ETV Bharat / state

प्रशासनिक उदासीनता के चलते किसानों की जमीन लील रही है सयानी नदी

हरदा जिले से निकलने वाली सयानी नदी हर साल किसानों की जमीन को लील रही है. ग्रामीणों की माने तो पिछले 15 सालों में नदी ने लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में क्षेत्र में रास्ते बना लिए हैं. वहीं कलेक्टर अब मामले को दिखाने की बात कर रहे हैं.

सयानी नदी
author img

By

Published : Mar 30, 2019, 10:32 PM IST

हरदा। जिले से निकलने वाली सयानी नदी हर साल किसानों की जमीन को लील रही है. वजह है बारिश के दिनों में इस नदी में आने वाली बाढ़. हर साल बाढ़ ने अन्नदाता के खेतों को नदी में ही मिला दिया है. आलम ये है कि कुछ किसानों की खेती वाली जमीन का रखबा ही आधा हो गया है. इसकी प्रमुख वजह भी प्रकृति से छेड़छाड़ है, क्षेत्र में खनिज माफिया लगातार पेड़ों की कटाई और उत्खनन कर रहे हैं.

किसानों की जमीन लील रही है सयानी नदी

खनिज माफिया लगातार सयानी नदी और उसके आस-पास के क्षेत्र में उत्खनन कर रहे हैं. वहीं प्रशासन आंख मूंदे हुए हैं. कहा था ये भी जा रहा है कि क्षेत्र में अवैध उत्खनन प्रशासनिक अधिकारियों की छत्र छाया में ही किया जा रहा है. यही वजह है कि सयानी नदी के किनारे वालों खेतों में अब मिट्टी नहीं बल्कि बड़े-बड़े पत्थर आ गए हैं.

ग्रामीणों की माने तो पिछले 15 सालों में नदी ने लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में क्षेत्र में रास्ते बना लिए हैं. गांव वालों का ये भी कहना है कि प्रशासन नानी मकड़ाई के पास डेम का निर्माण कर देता तो ये कटाव कुछ हद तक रुक भी जाता. वहीं वन विभाग की मिली भगत से लोग नदी किनारों पर ईंट भट्टे भी चला रहे हैं, लेकिन उन्हें भी नहीं रोका जा रहा.


जल संसाधन विभाग ने तो करीब नौ साल पहले ही यहां डेम के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन तत्कालीन मंत्री विजय शाह और टिमरनी विधायक संजय शाह की उदासीनता के चलते प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. जिससे बीते 9 सालों में किसानों की समस्या और अधिक बढ़ गई है. वहीं मामले में कलेक्टर का कहना है कि उन्हें अभी जानकारी मिली है, अब वे इंजीनियर की टीम भेजकर भौगोलिक निरीक्षण कराएंगे, ताकि जरूरी समाधान किए जा सके.

हरदा। जिले से निकलने वाली सयानी नदी हर साल किसानों की जमीन को लील रही है. वजह है बारिश के दिनों में इस नदी में आने वाली बाढ़. हर साल बाढ़ ने अन्नदाता के खेतों को नदी में ही मिला दिया है. आलम ये है कि कुछ किसानों की खेती वाली जमीन का रखबा ही आधा हो गया है. इसकी प्रमुख वजह भी प्रकृति से छेड़छाड़ है, क्षेत्र में खनिज माफिया लगातार पेड़ों की कटाई और उत्खनन कर रहे हैं.

किसानों की जमीन लील रही है सयानी नदी

खनिज माफिया लगातार सयानी नदी और उसके आस-पास के क्षेत्र में उत्खनन कर रहे हैं. वहीं प्रशासन आंख मूंदे हुए हैं. कहा था ये भी जा रहा है कि क्षेत्र में अवैध उत्खनन प्रशासनिक अधिकारियों की छत्र छाया में ही किया जा रहा है. यही वजह है कि सयानी नदी के किनारे वालों खेतों में अब मिट्टी नहीं बल्कि बड़े-बड़े पत्थर आ गए हैं.

ग्रामीणों की माने तो पिछले 15 सालों में नदी ने लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में क्षेत्र में रास्ते बना लिए हैं. गांव वालों का ये भी कहना है कि प्रशासन नानी मकड़ाई के पास डेम का निर्माण कर देता तो ये कटाव कुछ हद तक रुक भी जाता. वहीं वन विभाग की मिली भगत से लोग नदी किनारों पर ईंट भट्टे भी चला रहे हैं, लेकिन उन्हें भी नहीं रोका जा रहा.


जल संसाधन विभाग ने तो करीब नौ साल पहले ही यहां डेम के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन तत्कालीन मंत्री विजय शाह और टिमरनी विधायक संजय शाह की उदासीनता के चलते प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. जिससे बीते 9 सालों में किसानों की समस्या और अधिक बढ़ गई है. वहीं मामले में कलेक्टर का कहना है कि उन्हें अभी जानकारी मिली है, अब वे इंजीनियर की टीम भेजकर भौगोलिक निरीक्षण कराएंगे, ताकि जरूरी समाधान किए जा सके.

