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गंगा दास की बड़ी शाला में शास्त्रीय संगीत के साधकों को दिया जाता है मंच, 15 सालों से चल रहा है सिलसिला

ग्वालियर के लक्ष्मी बाई कॉलोनी स्थित गंगा दास की बड़ी शाला में शास्त्रीय संगीत के साधकों को नि:शुल्क गायन सिखाया जाता है, ताकि वह अच्छे प्लेटफॉर्म तक पहुंच सके.

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शास्त्रीय संगीत के साधकों को दिया जाता है मंच
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Published : Feb 9, 2020, 10:42 AM IST

Updated : Feb 9, 2020, 10:50 AM IST

ग्वालियर। शहर के लक्ष्मी बाई कॉलोनी स्थित गंगा दास की बड़ी शाला में पिछले 15 सालों से उन साधकों को बेहतर मंच देने का प्रयास किया जा रहा है, जो शास्त्रीय संगीत में बारिकियां सीखना चाहत हैं और उन्हें अमल में लाने के लिए उत्सुक हैं. प्रसिद्ध ढोली बुआ महाराज अपने सानिध्य में कलाकारों को यह सुविधा नि:शुल्क रुप से उपलब्ध करा रही है.

ग्वालियर की गंगा दास की शाला प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों के अलावा वर्तमान में शास्त्रीय संगीत के नई साधकों के रियाज के लिए भी जानी जाती है. क्योंकि यहां पिछले 15 सालों से शास्त्रीय संगीत के विद्यार्थियों को गायन के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रही है.

संगीत के कलाकारों द्वारा नए कलाकारों को उनके गायन और वादन में परिपक्वता लाना रागायन संस्था का मुख्य मकसद है. प्रसिद्ध ढोली बुआ मठ के महाराज गायन की कलाकारों को विशेष दीक्षा देते हैं.

ग्वालियर। शहर के लक्ष्मी बाई कॉलोनी स्थित गंगा दास की बड़ी शाला में पिछले 15 सालों से उन साधकों को बेहतर मंच देने का प्रयास किया जा रहा है, जो शास्त्रीय संगीत में बारिकियां सीखना चाहत हैं और उन्हें अमल में लाने के लिए उत्सुक हैं. प्रसिद्ध ढोली बुआ महाराज अपने सानिध्य में कलाकारों को यह सुविधा नि:शुल्क रुप से उपलब्ध करा रही है.

ग्वालियर की गंगा दास की शाला प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों के अलावा वर्तमान में शास्त्रीय संगीत के नई साधकों के रियाज के लिए भी जानी जाती है. क्योंकि यहां पिछले 15 सालों से शास्त्रीय संगीत के विद्यार्थियों को गायन के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रही है.

संगीत के कलाकारों द्वारा नए कलाकारों को उनके गायन और वादन में परिपक्वता लाना रागायन संस्था का मुख्य मकसद है. प्रसिद्ध ढोली बुआ मठ के महाराज गायन की कलाकारों को विशेष दीक्षा देते हैं.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर के लक्ष्मी बाई कॉलोनी स्थित गंगा दास की बड़ी शाला में पिछले डेढ़ दशक से शास्त्रीय संगीत के उन साधकों को एक बेहतर मंच दिया जा रहा है जो क्लासिकल म्यूजिक की बारीकियां सीखने और उन्हें अमल में लाने के लिए उत्सुक रहते हैं। प्रसिद्ध ढोली बुआ महाराज के सानिध्य में रागायन संस्था नए कलाकारों को यह सुविधा निशुल्क रूप से उपलब्ध कराती है।Body:ग्वालियर की गंगा दास की शाला प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों के अलावा वर्तमान में शास्त्रीय संगीत के नई साधकों के रियाज के लिए भी जानी जाती है। क्योंकि यहां पिछले डेढ़ दशक से शास्त्रीय संगीत के विद्यार्थियों को गायन के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाता है।Conclusion:संगीत के कलाकारों द्वारा नए कलाकारों को उनके गायन और वादन में परिपक्वता लाना रागायन संस्था का मुख्य मकसद है। गंगा दास की शाला को लोग 700 से ज्यादा साधुओं के महारानी लक्ष्मी बाई के साथ अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीदों के रूप में जानते है। प्रसिद्ध ढोली बुआ मठ के महाराज गायन की कलाकारों को विशेष दीक्षा देते हैं।
बाईट- पंडित रामसेवक दास....महंत गंगा दास की बड़ी शाला
(महेश शिवहरे स्ट्रींगर ग्वालियर)
Last Updated : Feb 9, 2020, 10:50 AM IST
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