ग्वालियर। शिक्षा विभाग से जुड़े और सेवानिवृत्त हो चुके कुछ समाजसेवी ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हैं, जिन्होंने अभी तक स्कूल नहीं देखा और न ही उनके नाम किसी स्कूल में दर्ज हैं. लेकिन समाज के कुछ जागरूक लोगों ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इन बच्चों को शिक्षित करने की ठानी है. शहर के 5 क्षेत्रों में गरीब मलिन बस्तियों के बच्चों को यह शिक्षक पिछले लंबे अरसे से पढ़ा रहे हैं.
समाजसेवी बच्चों को कर रहे शिक्षित
बहोड़ापुर स्थित किशन बाग में ढोलक बनाने और सुधारने का काम करने वाले परिवार इन झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं, जिनको शिक्षित करने के लिए समाजसेवी आगे आए है, बेहद गरीबी में जीवन यापन कर रहे इन परिवार के बच्चों को शिक्षा के नाम पर सिर्फ आंगनाबाड़ी केंद्र का सहारा है, जो महीनों तक खुलती नहीं है. वहीं बस्ती में गंदगी का आलम ऐसा है कि इस बदबूदार बस्ती में कोई घंटे भर तक रुक नहीं सकता है. लेकिन सरकार ने इस ओर शायद कभी ध्यान ही नहीं दिया.
बच्चों की शिक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं
डाइट के प्राचार्य रह चुके ओपी दीक्षित बताते हैं कि शहर के बीच में रहने के बावजूद इन बच्चों की शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इनके माता-पिता को अपनी मजदूरी से ही फुर्सत नहीं है. ऐसे में कुछ शिक्षक और उनके साथी इन बच्चों को शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शहर के पांच अलग-अलग स्थानों पर उन्होंने ऐसे बच्चों को चिन्हित किया है, जो शिक्षा से वंचित रह गए हैं.
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स्टेशनरी का सामान भी करा रहे उपलब्ध
इन बच्चों को स्टेशनरी भी शिक्षक अपनी ओर से मुहैया कराते हैं, उन्हें शिक्षा के प्रति लगाव रहे इसके लिए बच्चों को लर्निंग बाय ऑब्जेक्ट के जरिए पढ़ाया जाता हैं. उन्हें प्रारंभिक शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है. साथ ही कुछ किशोर बच्चे भी यहां रहते है, उन्हें भी बच्चों के साथ प्रारंभिक शिक्षा दी जा रही है.