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World Bicycle Day: ग्वालियर में दो साल में कबाड़ हुई 500 स्मार्ट साइकिलें - विश्व साइकिल दिवस

ग्वालियर शहर के लोगों की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम पूरी तरह से फेल हो चुकी है. 2 साल में यहां 500 स्मार्ट साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो गई.

2 साल में कबाड़ हुई स्मार्ट साइकिल
2 साल में कबाड़ हुई स्मार्ट साइकिल
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Published : Jun 2, 2021, 9:30 PM IST

Updated : Jun 3, 2021, 8:53 PM IST

ग्वालियर। तीन साल पहले ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने शहर के लोगों को फिटनेस को ध्यान में रखते हुए पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम की शुरुआत की थी. इस योजना का शुभारंभ काफी जोर-शोर से किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य शहर के वायु प्रदूषण को कम करना था. शहर के लोगों की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए भी इस योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन स्मार्ट सिटी की ये स्कीम पूरी तरह से फेल हो चुकी है. क्योंकि 2 साल से कोरोना संक्रमण होने के कारण शहर के 50 डाक स्टैंड पर रखी 500 से ज्यादा साइकिल पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.

500 स्मार्ट साइकिल हुई कबाड़

मार्च 2020 में शहर में लॉक डाउन लग गया था, तब से लेकर अब तक स्मार्ट सिटी का एक करोड़ का पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट कबाड़ में तब्दील हो गया है. शहर के 50 डाक स्टेशन पर रखी 500 से अधिक स्मार्ट साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. इन स्टेशन पर रखी 70 फीसदी से अधिक स्मार्ट साइकिल खराब और न चलने की स्थिति में है. इन साइकिलों का मेंटेनेंस लंबे अरसे से नहीं किया गया है. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि स्टेशनों पर रखी इन अधिकतर साइकिलों में सीट गायब है तो किसी के पहिए में डग है. हालांकि स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह का कहना है कि 2 साल से संक्रमण होने के कारण साइकिलों का मेंटेनेंस नहीं हो पाया है लेकिन अब कोरोना कर्फ्यू हट चुका है, अब इस प्रोजेक्ट को जल्द ही शुरू किया जाएगा. ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके.

2 साल में कबाड़ हुई 500 स्मार्ट साइकिलें

3 साल पहले हुई थी शुरुआत

स्मार्ट सिटी ने निजी कंपनी याना के साथ मिलकर शहर के लोगों को स्वस्थ बनाने और पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके पब्लिक बाइक शेयरिंग की योजना की शुरुआत की थी. योजना का शुभारंभ होने के बाद धीरे-धीरे शहर के लोग इस योजना से जुड़ेने लगे थे. लेकिन योजना की शुरुआत के 6 महीने बाद ही कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया और शहरवासी घरों में कैद हो गए. सब कुछ बंद होने के कारण साइकिलिंग के प्रति लोगों का रुझान भी कम हो गया. तब से लेकर अब तक यह साइकिलें स्टैंड पर धूल खा रही है और कई साइकिलें तो कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.

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फिर से शुरू होगा प्रोजेक्ट

कोराना संक्रमण आने के बाद यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंद हो गया. यही कारण रहा कि जो लोग सुबह-शाम और अपने दफ्तरों के लिए साइकिल का उपयोग करते थे वह बंद हो गई. अब स्मार्ट सिटी इस प्रोजेक्ट को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी में जुट गया है. लेकिन स्मार्ट सिटी के सामने बड़ी चुनौती यह है कि 70 फीसदी से अधिक साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. अब इसको दोबारा से शुरू किया जाएगा.

कांग्रेस लगा रही है गड़बड़ी का आरोप

यह प्रोजेक्ट शुरु होने के बाद ये ही विवादों के घेरे में रहा है. भोपाल में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद ग्वालियर में भी स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप गड़बड़ी का मामला सामने आया था. स्मार्ट सिटी के अफसरों ने एक कर्नाटक की "याना" स्मार्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया था जिसमें गड़बड़ी का आरोप लगा था. इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि प्रोजेक्ट शुरू से विवादों में रहा है यह ऐसा पहला प्रोजेक्ट होगा जिसमें स्मार्ट सिटी ने कंपनी को साइकिल खरीदने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान और हर महीने में मेंटेनेंस के लिए 12 लाख 90 हजार के साथ मुफ्त में जगह दी है.

