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Teachers Day Special: कोच ने महिला खिलाड़ियों के प्रति बदली लोगों की सोच, मेहनत और लगन से तैयार की हॉकी टीम - ETV bharat News

2006 में ग्वालियर की राज्य महिला हॉकी एकेडमी (Gwalior State Women's Hockey Academy) की स्थापना हुई थी. इस एकेडमी में चंबल अंचल के लोग रूढ़िवादी सोच के चलते महिलाओं को हॉकी खेलने के लिए नहीं भेजते है. लेकिन कोच परमजीत सिंह (Coach Paramjit Singh) की 15 साल की लगन और मेहनत ने इस हॉकी अकादमी को International स्तर पर पहचान दिलाई. आज के समय में लोग दिल्ली जैसे बड़े शहरों से बच्चों को इस अकादमी में प्रशिक्षण के लिए भेजते है. जानिए कोच परमजीत सिंह के इस सफर को.

Coach giving education to women's hockey team
महिला हॉकी टीम को शिक्षा देते कोच
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Published : Sep 5, 2021, 8:45 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 11:02 PM IST

ग्वालियर। हर व्यक्ति की एक कामयाब जिंदगी में शिक्षक (Teacher) की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. शिक्षक ही है जो कामयाब होने के लिए सही रास्ते पर चलने के लिए हमें प्रेरित करता है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसे ही शिक्षक की बात करेंगे जो ग्वालियर स्थित राज्य महिला हॉकी एकेडमी (State Women's Hockey Academy) में कोच के रूप में खिलाड़ियों के सपनों को ऊंची उड़ान दे रहा है.

इस कोच ने ग्वालियर चंबल अंचल में महिला खिलाड़ियों के प्रति अवधारणा को ही बदल दिया है. एक समय ऐसा भी था जब चंबल के इलाके में कोई भी परिवार अपनी बच्ची को खेल के मैदान में नहीं उतरता था, लेकिन आज इस अंचल में कोच की मेहनत और लगन से बच्चियां घर से निकल कर मैदान तक आ रही है. देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में नाम रोशन कर रही है. आइए आज हम मिलाते हैं ऐसे ही कोच परमजीत सिंह (Coach Paramjit Singh) से...

Teachers Day Special

पंजाब के कोच को ग्वालियर महिला हॉकी खिलाड़ियों की मिली जिम्मेदारी

साल 2006 में हॉकी के प्रति महिलाओं को आगे लाने के लिए ग्वालियर में स्थित महिला राज्य हॉकी एकेडमी की स्थापना हुई. लेकिन इस महिला हॉकी एकेडमी में कोच की कमी के चलते अपना परफॉर्मेंस साबित नहीं कर पा रही थी. उसके बाद पंजाब के रहने वाले परमजीत सिंह महिला हॉकी एकेडमी में कोच के रूप में तैनात हुए. कोच परमजीत को इस अकादमी में खिलाड़ियों को तैयार करने की जिम्मेदारी मिली. पिछले 15 साल से परमजीत सिंह इस एकेडमी में नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी (International Player) तैयार कर रहे हैं.

कोच परमजीत सिंह पंजाब के उस इलाके के रहने वाले हैं. जहां पर हॉकी खेल को काफी महत्व दिया जाता है. वहां एक से बढ़कर एक हॉकी प्लेयर्स है. परमजीत सिंह जब ग्वालियर में मेला राज्य हॉकी एकेडमी में आए थे, तो उस समय सब कुछ सामान्य था. इस एकेडमी की कोई पहचान भी नहीं थी. उसके बाद इस एकेडमी का सफर शुरू हुआ. आज 15 साल बाद खिलाड़ी और कोच परमजीत की मेहनत पर यह राज्य महिला हॉकी एकेडमी प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अपना परचम लहरा रही है.

Coach giving education to women's hockey team
महिला हॉकी खिलाड़ी को शिक्षा देते कोच

Teachers Day 2021: शिक्षिका ने देश के 'भविष्य' को सिखाया प्रकृति संरक्षण का पाठ, अब सरकार करेगी सम्मान

खेलो के लिए लड़कियों को बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती

कोच परमजीत सिंह बताते हैं कि साल 2006 में जब इस राज्य महिला हॉकी एकेडमी की शुरुआत हुई थी, तो उस समय मात्र 14 खिलाड़ी थे जिन्हें तैयार करना था. उस समय मध्य प्रदेश में हॉकी के प्रति कोई भी रुझान नजर नहीं आ रहा था. खासकर ग्वालियर चंबल इलाका, जहां बच्चियों को अपनी दहलीज से बाहर भी नहीं आने दिया जाता था. अंचल में उस समय लड़कियां खेल के प्रति सोच भी नहीं सकती थी ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि इस एकेडमी में महिला खिलाड़ियों को कैसे तैयार किया जाएगा.