Intro:हरदा जिले के मकड़ाई वन परिक्षेत्र के जंगलों से निकलने वाले सयानी नदी हर साल बारिश में आने वाली बाढ़ के दौरान उफान पर आ जाती है।पहाड़ो पर तेज बारिश होने की वजह से सयानी नदी में पानी का बहाव अन्य नदियों की तुलना में अधिक होता है।जिसके चलते यह नदी पिछले 15 सालों में किसानों की उपजाऊ जमीन को लील रही है।नदी किनारे के खेतों में अब नदी ने अपना रास्ता बना लिया है।जिसके चलते किसानों की उपजाऊ जमीन अब बंजर हो गई है।वही कुछ किसानों की जमीन का रकवा भी आधा हो गया है।यहां वन परिक्षेत्र में पिछले कई सालों से लगातार पेड़ो की कटाई होने के साथ साथ सड़क निर्माण और अन्य कार्यो के लिए ठेकेदारों ओर खनिज माफियाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की साठगांठ से नदी से मनमाने तरीके से दोहन किया गया है।जिसके चलते नदी ने अपनी दिशा बदल ली है।लेकिन इस ओर ना ही वन विभाग और ना ही जिला प्रशासन ने कोई ध्यान दिया है।जिसके चलते इस छोटी नदी का पाट कई जगहों पर नर्मदा नदी से भी चौडा हो गया है।
जिले के प्राचीन मकडाई के किले के चारों तरफ़ से बहने वाली सयानी नदी पूरे क्षेत्र में अपनी एक विशेषता के लिए जानी है।इस नदी को लेकर एक कहावत मशहूर है।
"नदी सयानी ऊपर पत्थर नीचे पानी"

जिले के प्राचीन मकडाई के किले के चारो ओर बहने वाली सयानी नदी अपनी इस कहावत के लिए जानी जाती है।
"नदी सयानी ऊपर पत्थर नीचे पानी"

बाइट 1- पंडित सत्यनारायण जोशी
पूर्व सरपंच ग्राम खुदिया
बाइट 2 - सोमलाल देवड़ा
पीड़ित किसान ग्राम बिचपुरीमाल
बाइट 3 - लक्ष्मण कलमे
पीड़ित किसान ग्राम बिचपुरीमाल




Body:वनग्राम चुरनी से निकल कर लगभग 55 किलोमीटर दूर बहकर ग्राम नीमसराय के पास माचक नदी में मिलने वाली सयानी नदी के किनारे बसे खेतो में अनेको जगह मिट्टी की जगह अब बड़े बड़े पत्थर आने से किसानों के लिए खेती कर पाना मुश्किल हो गया है।यहां मिट्टी का कटाव लगातार बढ़ता जा रहा है।यहां के ग्रामीणों की माने की माने तो पिछले 15 सालों के भीतर इस नदी ने ग्राम बिचपुरीमॉल ओर मुंडासेल के पास लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में दो जगह से रास्ते बना लिए है।यहां यदि शासन के द्वारा ग्राम नानी मकडाई के पास डेम निर्माण किया जाता हो शायद कुछ हद तक यहां इस नदी के तेज वेग से हो रहे मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता था।यहां पर वन विभाग की मिली भगत से लोग नदी के किनारों पर धड़ल्ले से ईंट बनाने का काम कर रहे हैं।लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नही है।


Conclusion:जल संसाधन विभाग के द्वारा करीब नो साल पहले इस नदी पर नानी मकडाई परियोजना से प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था।इस दौरान मकडाई राजघराने के दो भाई भाजपा सरकार में थे।एक भाई कुँअर विजय शाह जो मध्यप्रदेश सरकार में कैविनेट मंत्री थे।वही दूसरे भाई संजय शाह टिमरनी से भाजपा विधायक थे।लेकिन उन लोगो की उदासीनता के चलते करीब 40 करोड़ की लागत से बनकर तैयार होने वाली नानी मकडाई परियोजना ठंडे बस्ते में रखा गई है।और हर साल यह नदी बारिश में बिकराल रूप में आकर उपजाऊ जमीन को लील रही है।यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगो के पास वैसे ही कम जमीन होती हैं।जो भी हर साल सयानी नदी में बाढ़ आने की वजह से कम हो जाती है।इस ओर जिला प्रशासन को ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
इस मामले को लेकर कलेक्टर एस विश्वनाथन ने कहा कि आपके माध्यम से मुझे यह जानकारी मिली है।हम वहां इंजीनियर्स को भेजकर एनालिसिस किया जाकर किसानों की जमीन को बचाने के लिए जरूरी होगा वह किया जाएगा।
बाईट - एस विश्वनाथन
डीएम, हरदा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.