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संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जल व्रत, विधि-विधान से की पूजा-अर्चना

प्रदेश भर में महिलाओं ने बड़े ही धूमधाम से मनाया हल छठ. प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर हल छठ की पूजा कर माताओं ने अपनी संतान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध उनके दीर्घायु की कामना की.

संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जल व्रत
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Published : Aug 21, 2019, 11:28 PM IST

हरदा/डिंडौरी/पन्ना। अपनी संतान की दीर्घायु के लिये महिलाओं ने हल छठ पर निर्जला व्रत रखकर पूजा अर्चना की. जिसमें पलास और कुश के पत्तों में रखकर भगवान की पूजा की गई. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी व्रत या हलछठ पर्व मनाया जाता है. ये त्योहार भगवान कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.

संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जल व्रत
हरदा जिले में महिलाओं ने मंदिरों और घरों में सामूहिक रूप से पलाश के पत्तों में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय को रखकर विधि विधान से पूजा अर्चना की. जिसके बाद व्रत की कथा भी सुनाई.डिंडौरी जिले के शहपुरा सहित सभी जगह संतान की लंबी उम्र की कामना का त्योहार मनाया गया. जिसके बाद शाम को भैंस के दूध, गोबर, महुआ, केला, नारियल के साथ महुलिआ की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना कर पारण करती हैं.वहीं पन्ना के प्राचीन श्रीबलदेव मंदिर में हलछठ महोत्सव की धूम देखने को मिली. बलदेव जी मंदिर में हल छठ महोत्सव प्रति वर्ष मनाया जाता है. जिसमें शामिल होने के लिए आस-पास के जिलों से भी लोग आते हैं.

हरदा/डिंडौरी/पन्ना। अपनी संतान की दीर्घायु के लिये महिलाओं ने हल छठ पर निर्जला व्रत रखकर पूजा अर्चना की. जिसमें पलास और कुश के पत्तों में रखकर भगवान की पूजा की गई. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी व्रत या हलछठ पर्व मनाया जाता है. ये त्योहार भगवान कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.

संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जल व्रत
हरदा जिले में महिलाओं ने मंदिरों और घरों में सामूहिक रूप से पलाश के पत्तों में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय को रखकर विधि विधान से पूजा अर्चना की. जिसके बाद व्रत की कथा भी सुनाई.डिंडौरी जिले के शहपुरा सहित सभी जगह संतान की लंबी उम्र की कामना का त्योहार मनाया गया. जिसके बाद शाम को भैंस के दूध, गोबर, महुआ, केला, नारियल के साथ महुलिआ की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना कर पारण करती हैं.वहीं पन्ना के प्राचीन श्रीबलदेव मंदिर में हलछठ महोत्सव की धूम देखने को मिली. बलदेव जी मंदिर में हल छठ महोत्सव प्रति वर्ष मनाया जाता है. जिसमें शामिल होने के लिए आस-पास के जिलों से भी लोग आते हैं.
Intro:हरदा जिले में आज महिलाओं के द्वारा अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना को लेकर हलछठ की पूजा की साथ ही माताओं ने अपने बेटे की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी उन्नति की कामना की।महिलाओं ने मंदिरों और घरों में सामूहिक रूप से पलास और कुशा के पत्तो के नीचे भगवान शिव,माता पार्वती,भगवान गणेश,कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।साथ ही अपने घर मे सुख एवं सम्रद्धि के लिए भी प्रार्थना की गई।


Body:हलछठ का त्यौहार भादौ मास के कृष्णपक्ष की छठ तिथि को किया जाता है।इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।इस पूजन के दिन महिलाओं के द्वारा केवल भैस के दूध का ही सेवन किया जाता है।वही एक पुत्र के लिए छः दोनों में धानी फूटाने महुआ का भोग लगाकर अपने पुत्र को तिलक लगाती है।वही उन्हीं दोनों को भरकर बच्चो को बाटे जाते है।
बाईट - श्रीमति सीता पाराशर,हरदा


Conclusion:मान्यताओं के अनुसार जब अश्वस्थामा ने ब्रम्ह शीर अस्त्र चलाकर उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने की कोशिश की थी।तब भगवान कृष्ण ने उसकी रक्षा की थी। उस समय भगवान ने उत्तरा से हलछठ के व्रत को कराया गया था।जिसके बाद उत्तरा ने राजा परीक्षित को जन्म दिया जो उत्तरा ओर अभिमन्यु का पुत्र था।
बाईट-श्रीमति नमृता मिश्र,हरदा
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