लेकिन धीरे-धीरे कठोर परिश्रम और मेहनत से इस एकेडमी की मेला खराड़ी प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी नाम रोशन करती रही. खेल के प्रति लोगों की सोच भी बदली. आज इसका नतीजा यह है कि इस एकेडमी में अंचल ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और देशभर से माता पिता अपने बच्चों को ला रहे हैं. इस एकेडमी में 14 महिला खिलाड़ियों से शुरुआत हुई थी और आज 100 से अधिक पहुंच चुकी है.

female hockey player practicing
अभ्यास करती महिला हॉकी खिलाड़ी

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देशभर में वुमन हॉकी की नर्सरी बन चुकी है एकेडमी

15 साल पहले शुरू हुई राज्य महिला हॉकी एकेडमी आज पूरे देश भर में जानी जाती है. इसका सबसे अधिक श्रेय कोच परमजीत सिंह को जाता है. कोच परमजीत सिंह की मेहनत और लगन से यहां हर साल देशभर में खेले जाने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी टूर्नामेंटों में इस एकेडमी की खिलाड़ी जरूर हिस्सा लेती है. इस एकेडमी ने देश को कई बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी दिए हैं.

यहां से प्रशिक्षण लेने वाली महिला हॉकी खिलाड़ियों ने रियो ओलंपिक (Rio Olympics) से लेकर यूथ ओलंपिक में सफलता का परचम लहराया है. इसके साथ ही पूरे देश भर में शहर की 40 से अधिक महिला हॉकी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रही है. हाल में ही हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में पूरे प्रदेश से इस एकेडमी की तीन खिलाड़ी मोनिका, रीना और सुशीला ने जलवा बिखेरा था.

Coach Paramjeet teaching hockey tricks
हॉकी के गुर सिखाते कोच परमजीत

कोरोना काल में जरुरतमंद छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षिका ने उपलब्ध करवाएं नोट्स, राज्य सरकार ने किया पुरस्कृत

10 ओलंपिक महिला खिलाड़ी और 85 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार

कोच परमजीत सिंह की मेहनत का ही नतीजा है कि आज ग्वालियर स्थित राज्य महिला अकादमी प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में महिला हॉकी खिलाड़ी तैयार करने की नर्सरी के रूप में जानी जाती है. साल 2006 से कोच परमजीत सिंह ने साल 2010 आते-आते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी तैयार करके दिए. इस अकादमी से अभी तक 10 ओलंपिक महिला खिलाड़ी और 85 से अधिक अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी तैयार हो चुके हैं.

female goalkeeper blocking the goal
गोल को रोकती महिला गोलकीपर

बेटियों को दिल्ली से निकाल कर इस अकादमी में कर रहे भर्ती

इस अकादमी के खिलाड़ी भी अपने शिक्षक की हर बात मानते है. महिला खिलाड़ियों का कहना है कि मेहनत तो हर कोई करता है लेकिन एक छात्र के जीवन में शिक्षक का काफी अहम रोल होता है. यही अहम रोल हमारे कोच परमजीत सिंह सर निभा रहे हैं. उन्हीं के दम पर ही यह अकादमी आज पूरे विश्व भर में जानी जाती है. अगर इस अकादमी में नहीं होती तो शायद यहां से कोई भी खिलाड़ी अपना नाम रोशन नहीं कर पाती. आज हमें गर्म है कि इस अकादमी और हमें परमजीत से शिक्षक मिले.

ग्वालियर। हर व्यक्ति की एक कामयाब जिंदगी में शिक्षक (Teacher) की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. शिक्षक ही है जो कामयाब होने के लिए सही रास्ते पर चलने के लिए हमें प्रेरित करता है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसे ही शिक्षक की बात करेंगे जो ग्वालियर स्थित राज्य महिला हॉकी एकेडमी (State Women's Hockey Academy) में कोच के रूप में खिलाड़ियों के सपनों को ऊंची उड़ान दे रहा है.

इस कोच ने ग्वालियर चंबल अंचल में महिला खिलाड़ियों के प्रति अवधारणा को ही बदल दिया है. एक समय ऐसा भी था जब चंबल के इलाके में कोई भी परिवार अपनी बच्ची को खेल के मैदान में नहीं उतरता था, लेकिन आज इस अंचल में कोच की मेहनत और लगन से बच्चियां घर से निकल कर मैदान तक आ रही है. देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में नाम रोशन कर रही है. आइए आज हम मिलाते हैं ऐसे ही कोच परमजीत सिंह (Coach Paramjit Singh) से...

Teachers Day Special

पंजाब के कोच को ग्वालियर महिला हॉकी खिलाड़ियों की मिली जिम्मेदारी

साल 2006 में हॉकी के प्रति महिलाओं को आगे लाने के लिए ग्वालियर में स्थित महिला राज्य हॉकी एकेडमी की स्थापना हुई. लेकिन इस महिला हॉकी एकेडमी में कोच की कमी के चलते अपना परफॉर्मेंस साबित नहीं कर पा रही थी. उसके बाद पंजाब के रहने वाले परमजीत सिंह महिला हॉकी एकेडमी में कोच के रूप में तैनात हुए. कोच परमजीत को इस अकादमी में खिलाड़ियों को तैयार करने की जिम्मेदारी मिली. पिछले 15 साल से परमजीत सिंह इस एकेडमी में नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी (International Player) तैयार कर रहे हैं.

