ग्वालियर। कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारी की आत्महत्या के मामले में कोर्ट में चालान पेश किया गया था. इसके बावजूद भी आरोपी अफसरों पर निलंबन की कार्रवाई नहीं हुई है. इसे लेकर इंटक और मृतक कर्मचारी अरुण परिहार के परिवार के लोगों ने विश्वविद्यालय के मेन गेट पर एक दिवसीय धरना दिया. उनका कहना है कि अगर आरोपी बनाए गए अफसरों पर कार्रवाई नहीं की गई. तो वह 2 दिन बाद अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर देंगे. दरअसल, राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में अरुण परिहार की संविदा नौकरी थी. वह अप्रैल 2012 से काम कर रहा था. लेकिन विश्वविद्यालय की एक महिला अफसर मृदुला बिल्लोरे ने उसे एक डिपार्टमेंट से हटाकर दूसरे डिपार्टमेंट और दूसरे डिपार्टमेंट से हटाकर तीसरे डिपार्टमेंट में भेज कर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज
विश्वविद्यालय के ही दूसरे अफसर जेपी दीक्षित, आरजे तिवारी, डीके पालीवाल, ने भी महिला अफसर का साथ दिया. और अरुण परिहार को नौकरी से भी हटा दिया गया. जिसके बाद उसने 6 जून 2018 को अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली. अगले ही दिन उसने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. तब से परिवार लगातार न्याय के लिए लड़ता रहा. आखिरकार 10 मई 2020 पुलिस ने इन चारों अफसरों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया.
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- आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग
पुलिस को इस एफ आई आर में चालान पेश करने के लिए 5 महीने का समय लगा. बाद में यह चालान इस साल 22 फरवरी को न्यायालय में पेश हुआ है. लेकिन दोषी अफसर अभी भी विश्वविद्यालय में कार्य कर रहे हैं. जबकि नियम के अनुसार चालान पेश होने के बाद आरोपी बनाए गए अफसरों का निलंबन होना चाहिए. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है. इसीलिए परिवार के लोग कार्रवाई की मांग को लेकर उच्च विद्यालय के मेन गेट पर धरने पर बैठे हैं. इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि वे अभी लीगल एडवाइस ले रहे हैं और एडवाइस लेने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी.