ग्वालियर। ग्वालियर शहर में दिन ब दिन पानी की कमी बढ़ती जा रही है. पूरा शहर भीषण जल संकट की मार से परेशान है. आलम यह है कि ग्वालियर शहर में दो दिन में एक बार ही पानी की सप्लाई की जा रही है. शहर के सभी परंपरागत जल स्रोत देखरेख के अभाव में या तो सूख गए या फिर अतिक्रमण की चपेट में है. प्रशासन भी इन जल स्रोतों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. ग्वालियर की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन तिघरा बांध भी सूखता जा रहा है.
रियासत कालीन समय में ग्वालियर को पर्याप्त पानी मिले इसके लिए शहर के चारों ओर जलाशय और बांधों का निर्माण कराया गया था जिसमें बारिश का पानी जमा होता था. तब पानी को शहर की दो नदियों स्वर्णरेखा और मुरार नदी के माध्यम से शहर में भेजा जाता था. लेकिन देखरेख न होने से दोनों नदियां नाले में तब्दील हो गई. जबकि साथ ही शहर में आधा दर्जन बावड़िया अपनी बदहाली पर आंसू बहाती नजर आ रही है.
ग्वालियर में जलस्तर 350 से 400 फीट नीचे चला गया है. जबकि तिघरा बांध का जलस्तर भी लगातार गिरता जा रहा है. हालांकि ग्वालियर में व्याप्त जल संकट को खत्म करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की योजना है. लेकिन यह योजना कब तक पूरी होगी इस पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. पानी के जल संकट पर नगर-निगम के नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सपरा का कहना है कि कई बार जल संकट का मुद्दा वह नगर-निगम की परिषद में उठा चुके हैं, लेकिन नगर निगम द्वारा केवल कागजों में पुरानी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाता रहता है.
उनका कहना है कि शहर के वाटर हार्वेस्टिंग की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे शहर का जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. जल संकट पर ग्वालियर के कमिश्नर बीएम शर्मा का कहना है कि पिछले साल बीरपुर बांध का गहरीकरण कराया गया था इस बार भी बारिश के से पहले गहरीकरण का काम किया जाने के निर्देश दे दिए हैं.