ग्वालियर। एक दशक पहले गुंडों के आतंक को खत्म करने के लिए चंबल की पुलिस ने एक नया तरीका अपनाया था. देशभर में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में पहचाने जाने वाले रिटायर्ड डीएसपी अशोक भदौरिया ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि ग्वालियर-चंबल अंचल पुलिस के इस प्रयोग का उपयोग अब यूपी में सबसे ज्यादा हो रहा है. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अशोक सिंह भदोरिया का कहना है कि एक दशक पहले तक चंबल अंचल में गुंडों का आतंक था. ऐसे गुंडे रोज आए दिन लूटपा, हत्या, अपहरण, डकैती जैसी घटना को अंजाम देते थे.
गुंडों के पैर में मारी जाती है गोली : गुंडों पर लगाम लगाने के लिए चंबल की पुलिस ने एक नया तरीका अपनाया था. इसमें पुलिस गुंडों को पकड़कर या चारों तरफ से घेरकर शॉर्ट एनकाउंटर करती थी. इस शॉर्ट एनकाउंटर में पुलिस बदमाशों व गुंडों के पैर में गोली मारकर उसे अपाहिज करती थी. जिससे वह आतंक की दुनिया में कदम नहीं रख पाता था. उस समय लगभग आधा सैकड़ा से ऐसे अधिक बड़े बदमाश थे, जिनका शॉर्ट एनकाउंटर किया गया. इस शॉर्ट एनकाउंटर की वजह से बदमाश या गुंडों में डर इतना फैल गया कि अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले कई बार सोचते थे.
शॉर्ट एनकाउंटर कारगर है : रिटायर्ड डीएसपी अशोक सिंह भदोरिया का कहना है कि शॉर्ट एनकाउंटर करने के पीछे एक सबसे बड़ी वजह थी कि एनकाउंटर में जब अधिकारियों की ज्यूडिशरी इंक्वायरी होने लगी तो उसमें कई अधिकारी ऐसे थे, जो जवाब नहीं दे पाते थे. उन पर आज भी लगातार आरोप लगते रहे हैं. इसी से बचने के लिए और गुंडों बदमाशों का खात्मा करने के लिए चंबल की पुलिस ने एनकाउंटर की जगह शॉर्ट एनकाउंटर का तरीका अपनाया. इसके तहत बदमाश को पैर में गोली मारी जाती थी, जिससे वह एक 2 साल के लिए अपाहिज हो जाता था. भदोरिया बताते हैं कि उस समय लगभग आधा सैकड़ा से अधिक बदमाशों को शॉर्ट एनकाउंटर किया गया और चंबल में आज भी जारी है. ऐसा लगता है कि जब ग्वालियर चंबल अंचल में कोई बदमाश अपना फन फैलाता है तो उसका शॉर्ट एनकाउंटर किया जाता है. (UP Yogi Raj police encounter way) (UP police learn from Chambal police) Retired DSP Ashok Bhadauria) (Encounter specialist Ashok Bhadauria)