हरदा। जिले से निकलने वाली सयानी नदी हर साल किसानों की जमीन को लील रही है. वजह है बारिश के दिनों में इस नदी में आने वाली बाढ़. हर साल बाढ़ ने अन्नदाता के खेतों को नदी में ही मिला दिया है. आलम ये है कि कुछ किसानों की खेती वाली जमीन का रखबा ही आधा हो गया है. इसकी प्रमुख वजह भी प्रकृति से छेड़छाड़ है, क्षेत्र में खनिज माफिया लगातार पेड़ों की कटाई और उत्खनन कर रहे हैं.
खनिज माफिया लगातार सयानी नदी और उसके आस-पास के क्षेत्र में उत्खनन कर रहे हैं. वहीं प्रशासन आंख मूंदे हुए हैं. कहा था ये भी जा रहा है कि क्षेत्र में अवैध उत्खनन प्रशासनिक अधिकारियों की छत्र छाया में ही किया जा रहा है. यही वजह है कि सयानी नदी के किनारे वालों खेतों में अब मिट्टी नहीं बल्कि बड़े-बड़े पत्थर आ गए हैं.
ग्रामीणों की माने तो पिछले 15 सालों में नदी ने लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में क्षेत्र में रास्ते बना लिए हैं. गांव वालों का ये भी कहना है कि प्रशासन नानी मकड़ाई के पास डेम का निर्माण कर देता तो ये कटाव कुछ हद तक रुक भी जाता. वहीं वन विभाग की मिली भगत से लोग नदी किनारों पर ईंट भट्टे भी चला रहे हैं, लेकिन उन्हें भी नहीं रोका जा रहा.
जल संसाधन विभाग ने तो करीब नौ साल पहले ही यहां डेम के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन तत्कालीन मंत्री विजय शाह और टिमरनी विधायक संजय शाह की उदासीनता के चलते प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. जिससे बीते 9 सालों में किसानों की समस्या और अधिक बढ़ गई है. वहीं मामले में कलेक्टर का कहना है कि उन्हें अभी जानकारी मिली है, अब वे इंजीनियर की टीम भेजकर भौगोलिक निरीक्षण कराएंगे, ताकि जरूरी समाधान किए जा सके.