ग्वालियर। लंबे समय से नए कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन जारी है. जिसका असर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. बुधवार यानि आज किसान आंदोलन का 21वां दिन है. केंद्र सरकार से लगातार बातचीत के बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल में ऐसा पहला मौका है जब किसानों को मनाने में वे पूरी तरह से असफल हो रहे हैं. उनकी सबसे बड़ी असफलता का कारण उनका संसदीय क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग है, क्योंकि यहां से ही हजारों की संख्या में किसान दिल्ली में आंदोलन के लिए कूच कर चुके हैं. वे लगातार विरोध कर रहे हैं. ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने ही क्षेत्र में घिरते नजर आ रहे हैं.
किया गया किसान सम्मेलन का आयोजन
किसानों में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए और किसान आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए केंद्र ने अब राज्य स्तर पर जागरूकता अभियान शुरू किया है. इसी कड़ी में ग्वालियर में भी किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें खुद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद रहे. इस सम्मेलन के जरिए किसानों को कृषि कानून के बारे में समझाइश दी गई. मतलब कहा जा सकता है कृषि कानून के विरोध में खुद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने ही घर में घिरते जा रहे हैं.
किया गया किसान सम्मेलन का आयोजन
16 दिसंबर को ग्वालियर के फूलबाग मैदान में बीजेपी का किसान सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें ग्वालियर चंबल अंचल के किसान और बीजेपी के नेता शामिल हुए. किसान सम्मेलन में खुद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया उपस्थित रहे. इस सम्मेलन के जरिए किसानों को कृषि कानून के बारे में बताया गया.
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जल्द खत्म होगा आंदोलन-केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल्द ही आंदोलन खत्म होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्षी दल देश भर में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. वह सफल नहीं होंगे. साथ ही उन्होंने ने कहा कि केवल पंजाब ही राज्य ऐसा है जो कृषि कानून का विरोध कर रहा है इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं.
ग्वालियर चंबल अंचल के 8 जिलों से किसान हुए शामिल
किसान सम्मेलन में बीजेपी का दावा रहा कि 8 जिलों के किसान शामिल हुए. वो किसान शामिल हुए जो कृषि कानून का समर्थन कर रहे हैं. इस किसान सम्मेलन में ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, श्योपुर, गुना, शिवपुरी और अशोकनगर के किसान शामलि हुए.
अंचल के किसान मंत्री जी से नाराज
मुरैना-श्योपुर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है. यहां पर भी किसान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से काफी नाराज है. उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद थी क्षेत्र के सांसद होने के नाते केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों की बारे में सोचते हैं, लेकिन उन्होंने सिर्फ पूंजीपतियों के बारे में सोचा है.
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अंचल के करीब 4 हजार किसान दिल्ली में कर रहे आंदोलन
ग्वालियर चंबल अंचल से करीब 3 से 4 हजार किसान दिल्ली में किसान आंदोलन में शामिल है. यहां से गए सभी किसान अपने साथ 6 महीने का राशन लेकर गए हैं. उनकी मांग है कि जब तक कृषि कानून का समाधान नहीं हो जाता, तब तक वे वापस नहीं आएंगे. हाल ही में अंचल के किसानों ने ग्वालियर स्थित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले पर जाकर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
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केंद्रीय मंत्री के कार्यकाल में पहला मौका जब झेल रहे हैं विरोध
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. वे हमेशा कम और नापतोल कर बोलते हैं. इसके अलावा वे कभी भी विवादों में नहीं रहते हैं. एक तरह से कहा जाए तो उन्हें बीजेपी का संकट मोचन कहा जाता है, जब भी मध्य प्रदेश की राजनीति में संकट पैदा होता है तो केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की कमान सौंपी जाती है.
कांग्रेस लगा रही है आरोप
किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस की लगातार हमलावर है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि जो काम पहले होने चाहिए वह बाद में हो रहे है. कानून बनाने की पहले ही किसानों से बात की गई होती तो यह नौबत नहीं आती.
कांग्रेस का काम सिर्फ विरोध करना
उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह ने कांग्रेस प्रवक्ता के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस का काम तो सिर्फ विरोध करना है. जब जब देश के हित में कोई कानून बना है, तब तक कांग्रेस ने विरोध किया है. यह कानून किसानों के हित के लिए है और जब किसान इस कानून को बेहतर ढंग से समझ जाएंगे, उस दिन वे कांग्रेस या किसी क्षेत्रीय दलों के बहकावें में नहीं आएंगे.
कृषि कानून का विरोध ग्वालियर चंबल अंचल में लगातार तेजी से बढ़ रहा है. यही वजह है कि अंचल के हजारों किसान दिल्ली आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंच चुके हैं. और लगातार अब भी जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि खुद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने गढ़ में किसानों को समझाने में असफल रहे हैं.