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Tansen Samaroh 2022 हंसराज हंस ने अपने गायन से बांधा समा, 19 से 23 दिसंबर तक ग्वालियर में गूंजेंगी स्वरलहरियां - हंसराज हंस ने तानसेन समारोह में गाया गाना

ग्वालियर में हंसराज हंस ने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव 'तानसेन समारोह', इस बार 19 से 23 दिसंबर के बीच आयोजित किया जा रहा है. सोमवार से इसकी शुरूआत हो गई है.(tansen samaroh 2022). सूफी और पंजाबी लोक संगीत के विश्व विख्यात गायक और सांसद पद्मश्री हंसराज हंस ने जब अपनी जादुई आवाज में सूफियाना कलाम और गीत सुनाए. जिसके बाद वहां बैठे श्रोता झूम उठे.

hansraj hans sing songs in tansen festival
हंसराज हंस ने तानसेन समारोह में गाया गाना
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Published : Dec 19, 2022, 3:44 PM IST

हंसराज हंस ने तानसेन समारोह में गाया गाना

ग्वालियर। ग्वालियर में इस समय स्वरों की गंगा बह रही है. सोमवार से अगले 5 दिनों तक ग्वालियर में सुरों की बारिश होती रहेगी. तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर "गमक" कार्यक्रम के तहत इंटक मैदान हजीरा पर संगीत सभा सजी. सूफी और पंजाबी लोक संगीत के विश्व विख्यात गायक और सांसद पद्मश्री हंसराज हंस ने जब अपनी जादुई आवाज में सूफियाना कलाम, भजन और गीत सुनाए तो श्रोता झूमने को मजबूर हो गए(tansen samaroh 2022). उनकी गायिकी के सूफियाना अंदाज पर संगीत रसिकों से खूब तालियां बजाईं और सुर सम्राट तानसेन की देहरी को रूहानी संगीत से निहाल कर दिया.

हंसराज हंस ने अपने गायन से बांधा समा: सूफियाना अंदाज सिर्फ हंसराज हंस के गायन में ही नहीं बल्कि मिजाज में भी झलक रहा था. उन्होंने सूफिज्म से वाबस्ता अजमेर शरीफ के सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती का कलाम "राखो मोर लाज हरी गरीब नवाज" से अपने गायन का आगाज किया(Hansraj hans sing songs in tansen festival). इसके बाद उन्होंने जब राग "मालकोश" में प्रेम गीत "प्यार नहीं है सुर से जिसको वो मूरख इंसान नहीं" सुनाया तो संपूर्ण प्रांगण प्रेममय हो गया.

गजल गाकर गायकों को दी स्वरांजलि: हंसराज हंस ने राग "बैरागी' पर आधारित नजीर अकबराबादी की गजल सुनाकर माहौल को रूमानी बना दिया. गजल के बोल थे "दिल में सनम का". हंसराज हंस ने इस मौके पर मरहूम निदा फाजली साहब और गजल सम्राट स्व जगजीत सिंह को याद किया. उन्होंने निदा साहिब द्वारा रचित और जगजीत सिंह द्वारा गाए गए प्रसिद्ध कलाम "गरज बरस प्यासी धरती को फिर पानी दे मौला" सुनाकर दोनों को स्वरांजलि अर्पित की.

Tansen Samaroh 2022: आज से MP में बहेगी सुरों की गंगा, 5 दिन तक लगातार गूंजेंगे विश्व संगीत के स्वर

कहां के हैं हंसराज हंस: विश्व भर में सूफी संगीत को सिद्ध प्रार्थना के स्वर के रूप में स्थापित करने का श्रेय पद्मश्री हंसराज हंस को भी है. सूफियाना गायिकी के सरताज नुसरत फतेह अली खान साहब के साथ भी वे काम कर चुके हैं(tansen festival in gwalior). उन्होंने मशहूर हिंदी फिल्म 'कच्चे धागे', 'मौसम', 'बादशाह', 'बिच्छू' और 'जोड़ी नंबर वन' सहित कई फिल्मों में कई हिट गीत गाने गाए हैं. हंसराज हंस का लोक गीतों को लेकर कहना था कि, पुराने गीतों में बहुत मिठास, ठहराव और एक अलग सी कशिश है. बताया गया कि पंजाब के जालंधर के साथ लगते गांव शाफीपुर में कला अनुरागी परिवार में 30 नवंबर, 1953 को जन्मे हंसराज ने स्कूल के समय से ही गाना शुरू किया था.

