ग्वालियर। उपनगर के पुराने रेशम मिल इलाके की बाबू की लाइन क्षेत्र में एक सीवर लाइन के गटर को साफ करने के लिए उतरे दो आउट सोर्स निगम कर्मचारियों की मौत हो गई. गटर में बनी जहरीली गैस इन युवकों के लिए जानलेवा साबित हुई. घटना की जानकारी मिलते ही नगर निगम प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में सफाई ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए गए. स्पष्ट दिशा निर्देशों के बावजूद बिना सुरक्षा व्यवस्था के सफाई कर्मी गटर में क्यों उतरे, अब इस पर विरोधाभासी बयान आना शुरू हो गए हैं. नगर निगम ने पहले दावे किए हैं कि बिना सुरक्षा व्यवस्था के कोई भी सफाई कर्मी गटर में नहीं उतारा जाए.
आर्थिक सहायता का आश्वासन: बिना सुरक्षा उपकरणों के गटर की सफाई के लिए पहले विक्रम करोसिया गटर में उतरा. उसका गटर में दम घुटने लगा ऊपर खड़े अमन ने यह देखा तो वह उसे बचाने के लिए गटर में उतरा. वह भी गटर में घुसते ही बेहोश हो गया. कुछ ही क्षणों में दोनों के शरीर शांत हो गए. नगर निगम के अधिकारियों को जब इसका पता चला तो पुलिस के साथ में वो भी मौके पर पहुंच गए. कांग्रेस ने इसके लिए सरकारी रवैये को जिम्मेवार ठहराया है. स्थानीय विधायक एवं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर बिरला अस्पताल पहुंच गए और उन्होंने सरकार की ओर से मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता की घोषणा की है. युवकों के परिजनों के एक-एक सदस्य को आउट सोर्स पर रखने का आश्वासन दिया है.
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निगम कमिश्नर ने कहा होगी सख्त कार्रवाई: मौके पर पहुंचे नगर निगम कमिश्नर ने कहा कि गटर की सफाई का काम ठेके पर दिया जाता है. ठेकेदार ने किस स्थिति में इन युवकों को बिना सुरक्षा उपकरणों के गठन में उतारा. इसकी जांच की जाएगी और ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि वह नजीर बन जाएगी. गौरतलब है कि इससे पहले भी गटर में साफ सफाई के दौरान कई बार हादसे हुए हैं और बाल्मीकि समाज के कई लोग इन हादसों की भेंट चढ़े हैं. आज भी वाल्मीकि समाज के दो आउटसोर्स कर्मचारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. अब सरकार और नगर निगम प्रशासन पुलिस सभी कार्रवाई की बात कह रहे हैं.