ग्वालियर। चंबल अंचल की शिवपुरी विधानसभा सीट पारंपरिक तौर पर सिंधिया परिवार का गढ़ रही है. यहां जीत और हार के समीकरण सिंधिया परिवार ही तय करता आया है. इस विधानसभा सीट पर 2013 और उसके बाद 2018 जब बीजेपी के लिए ग्वालियर चंबल अंचल में जीत हासिल करना बड़ी चुनौती थी. उस वक्त भी विपरीत परिस्थितियों में यशोधरा राजे सिंधिया यहां जीत हासिल कर विधानसभा पहुंची थीं. अलग अंदाज और अपनी बेबाक शैली के लिए यशोधरा पहचानी जाती हैं. लेकिन अब उन्होंने अचानक से चुनाव के वक्त शिवपुरी विधानसभा सीट से चुनाव न लड़ने का फैसला ले लिया.
यशोधरा ने खराब सेहत का हवाला दिया : यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी की फाउंडर मेंबर राजमाता विजयाराजे सिंधिया की छोटी बेटी हैं. उनके लिए यह फैसला लेना इतना आसान नहीं था. लेकिन वर्तमान में यशोधरा राजे सिंधिया पार्टी में कई चुनौतियों का सामना कर रही थीं. उन्हें शिवपुरी जिले में पार्टी के भीतर गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि 20 दिन पहले तक यशोधरा राजे यहां पर चुनावी हुंकार भर रही थीं, लेकिन अचानक उनका मन बदल गया. उन्होंने कुछ दिन पहले बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए वीरेंद्र रघुवंशी को भी चुनावी मैदान में ललकारा था. यशोधरा राजे सिंधिया के फैसले के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि बीजेपी इस मामले में यशोधरा के चुनाव न लड़ने के पीछे उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला दे रही है.
ये खबरें भी पढ़ें... |
बीजेपी सांसद ने किया बचाव : वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी में महिला नेत्री अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं. उमा भारती से लेकर राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और उनकी छोटी बहन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया पार्टी के भीतर महिला होने की कीमत चुका रही हैं. यशोधरा राजे सिंधिया का चुनाव न लड़ना उसी का हिस्सा है. भाजपा में लगातार महिलाओं का सम्मान घट रहा है. वहीं, ग्वालियर से बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर इस मामले में बीजेपी व यशोधरा राजे का बचाव कर रहे हैं.