ग्वालियर। तीन साल पहले ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने शहर के लोगों को फिटनेस को ध्यान में रखते हुए पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम की शुरुआत की थी. इस योजना का शुभारंभ काफी जोर-शोर से किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य शहर के वायु प्रदूषण को कम करना था. शहर के लोगों की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए भी इस योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन स्मार्ट सिटी की ये स्कीम पूरी तरह से फेल हो चुकी है. क्योंकि 2 साल से कोरोना संक्रमण होने के कारण शहर के 50 डाक स्टैंड पर रखी 500 से ज्यादा साइकिल पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.

500 स्मार्ट साइकिल हुई कबाड़

मार्च 2020 में शहर में लॉक डाउन लग गया था, तब से लेकर अब तक स्मार्ट सिटी का एक करोड़ का पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट कबाड़ में तब्दील हो गया है. शहर के 50 डाक स्टेशन पर रखी 500 से अधिक स्मार्ट साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. इन स्टेशन पर रखी 70 फीसदी से अधिक स्मार्ट साइकिल खराब और न चलने की स्थिति में है. इन साइकिलों का मेंटेनेंस लंबे अरसे से नहीं किया गया है. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि स्टेशनों पर रखी इन अधिकतर साइकिलों में सीट गायब है तो किसी के पहिए में डग है. हालांकि स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह का कहना है कि 2 साल से संक्रमण होने के कारण साइकिलों का मेंटेनेंस नहीं हो पाया है लेकिन अब कोरोना कर्फ्यू हट चुका है, अब इस प्रोजेक्ट को जल्द ही शुरू किया जाएगा. ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके.

2 साल में कबाड़ हुई 500 स्मार्ट साइकिलें

3 साल पहले हुई थी शुरुआत

स्मार्ट सिटी ने निजी कंपनी याना के साथ मिलकर शहर के लोगों को स्वस्थ बनाने और पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके पब्लिक बाइक शेयरिंग की योजना की शुरुआत की थी. योजना का शुभारंभ होने के बाद धीरे-धीरे शहर के लोग इस योजना से जुड़ेने लगे थे. लेकिन योजना की शुरुआत के 6 महीने बाद ही कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया और शहरवासी घरों में कैद हो गए. सब कुछ बंद होने के कारण साइकिलिंग के प्रति लोगों का रुझान भी कम हो गया. तब से लेकर अब तक यह साइकिलें स्टैंड पर धूल खा रही है और कई साइकिलें तो कबाड़ में तब्दील हो चुकी है.

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फिर से शुरू होगा प्रोजेक्ट

कोराना संक्रमण आने के बाद यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंद हो गया. यही कारण रहा कि जो लोग सुबह-शाम और अपने दफ्तरों के लिए साइकिल का उपयोग करते थे वह बंद हो गई. अब स्मार्ट सिटी इस प्रोजेक्ट को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी में जुट गया है. लेकिन स्मार्ट सिटी के सामने बड़ी चुनौती यह है कि 70 फीसदी से अधिक साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. अब इसको दोबारा से शुरू किया जाएगा.

कांग्रेस लगा रही है गड़बड़ी का आरोप

यह प्रोजेक्ट शुरु होने के बाद ये ही विवादों के घेरे में रहा है. भोपाल में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद ग्वालियर में भी स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप गड़बड़ी का मामला सामने आया था. स्मार्ट सिटी के अफसरों ने एक कर्नाटक की "याना" स्मार्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया था जिसमें गड़बड़ी का आरोप लगा था. इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि प्रोजेक्ट शुरू से विवादों में रहा है यह ऐसा पहला प्रोजेक्ट होगा जिसमें स्मार्ट सिटी ने कंपनी को साइकिल खरीदने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान और हर महीने में मेंटेनेंस के लिए 12 लाख 90 हजार के साथ मुफ्त में जगह दी है.

Last Updated : Jun 3, 2021, 8:53 PM IST
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