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वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों की जमीन पर गरमाई सियासत, BJP कांग्रेस आमने-सामने

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Published : Aug 22, 2020, 7:57 PM IST

मुरैना जिले में वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को पथरीली जमीन देने के मामले में आदिवासियों ने जमीन लेने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस, राज्य सरकार के इस निर्णय को आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी बता रही है. वहीं पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, आदिवासियों को सही जमीन दी जाएगी.

The matter of giving stones to the tribals
आदिवासियों को पथरीली जमीन देने का मामला

मुरैना। वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को पथरीली जमीन दी जा रही है. लेकिन आदिवासियों ने पथरीली जमीन को लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में कांग्रेस ने आदिवासियों का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य सरकार पथरीली जमीन देकर आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. लेकिन बीजेपी इन आरोपों से इंकार कर रही है. पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने कहा कि आदिवासियों को उनके मनमाफिक जमीन दी जा रही है. यदि उसमें कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें दूर किया जाएगा.

आदिवासियों की जमीन पर गरमाई सियासत

मुरैना जिले के पहाड़गढ़, रामपुर कलां के बेरखेड़ा, सायपुरा, कैमारे कलां, बोलाज गांव सहित अन्य आदिवासी इलाकों में वन अधिकार अधिनियम के तहत हर आदिवासियों को वन विभाग द्वारा दो-दो बीघा शासकीय भूमि पट्टे पर दी जा रही है. ताकि आदिवासी जमीन पर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर सकें. इसलिए वन विभाग आदिवासियों को जमीन पट्टे पर दे रहा है. लेकिन जो सभी आदिवासियों को मुहैया कराई जा रही है. वो खेती करने लायक नहीं है. इसलिए आदिवासी जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं.

बेरखेड़ा के रहने वाले प्रहलाद आदिवासी ने बताया कि उनका समुदाय सालों से जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहा है. वन अधिकारी कानून के तहत राज्य सरकार आदिवासियों को जमीन मुहैया करा रही है. लेकिन वह पथरीली जमीन है, उपजाऊ नहीं है. इसलिए आदिवासी समुदाय जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं. इस मामले में मुरैना कलेक्टर प्रियंका दास के मुताबिक चार पांच गावों में पीडीए सर्वे होना है. वो प्रशासन द्वारा कराया जाएगा और जो जमीन वन विभाग के भी काम की नहीं है. वो आदिवासियों को भी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी. कलेक्टेर के मुताबिक अगर जमीन पथरीली है तो उसे आदिवासियों को मुहैया नहीं कराई जाएगी. इसके लिए सर्वे कराकर उचित जमीन आदिवासियों को दी जाएगी.

सबलगढ़ से कांग्रेस विधायक बैजनाथ कुशवाह ने कहा कि बीजेपी जानबूझकर आदिवासियों के साथ मनमानी कर रही है. वह आदिवासियों को पट्टे देकर वाह वाही लूट रही है. बीजेपी की मानसिकता ही नहीं है कि आदिवासियों को उचित जमीन मिले. इस मुद्दे पर कांग्रेस विधायक बैजनाथ ने कहा कि वह कलेक्टर से मिलकर इससे चर्चा करेंगे और आदिवासियों को सही जमीन दिलवाने के लिए बात करेंगे.

वहीं आदिवासियों को जमीन देने के मामले में पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने कहा कि जिस जगह की जमीन पथरीली होगी तो उसे आदिवासियों को नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को जमीन देने का निर्णय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है. देश के मुखिया का है, मंत्री ऐदल सिंह ने कहा कि उनके मंत्री रहते हुए किसी भी प्रकार की विसंगति नहीं होगी.

अब देखना होगा कि आदिवासियों को क्या वाकई वो जमीन मिल सकेगी जिसकी वो मांग कर कर रहे हैं. ताकि आदिवासी समुदाय जमीन पर खेती कर अपना जीवन यापन कर सके.

मुरैना। वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को पथरीली जमीन दी जा रही है. लेकिन आदिवासियों ने पथरीली जमीन को लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में कांग्रेस ने आदिवासियों का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य सरकार पथरीली जमीन देकर आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. लेकिन बीजेपी इन आरोपों से इंकार कर रही है. पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने कहा कि आदिवासियों को उनके मनमाफिक जमीन दी जा रही है. यदि उसमें कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें दूर किया जाएगा.

आदिवासियों की जमीन पर गरमाई सियासत

मुरैना जिले के पहाड़गढ़, रामपुर कलां के बेरखेड़ा, सायपुरा, कैमारे कलां, बोलाज गांव सहित अन्य आदिवासी इलाकों में वन अधिकार अधिनियम के तहत हर आदिवासियों को वन विभाग द्वारा दो-दो बीघा शासकीय भूमि पट्टे पर दी जा रही है. ताकि आदिवासी जमीन पर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर सकें. इसलिए वन विभाग आदिवासियों को जमीन पट्टे पर दे रहा है. लेकिन जो सभी आदिवासियों को मुहैया कराई जा रही है. वो खेती करने लायक नहीं है. इसलिए आदिवासी जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं.

बेरखेड़ा के रहने वाले प्रहलाद आदिवासी ने बताया कि उनका समुदाय सालों से जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहा है. वन अधिकारी कानून के तहत राज्य सरकार आदिवासियों को जमीन मुहैया करा रही है. लेकिन वह पथरीली जमीन है, उपजाऊ नहीं है. इसलिए आदिवासी समुदाय जमीन लेने से इनकार कर रहे हैं. इस मामले में मुरैना कलेक्टर प्रियंका दास के मुताबिक चार पांच गावों में पीडीए सर्वे होना है. वो प्रशासन द्वारा कराया जाएगा और जो जमीन वन विभाग के भी काम की नहीं है. वो आदिवासियों को भी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी. कलेक्टेर के मुताबिक अगर जमीन पथरीली है तो उसे आदिवासियों को मुहैया नहीं कराई जाएगी. इसके लिए सर्वे कराकर उचित जमीन आदिवासियों को दी जाएगी.

सबलगढ़ से कांग्रेस विधायक बैजनाथ कुशवाह ने कहा कि बीजेपी जानबूझकर आदिवासियों के साथ मनमानी कर रही है. वह आदिवासियों को पट्टे देकर वाह वाही लूट रही है. बीजेपी की मानसिकता ही नहीं है कि आदिवासियों को उचित जमीन मिले. इस मुद्दे पर कांग्रेस विधायक बैजनाथ ने कहा कि वह कलेक्टर से मिलकर इससे चर्चा करेंगे और आदिवासियों को सही जमीन दिलवाने के लिए बात करेंगे.

वहीं आदिवासियों को जमीन देने के मामले में पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने कहा कि जिस जगह की जमीन पथरीली होगी तो उसे आदिवासियों को नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को जमीन देने का निर्णय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है. देश के मुखिया का है, मंत्री ऐदल सिंह ने कहा कि उनके मंत्री रहते हुए किसी भी प्रकार की विसंगति नहीं होगी.

अब देखना होगा कि आदिवासियों को क्या वाकई वो जमीन मिल सकेगी जिसकी वो मांग कर कर रहे हैं. ताकि आदिवासी समुदाय जमीन पर खेती कर अपना जीवन यापन कर सके.

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