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हरदा: जीवनदायिनी अजनाल नदी गंदगी की वजह से हुई दूषित, मवेशियों के पीने लायक भी नहीं रहा पानी

जिले की जीवनदायिनी कहलाने वाली अजनाल नदी प्रशासन की अनदेखी के कारण गंदगी की वजह से दूषित हो गई है. विश्व जल दिवस के अवसर पर भले ही पानी को बचाने के दावे किए जाते हो. लेकिन प्रशासन के यह सारे दावे अजनाल नदी सहित अन्य छोटी नदियों की दुर्दशा देखने के बाद झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं.

grip of dirt
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Published : Mar 22, 2019, 10:06 PM IST

हरदा। जिले की जीवनदायिनी कहलाने वाली अजनाल नदी प्रशासन की अनदेखी के कारण गंदगी की वजह से दूषित हो गई है. विश्व जल दिवस के अवसर पर भले ही पानी को बचाने के दावे किए जाते हो. लेकिन प्रशासन के यह सारे दावे अजनाल नदी सहित अन्य छोटी नदियों की दुर्दशा देखने के बाद झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं.

नगर पालिका परिषद ने अजनाल नदी को प्रदूषण और गंदगी से बचाने के लिए केंद्र सरकार की योजना के माध्यम से प्लांनिग कर काम शुरु करने वाले थे. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. जिले के रहटगांव के पास ग्राम गोराखाल के जंगलों से निकली यह नदी हजारों मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराती है. लेकिन अनदेखी के कारण नदी के ऊपरी सतह पर काई जम गई है. जिससे पानी से बादबू आने लगा है.

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रेवा पर्यावरण क्लब से जुड़े शिक्षक कमलेश पारे का कहना है कि अजनाल नदी की सफाई को लेकर सामूहिक प्रयास की जरूरत है. प्रशासन और आम लोगों को इसकी सफाई के लिए आगे आना चाहिए. वहीं पीएचई विभाग के एसडीओ यूके चौधरी का कहना है कि विश्व में पाए गए कुल पानी का 3 प्रतिशत ही जल पीने के योग्य है. जिसे हम सभी को बचाकर रखना चाहिए. गांवों और शहरों के आसपास लोगो के द्वारा नदियों को ज्यादा प्रदूषित किया जाता है. जबकि नदियों के माध्यम से ही हमे जल स्रोतों में पानी मिलता है. सभी लोगों को नदियों की स्वच्छता के लिए आगे आना होगा.

हरदा। जिले की जीवनदायिनी कहलाने वाली अजनाल नदी प्रशासन की अनदेखी के कारण गंदगी की वजह से दूषित हो गई है. विश्व जल दिवस के अवसर पर भले ही पानी को बचाने के दावे किए जाते हो. लेकिन प्रशासन के यह सारे दावे अजनाल नदी सहित अन्य छोटी नदियों की दुर्दशा देखने के बाद झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं.

नगर पालिका परिषद ने अजनाल नदी को प्रदूषण और गंदगी से बचाने के लिए केंद्र सरकार की योजना के माध्यम से प्लांनिग कर काम शुरु करने वाले थे. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. जिले के रहटगांव के पास ग्राम गोराखाल के जंगलों से निकली यह नदी हजारों मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराती है. लेकिन अनदेखी के कारण नदी के ऊपरी सतह पर काई जम गई है. जिससे पानी से बादबू आने लगा है.

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रेवा पर्यावरण क्लब से जुड़े शिक्षक कमलेश पारे का कहना है कि अजनाल नदी की सफाई को लेकर सामूहिक प्रयास की जरूरत है. प्रशासन और आम लोगों को इसकी सफाई के लिए आगे आना चाहिए. वहीं पीएचई विभाग के एसडीओ यूके चौधरी का कहना है कि विश्व में पाए गए कुल पानी का 3 प्रतिशत ही जल पीने के योग्य है. जिसे हम सभी को बचाकर रखना चाहिए. गांवों और शहरों के आसपास लोगो के द्वारा नदियों को ज्यादा प्रदूषित किया जाता है. जबकि नदियों के माध्यम से ही हमे जल स्रोतों में पानी मिलता है. सभी लोगों को नदियों की स्वच्छता के लिए आगे आना होगा.

Intro:हरदा नगर की जीवनदायिनी कहलाने वाली अजनाल नदी इन दिनों अपनी बदहाली के आंसू बहाती नजर आ रही है।विश्व जल दिवस के अवसर पर भले ही पानी को बचाने के दावे किए जाते हो।लेकिन प्रशासन के यह सारे दावे अजनाल नदी सहित अन्य छोटी नदियों की दुर्दशा देखने के बाद झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं।उधर नदियों की इस दयनीय दशा के लिए कही ना कहीं आमजन भी जिम्मेदार हैं।जो अपने घर या आसपास की गंदगी और मृत मवेशियों को इन नदियों में लाकर फेंक देते हैं।परिणामस्वरूप कल कल बहने वाली इन नदियों का पानी भी मवेशियों के भी पीने के योग्य नहीं बचता है।


Body:हरदा नगर पालिका परिषद ने अजनाल नदी को प्रदूषण और गन्दगी से मुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट योजना के माध्यम से प्लांनिग तैयार कर डीपीआर बनना शुरू कर दी गई थी।लेकिन अब तक कोई काम शुरू नही हो सका है।जिले के रहटगांव के पास ग्राम गोराखाल के जंगलों से निकली यह नदी हजारों मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ साथ अनेको किसानों को सिचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराती है।पिछले 5 सालों से लगातार कम बारिश होने की वजह से भी नदियों में गर्मी के मौसम आने के साथ ही पानी की कमी आने लग गई है।लेकिन हरदा जिला मुख्यालय पर अजनाल नदी की हालत बहुत ही खराब हो गई है।यहां नदी के पानी के ऊपरी भाग पर कजी जम गई है।जिसके चलते नदी का पानी अब काला पड़ चुका है।लेकिन किसी भी जिम्मेदार के द्वारा नदी के पानी को साफ रखने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गए हैं।बीते सालों में कुछ एनजीओ ने नदियों के किनारों पर सफाई अभियान चलाया का ड्रामा जरूर किया गया था।लेकिन नदियों में सफाई होने की जगह अब पहले से ज्यादा गंदगी दिखाई दे रही है।जिला पंचायत के माध्यम से नदियों को बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए लेकिन हरदा में फिलहाल इस ओर कोई भी कार्यक्रम चलते नजर नहीं आ रहे हैं।


Conclusion:रेवा पर्यावरण क्लब से जुड़े शिक्षक कमलेश पारे का कहना है कि अजनाल नदी की सफाई को लेकर सामूहिक प्रयास की जरूरत है।प्रशासन और आम लोगों को इसकी सफाई के लिए आगे आना चाहिए।उधर पीएचई विभाग के एसडीओ यू के चौधरी का कहना है कि विश्व में पाए गए कुल पानी का 3 प्रतिशत ही जल पीने के योग्य है।जिसे हम सभी को बचाकर रखना चाहिए।गांवो ओर शहरों के आसपास लोगो के द्वारा नदियों को ज्यादा प्रदूषित किया जाता है।जबकि नदियों के माध्यम से ही हमे जल स्रोतों में पानी मिलता है।अतः सभी लोगो को नदियों की स्वच्छता के लिए आगे आना होगा।
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