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ग्वालियर में गहराया जल संकट, दो दिन में एक बार हो रही पानी की सप्लाई

ग्वालियर शहर इन दिनों भीषड़ जल संकट से जूझ रहा है, शहर में पानी की सप्लाई दो दिन में केवल एक बार हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि शहर के पुराने जल स्रोतों को बचाने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

ग्वालियर में गहराया जल संकट
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Published : Jun 4, 2019, 8:52 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर शहर में दिन ब दिन पानी की कमी बढ़ती जा रही है. पूरा शहर भीषण जल संकट की मार से परेशान है. आलम यह है कि ग्वालियर शहर में दो दिन में एक बार ही पानी की सप्लाई की जा रही है. शहर के सभी परंपरागत जल स्रोत देखरेख के अभाव में या तो सूख गए या फिर अतिक्रमण की चपेट में है. प्रशासन भी इन जल स्रोतों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. ग्वालियर की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन तिघरा बांध भी सूखता जा रहा है.

ग्वालियर में गहराया जल संकट

रियासत कालीन समय में ग्वालियर को पर्याप्त पानी मिले इसके लिए शहर के चारों ओर जलाशय और बांधों का निर्माण कराया गया था जिसमें बारिश का पानी जमा होता था. तब पानी को शहर की दो नदियों स्वर्णरेखा और मुरार नदी के माध्यम से शहर में भेजा जाता था. लेकिन देखरेख न होने से दोनों नदियां नाले में तब्दील हो गई. जबकि साथ ही शहर में आधा दर्जन बावड़िया अपनी बदहाली पर आंसू बहाती नजर आ रही है.

ग्वालियर में जलस्तर 350 से 400 फीट नीचे चला गया है. जबकि तिघरा बांध का जलस्तर भी लगातार गिरता जा रहा है. हालांकि ग्वालियर में व्याप्त जल संकट को खत्म करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की योजना है. लेकिन यह योजना कब तक पूरी होगी इस पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. पानी के जल संकट पर नगर-निगम के नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सपरा का कहना है कि कई बार जल संकट का मुद्दा वह नगर-निगम की परिषद में उठा चुके हैं, लेकिन नगर निगम द्वारा केवल कागजों में पुरानी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाता रहता है.

उनका कहना है कि शहर के वाटर हार्वेस्टिंग की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे शहर का जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. जल संकट पर ग्वालियर के कमिश्नर बीएम शर्मा का कहना है कि पिछले साल बीरपुर बांध का गहरीकरण कराया गया था इस बार भी बारिश के से पहले गहरीकरण का काम किया जाने के निर्देश दे दिए हैं.

ग्वालियर। ग्वालियर शहर में दिन ब दिन पानी की कमी बढ़ती जा रही है. पूरा शहर भीषण जल संकट की मार से परेशान है. आलम यह है कि ग्वालियर शहर में दो दिन में एक बार ही पानी की सप्लाई की जा रही है. शहर के सभी परंपरागत जल स्रोत देखरेख के अभाव में या तो सूख गए या फिर अतिक्रमण की चपेट में है. प्रशासन भी इन जल स्रोतों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. ग्वालियर की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन तिघरा बांध भी सूखता जा रहा है.

ग्वालियर में गहराया जल संकट

रियासत कालीन समय में ग्वालियर को पर्याप्त पानी मिले इसके लिए शहर के चारों ओर जलाशय और बांधों का निर्माण कराया गया था जिसमें बारिश का पानी जमा होता था. तब पानी को शहर की दो नदियों स्वर्णरेखा और मुरार नदी के माध्यम से शहर में भेजा जाता था. लेकिन देखरेख न होने से दोनों नदियां नाले में तब्दील हो गई. जबकि साथ ही शहर में आधा दर्जन बावड़िया अपनी बदहाली पर आंसू बहाती नजर आ रही है.

ग्वालियर में जलस्तर 350 से 400 फीट नीचे चला गया है. जबकि तिघरा बांध का जलस्तर भी लगातार गिरता जा रहा है. हालांकि ग्वालियर में व्याप्त जल संकट को खत्म करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की योजना है. लेकिन यह योजना कब तक पूरी होगी इस पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. पानी के जल संकट पर नगर-निगम के नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सपरा का कहना है कि कई बार जल संकट का मुद्दा वह नगर-निगम की परिषद में उठा चुके हैं, लेकिन नगर निगम द्वारा केवल कागजों में पुरानी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाता रहता है.

उनका कहना है कि शहर के वाटर हार्वेस्टिंग की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे शहर का जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. जल संकट पर ग्वालियर के कमिश्नर बीएम शर्मा का कहना है कि पिछले साल बीरपुर बांध का गहरीकरण कराया गया था इस बार भी बारिश के से पहले गहरीकरण का काम किया जाने के निर्देश दे दिए हैं.

Intro:ग्वालियर- इस समय ग्वालियर में जल संकट साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि ग्वालियर शहर वासियों को एक दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है । उसके बाद भी स्थानीय प्रशासन परंपरागत जल स्रोतों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। हालात यह है कि शहर के सभी परंपरागत जल स्रोत देखरेख के अभाव में या तो सूख गए या फिर अतिक्रमण की चपेट में है। रियासत कालीन समय में ग्वालियर को पर्याप्त पानी मिले इसके लिए वाली शहर के चारों ओर जलाशय और बांधों का निर्माण कराया गया था जिसमें बारिश का पानी जमा होता था उस पानी को शहर की दो नदियों स्वर्णरेखा और मुरार नदी के माध्यम से शहर में भेजा जाता था लेकिन समय के साथ-साथ दोनों नदियां नाले में तब्दील हो गई और वही दिन बीरपुर बांध ,रमुआ बांध हनुमान बांध और जरुआ बांध प्रशासन उदासीनता के चलते पूरी तरह पे पानी हो गये । इसके साथ ही शहर में आधा दर्जन बावरिया भी के माध्यम से पानी सप्लाई होता था। साथ ही शहर के जल स्तर बनाए रखने में मददगार साबित होती थी । लेकिन वर्तमान समय में सभी बावड़ी आया तो सूख गई या फिर अतिक्रमण का शिकार हो गई ।


Body:इस समय भीषण गर्मी के चलते ग्वालियर में जलस्तर 350 से 400 फीट नीचे चला गया है वर्तमान समय में ग्वालियर की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन तिघरा बांध है। इसका भी जलस्तर लगातार कम होता जा रहा है इसके साथ ही इसमें लीकेज भी हो गया है। हालांकि ग्वालियर में व्याप्त जल संकट को खत्म करने के लिए चंबल नदी से पानी लाने की योजना है लेकिन कब तक है यह योजना मूर्त रूप ले पाएगी यह अभी कहना असंभव है। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सपरा का कहना है कि कई बार जल संकट को लेकर परिषद में उठा चुके हैं लेकिन नगर निगम द्वारा केवल कागजों में पुरानी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाता रहता है। इसके साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जैसे जल संकट लगातार गहराता जा रहा है ।वहीं ग्वालियर कमिश्नर बीएम शर्मा का कहना है कि पिछले साल बीरपुर बांध का गहरीकरण कराया गया था इस बार भी बारिश के से पहले गहरीकरण का काम किया जाने के निर्देश दे दिए हैं।


Conclusion:बाईट - बी एम शर्मा , कमिश्नर

बाईट - कृष्ण राव दीक्षित , नेता प्रतिपक्ष

बाईट - सुधीर सप्रा , समाजसेवी

WT - अनिल गौर

नोट - यह story idea from Hon'ble Chaireman's office है
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