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50 देशों में बिकता है टिंडमिंट पत्थर, घर में ही गुम हुई पहचान

ग्वालियर चंबल अंचल का ख्यातिप्राप्त टिंडमिंट सफेद पत्थर भले ही दुनिया के कई देशों में निर्यात हो रहा है, लेकिन अंचल के इस पत्थर को अपने शहर में ही सम्मान नहीं मिल रहा है.

White stone is not being recognized in the house
सफेद पत्थर को घर में नहीं मिल रही पहचान
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Published : Apr 6, 2021, 9:31 AM IST

ग्वालियर। देश ,विदेश में ग्वालियर का सफेद पत्थर टिंडमिंट पत्थर के नाम पहचान भले ही बना चुका हो, लेकिन यह अपने ही घर में ही पहचान का मोहताज है. हालांकि, अब इसे पहचान दिलाने के लिए सरकार नए सिरे से पत्थर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शुरुआत में ग्वालियर के स्टोन पार्क पर 241 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करने जा रही है. ग्वालियर का सफेद पत्थर करीब 50 से ज्यादा देशों में सप्लाई होता है और इसका सालाना एक्सपोर्ट लगभग 5 हजार करोड़ रुपए के करीब है.

सफेद पत्थर को घर में नहीं मिल रही पहचान

दुनिया में पहचान, घर में ही अंजाम

ग्वालियर चंबल अंचल का ख्याति प्राप्त यह सफेद पत्थर भले ही दुनिया के कई देशों में निर्यात हो रहा है, लेकिन अंचल भी इसे सम्मान नहीं मिल रहा है. नगर निगम ग्वालियर सहित शहर विकास के कामों में लगे दूसरे सरकारी विभाग भी टिंडमिंट पत्थर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. इसकी जगह राजस्थान से आने वाले लाल पत्थर को तरजीह दी जा रही है. अंचल में बहुतायत से पाए जाने वाले इस पत्थर की इस उपेक्षा से जहां पत्थर कारोबारी निराश हैं, बल्कि शहर के व्यापारी संगठन भी इसे गलत मानते हैं. कारोबारियों का कहना है कि ' वोकल फॉर लोकल ' का नारा देने वाली सरकार ही अपने लोकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल तक नहीं करती .

लाल के मुकाबले मजबूत और आकर्षक है सफेद पत्थर

ग्वालियर का पत्थर राजस्थान के लाल पत्थर के मुकाबले काफी मजबूत व आकर्षक है, लेकिन ग्वालियर नगर निगम विकास कार्यों में इस्तेमाल के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा है. इसकी जगह राजस्थान के धौलपुर से लाल पत्थर मंगवाते हैं. इससे न केवल लोकल पत्थर के कारोबारियों को नुकसान होता है, बल्कि लोकल प्रोडक्ट का प्रमोशन मार्किटिंग और उसकी ख्याति को भी चोट पहुंचती है. ग्वालियर का सफेद पत्थर गुणवत्ता के हिसाब से मजबूती में राजस्थान के पत्थर से बेहतर है. मामला प्रशासन की जानकारी में आने के बाद ग्वालियर कलेक्टर भरोसा दिलाते हैं अब से शहर में बनने वाली सरकारी इमारतों में ग्वालियर के सफेद पत्थर का ही उपयोग किया जाएगा.

लगाई जाएगी सेंड स्टोन की प्रदर्शनी

ग्वालियर का व्हाइट सेंड स्टोन जिला उत्पाद के तहत चयनित है, इसे लेकर जल्द ही ग्वालियर व्यापार मेला मैदान स्थित फेसिलिटेशन सेंटर में सेंड स्टोन की प्रदर्शनी में लगाई जाएगी. इसमें विदेशों के पत्थर खरीदारों को भी बुलाया जाएगा. बावजूद इसके लोकल पत्थर कारोबारियों की चिंता यह है कि देश के दूसरे राज्यों और विदेश से आने वाले खरीदार ग्वालियर में केवल दूसरे राज्य के पत्थरों की मौजूदगी ही देखेंगे जब तक सरकार खुद अपने लोकल प्रोडक्ट के लिए वोकल नहीं होती है.

शिक्षा के मंदिर में चंद रुपयों के लिए शिक्षक ने बेचीं बच्चों की किताबें

दुनिया में ग्वालियर में उपलब्ध सफेद पत्थर की मांग
ग्वालियर के स्टोन पार्क से ऑस्ट्रेलिया
साउथ अफ्रीका
सऊदी अरब
जापान
फ्रांस समेत यूरोप के अन्य देशों में सफेद पत्थर बड़ी मात्रा में सप्लाई किया जाता है.

