।इन परिवारों के द्वारा हर साल मुल्ला दो प्याजा नामक रत्न की याद में मोहर्रम पर ताजिए बनाये जाते है।
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