हंसराज हंस ने तानसेन समारोह में गाया गाना

ग्वालियर। ग्वालियर में इस समय स्वरों की गंगा बह रही है. सोमवार से अगले 5 दिनों तक ग्वालियर में सुरों की बारिश होती रहेगी. तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर "गमक" कार्यक्रम के तहत इंटक मैदान हजीरा पर संगीत सभा सजी. सूफी और पंजाबी लोक संगीत के विश्व विख्यात गायक और सांसद पद्मश्री हंसराज हंस ने जब अपनी जादुई आवाज में सूफियाना कलाम, भजन और गीत सुनाए तो श्रोता झूमने को मजबूर हो गए(tansen samaroh 2022). उनकी गायिकी के सूफियाना अंदाज पर संगीत रसिकों से खूब तालियां बजाईं और सुर सम्राट तानसेन की देहरी को रूहानी संगीत से निहाल कर दिया.

हंसराज हंस ने अपने गायन से बांधा समा: सूफियाना अंदाज सिर्फ हंसराज हंस के गायन में ही नहीं बल्कि मिजाज में भी झलक रहा था. उन्होंने सूफिज्म से वाबस्ता अजमेर शरीफ के सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती का कलाम "राखो मोर लाज हरी गरीब नवाज" से अपने गायन का आगाज किया(Hansraj hans sing songs in tansen festival). इसके बाद उन्होंने जब राग "मालकोश" में प्रेम गीत "प्यार नहीं है सुर से जिसको वो मूरख इंसान नहीं" सुनाया तो संपूर्ण प्रांगण प्रेममय हो गया.

गजल गाकर गायकों को दी स्वरांजलि: हंसराज हंस ने राग "बैरागी' पर आधारित नजीर अकबराबादी की गजल सुनाकर माहौल को रूमानी बना दिया. गजल के बोल थे "दिल में सनम का". हंसराज हंस ने इस मौके पर मरहूम निदा फाजली साहब और गजल सम्राट स्व जगजीत सिंह को याद किया. उन्होंने निदा साहिब द्वारा रचित और जगजीत सिंह द्वारा गाए गए प्रसिद्ध कलाम "गरज बरस प्यासी धरती को फिर पानी दे मौला" सुनाकर दोनों को स्वरांजलि अर्पित की.

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कहां के हैं हंसराज हंस: विश्व भर में सूफी संगीत को सिद्ध प्रार्थना के स्वर के रूप में स्थापित करने का श्रेय पद्मश्री हंसराज हंस को भी है. सूफियाना गायिकी के सरताज नुसरत फतेह अली खान साहब के साथ भी वे काम कर चुके हैं(tansen festival in gwalior). उन्होंने मशहूर हिंदी फिल्म 'कच्चे धागे', 'मौसम', 'बादशाह', 'बिच्छू' और 'जोड़ी नंबर वन' सहित कई फिल्मों में कई हिट गीत गाने गाए हैं. हंसराज हंस का लोक गीतों को लेकर कहना था कि, पुराने गीतों में बहुत मिठास, ठहराव और एक अलग सी कशिश है. बताया गया कि पंजाब के जालंधर के साथ लगते गांव शाफीपुर में कला अनुरागी परिवार में 30 नवंबर, 1953 को जन्मे हंसराज ने स्कूल के समय से ही गाना शुरू किया था.

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