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दुकानदार को इनामी बताकर बेदखल करना पड़ा भारी, पुलिसकर्मियों पर लगा 5 लाख का जुर्माना

दुकानदार को इनामी बताकर बेदखल करने के मामले में हाईकोर्ट ने तीन पुलिस कर्मचारियों पर 5 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है.

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तीन पुलिस कर्मचारियों पर लगा जुर्माना
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Published : Dec 5, 2020, 10:26 AM IST

ग्वालियर। एक दुकानदार को इनामी बताकर अचल संपत्ति से बेदखल करना तीन पुलिस कर्मचारियों को भारी पड़ गया, हाईकोर्ट ने पर्सनल लिबर्टी की धारा-21 के तहत मामले को गंभीर अपराध माना है.

तीन पुलिस कर्मचारियों पर लगा जुर्माना

शहर के बहोड़ापुर थाना प्रभारी रहे दिनेश राजपूत, सब इंस्पेक्टर संजीता मिंज और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा पर कुल पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही लोकायुक्त पुलिस को निर्देशित किया गया है कि, इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए.

दरअसल, बहोड़ापुर चौराहे पर अरुण शर्मा नामक कारोबारी डिपार्टमेंटल स्टोर चलाता था. 25 जुलाई को मकान मालकिन ने पुलिस थाने में जाकर आवेदन दिया था, जिसमें अरुण शर्मा पर किराया नहीं देने सहित दुकान खाली नहीं करने का आरोप लगाया गया था. इस पर तत्कालीन बहोड़ापुर थाना प्रभारी दिनेश राजपूत ने महिला सब इंस्पेक्टर संजीता मिंज और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा के साथ मिलकर अरुण शर्मा से दुकान खाली करवा दी थी. इसी संबंध में अरुण शर्मा द्वारा शिकायत करने के बाद पुलिस अधीक्षक ने नाराजगी जताते हुए दुकान में वापस सामान रखवा दिया था, लेकिन एक महीने बाद ही बहोड़ापुर पुलिस ने अरुण शर्मा को 5 हजार रुपए का इनामी बताते हुए मीडिया के सामने पेश कर दिया. साथ ही सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें वायरल कर दी.

इस मामले में अरुण शर्मा के परिजन और वकील पुलिस अधीक्षक से मिले, जिसमें पता चला कि, पुलिस ने अपनी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए कारोबारी अरुण शर्मा को अपराधी बता दिया था. सिर्फ इतना ही नहीं, उसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. याचिका के मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि, पुलिस दीवानी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. यह एक संभ्रांत नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है.

हाईकोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश राजपूत पर 3 लाख रुपए, एसआई संजीता मिंज पर एक लाख रुपए और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा पर एक लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है. इसके अलावा लोकायुक्त पुलिस को निर्देशित किया गया है कि, इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. साथ ही फरियादी को हर्जे-खर्चे के रूप में 20 हजार रुपए अलग से दिलाने के निर्देश दिए गए हैं.

ग्वालियर। एक दुकानदार को इनामी बताकर अचल संपत्ति से बेदखल करना तीन पुलिस कर्मचारियों को भारी पड़ गया, हाईकोर्ट ने पर्सनल लिबर्टी की धारा-21 के तहत मामले को गंभीर अपराध माना है.

तीन पुलिस कर्मचारियों पर लगा जुर्माना

शहर के बहोड़ापुर थाना प्रभारी रहे दिनेश राजपूत, सब इंस्पेक्टर संजीता मिंज और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा पर कुल पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही लोकायुक्त पुलिस को निर्देशित किया गया है कि, इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए.

दरअसल, बहोड़ापुर चौराहे पर अरुण शर्मा नामक कारोबारी डिपार्टमेंटल स्टोर चलाता था. 25 जुलाई को मकान मालकिन ने पुलिस थाने में जाकर आवेदन दिया था, जिसमें अरुण शर्मा पर किराया नहीं देने सहित दुकान खाली नहीं करने का आरोप लगाया गया था. इस पर तत्कालीन बहोड़ापुर थाना प्रभारी दिनेश राजपूत ने महिला सब इंस्पेक्टर संजीता मिंज और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा के साथ मिलकर अरुण शर्मा से दुकान खाली करवा दी थी. इसी संबंध में अरुण शर्मा द्वारा शिकायत करने के बाद पुलिस अधीक्षक ने नाराजगी जताते हुए दुकान में वापस सामान रखवा दिया था, लेकिन एक महीने बाद ही बहोड़ापुर पुलिस ने अरुण शर्मा को 5 हजार रुपए का इनामी बताते हुए मीडिया के सामने पेश कर दिया. साथ ही सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें वायरल कर दी.

इस मामले में अरुण शर्मा के परिजन और वकील पुलिस अधीक्षक से मिले, जिसमें पता चला कि, पुलिस ने अपनी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए कारोबारी अरुण शर्मा को अपराधी बता दिया था. सिर्फ इतना ही नहीं, उसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. याचिका के मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि, पुलिस दीवानी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. यह एक संभ्रांत नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है.

हाईकोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश राजपूत पर 3 लाख रुपए, एसआई संजीता मिंज पर एक लाख रुपए और हेड कांस्टेबल अचल शर्मा पर एक लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है. इसके अलावा लोकायुक्त पुलिस को निर्देशित किया गया है कि, इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. साथ ही फरियादी को हर्जे-खर्चे के रूप में 20 हजार रुपए अलग से दिलाने के निर्देश दिए गए हैं.

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