कोच परमजीत सिंह पंजाब के उस इलाके के रहने वाले हैं. जहां पर हॉकी खेल को काफी महत्व दिया जाता है. वहां एक से बढ़कर एक हॉकी प्लेयर्स है. परमजीत सिंह जब ग्वालियर में मेला राज्य हॉकी एकेडमी में आए थे, तो उस समय सब कुछ सामान्य था. इस एकेडमी की कोई पहचान भी नहीं थी. उसके बाद इस एकेडमी का सफर शुरू हुआ. आज 15 साल बाद खिलाड़ी और कोच परमजीत की मेहनत पर यह राज्य महिला हॉकी एकेडमी प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अपना परचम लहरा रही है.

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महिला हॉकी खिलाड़ी को शिक्षा देते कोच

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खेलो के लिए लड़कियों को बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती

कोच परमजीत सिंह बताते हैं कि साल 2006 में जब इस राज्य महिला हॉकी एकेडमी की शुरुआत हुई थी, तो उस समय मात्र 14 खिलाड़ी थे जिन्हें तैयार करना था. उस समय मध्य प्रदेश में हॉकी के प्रति कोई भी रुझान नजर नहीं आ रहा था. खासकर ग्वालियर चंबल इलाका, जहां बच्चियों को अपनी दहलीज से बाहर भी नहीं आने दिया जाता था. अंचल में उस समय लड़कियां खेल के प्रति सोच भी नहीं सकती थी ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि इस एकेडमी में महिला खिलाड़ियों को कैसे तैयार किया जाएगा.

लेकिन धीरे-धीरे कठोर परिश्रम और मेहनत से इस एकेडमी की मेला खराड़ी प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी नाम रोशन करती रही. खेल के प्रति लोगों की सोच भी बदली. आज इसका नतीजा यह है कि इस एकेडमी में अंचल ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और देशभर से माता पिता अपने बच्चों को ला रहे हैं. इस एकेडमी में 14 महिला खिलाड़ियों से शुरुआत हुई थी और आज 100 से अधिक पहुंच चुकी है.

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Teachers Day Special: शिक्षिका ने जरूरतमंद छात्रों के लिए बनाई Mobile Bank, प्रदेश सरकार करेगी सम्मान

देशभर में वुमन हॉकी की नर्सरी बन चुकी है एकेडमी

15 साल पहले शुरू हुई राज्य महिला हॉकी एकेडमी आज पूरे देश भर में जानी जाती है. इसका सबसे अधिक श्रेय कोच परमजीत सिंह को जाता है. कोच परमजीत सिंह की मेहनत और लगन से यहां हर साल देशभर में खेले जाने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी टूर्नामेंटों में इस एकेडमी की खिलाड़ी जरूर हिस्सा लेती है. इस एकेडमी ने देश को कई बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी दिए हैं.

यहां से प्रशिक्षण लेने वाली महिला हॉकी खिलाड़ियों ने रियो ओलंपिक (Rio Olympics) से लेकर यूथ ओलंपिक में सफलता का परचम लहराया है. इसके साथ ही पूरे देश भर में शहर की 40 से अधिक महिला हॉकी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रही है. हाल में ही हुए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में पूरे प्रदेश से इस एकेडमी की तीन खिलाड़ी मोनिका, रीना और सुशीला ने जलवा बिखेरा था.

Coach Paramjeet teaching hockey tricks
हॉकी के गुर सिखाते कोच परमजीत

कोरोना काल में जरुरतमंद छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षिका ने उपलब्ध करवाएं नोट्स, राज्य सरकार ने किया पुरस्कृत

10 ओलंपिक महिला खिलाड़ी और 85 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार

कोच परमजीत सिंह की मेहनत का ही नतीजा है कि आज ग्वालियर स्थित राज्य महिला अकादमी प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में महिला हॉकी खिलाड़ी तैयार करने की नर्सरी के रूप में जानी जाती है. साल 2006 से कोच परमजीत सिंह ने साल 2010 आते-आते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी तैयार करके दिए. इस अकादमी से अभी तक 10 ओलंपिक महिला खिलाड़ी और 85 से अधिक अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी तैयार हो चुके हैं.

female goalkeeper blocking the goal
गोल को रोकती महिला गोलकीपर

बेटियों को दिल्ली से निकाल कर इस अकादमी में कर रहे भर्ती

इस अकादमी के खिलाड़ी भी अपने शिक्षक की हर बात मानते है. महिला खिलाड़ियों का कहना है कि मेहनत तो हर कोई करता है लेकिन एक छात्र के जीवन में शिक्षक का काफी अहम रोल होता है. यही अहम रोल हमारे कोच परमजीत सिंह सर निभा रहे हैं. उन्हीं के दम पर ही यह अकादमी आज पूरे विश्व भर में जानी जाती है. अगर इस अकादमी में नहीं होती तो शायद यहां से कोई भी खिलाड़ी अपना नाम रोशन नहीं कर पाती. आज हमें गर्म है कि इस अकादमी और हमें परमजीत से शिक्षक मिले.

Last Updated : Sep 5, 2021, 11:02 PM IST
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