अभी हाल में ही विदेश से आने वाले पत्थरों की खरीदारी के लिए प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

ग्वालियर। देश ,विदेश में ग्वालियर का सफेद पत्थर टिंडमिंट पत्थर के नाम पहचान भले ही बना चुका हो, लेकिन यह अपने ही घर में ही पहचान का मोहताज है. हालांकि, अब इसे पहचान दिलाने के लिए सरकार नए सिरे से पत्थर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शुरुआत में ग्वालियर के स्टोन पार्क पर 241 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करने जा रही है. ग्वालियर का सफेद पत्थर करीब 50 से ज्यादा देशों में सप्लाई होता है और इसका सालाना एक्सपोर्ट लगभग 5 हजार करोड़ रुपए के करीब है.

सफेद पत्थर को घर में नहीं मिल रही पहचान

दुनिया में पहचान, घर में ही अंजाम

ग्वालियर चंबल अंचल का ख्याति प्राप्त यह सफेद पत्थर भले ही दुनिया के कई देशों में निर्यात हो रहा है, लेकिन अंचल भी इसे सम्मान नहीं मिल रहा है. नगर निगम ग्वालियर सहित शहर विकास के कामों में लगे दूसरे सरकारी विभाग भी टिंडमिंट पत्थर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. इसकी जगह राजस्थान से आने वाले लाल पत्थर को तरजीह दी जा रही है. अंचल में बहुतायत से पाए जाने वाले इस पत्थर की इस उपेक्षा से जहां पत्थर कारोबारी निराश हैं, बल्कि शहर के व्यापारी संगठन भी इसे गलत मानते हैं. कारोबारियों का कहना है कि ' वोकल फॉर लोकल ' का नारा देने वाली सरकार ही अपने लोकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल तक नहीं करती .

लाल के मुकाबले मजबूत और आकर्षक है सफेद पत्थर

ग्वालियर का पत्थर राजस्थान के लाल पत्थर के मुकाबले काफी मजबूत व आकर्षक है, लेकिन ग्वालियर नगर निगम विकास कार्यों में इस्तेमाल के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा है. इसकी जगह राजस्थान के धौलपुर से लाल पत्थर मंगवाते हैं. इससे न केवल लोकल पत्थर के कारोबारियों को नुकसान होता है, बल्कि लोकल प्रोडक्ट का प्रमोशन मार्किटिंग और उसकी ख्याति को भी चोट पहुंचती है. ग्वालियर का सफेद पत्थर गुणवत्ता के हिसाब से मजबूती में राजस्थान के पत्थर से बेहतर है. मामला प्रशासन की जानकारी में आने के बाद ग्वालियर कलेक्टर भरोसा दिलाते हैं अब से शहर में बनने वाली सरकारी इमारतों में ग्वालियर के सफेद पत्थर का ही उपयोग किया जाएगा.

लगाई जाएगी सेंड स्टोन की प्रदर्शनी

ग्वालियर का व्हाइट सेंड स्टोन जिला उत्पाद के तहत चयनित है, इसे लेकर जल्द ही ग्वालियर व्यापार मेला मैदान स्थित फेसिलिटेशन सेंटर में सेंड स्टोन की प्रदर्शनी में लगाई जाएगी. इसमें विदेशों के पत्थर खरीदारों को भी बुलाया जाएगा. बावजूद इसके लोकल पत्थर कारोबारियों की चिंता यह है कि देश के दूसरे राज्यों और विदेश से आने वाले खरीदार ग्वालियर में केवल दूसरे राज्य के पत्थरों की मौजूदगी ही देखेंगे जब तक सरकार खुद अपने लोकल प्रोडक्ट के लिए वोकल नहीं होती है.

शिक्षा के मंदिर में चंद रुपयों के लिए शिक्षक ने बेचीं बच्चों की किताबें

दुनिया में ग्वालियर में उपलब्ध सफेद पत्थर की मांग
ग्वालियर के स्टोन पार्क से ऑस्ट्रेलिया
साउथ अफ्रीका
सऊदी अरब
जापान
फ्रांस समेत यूरोप के अन्य देशों में सफेद पत्थर बड़ी मात्रा में सप्लाई किया जाता है.

अभी हाल में ही विदेश से आने वाले पत्थरों की खरीदारी के लिए प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

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