ग्वालियर। कहते है जहां चाह होती है, वहीं राह होती है, या यूं कहें कि मंजिल का रास्ता आसान हो जाता है और मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो फिर उम्र भी आपका रास्ता नहीं रोक पाती है. यही वजह है कि बुजुर्गों की एक टोली ने अचंभित करने वाला काम कर दिखाया है और देखते ही देखते श्मशान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया.
चार शहर नाका रोड पर स्थित श्मशान 18 वर्षों से वीरान पड़ा था, लेकिन बुजुर्गों के समूह ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत श्मशान का कायाकल्प कर दिया. अब श्मशान का नजारा पूरी तरह बदल गया है.
परिसर में चारों ओर पेड़-पौधे और हरियाली नजर आती है तो पीने के पानी के लिए वॉटर कूलर, नहाने के लिए गीजर से निकलते गर्म पानी, बैठने के लिए सीमेंट की कुर्सियां, टीन सेट आदि का जन-सहयोग से निर्माण करवाया है.
इतना ही नहीं ये संस्था क्षेत्र की लावारिस लाशों का भी अंतिम संस्कार कराती है. अस्थियों को लेकर संस्था के कार्यकर्ता हरिद्वार जाते हैं और उन्हें गंगा में प्रवाहित करते हैं. जिसके बाद कन्या भोज का आयोजन किया जाता है.
संस्था के सदस्य अमर सिंह मीणा ने बताया कि वह हर महीने जन-सहयोग के लिए साइकिल से निकलते हैं, जिसमें लोगों का भरपूर सहयोग मिलता है.15 लोगों से शुरु हुआ कारवां 400 लोगों तक जा पंहुचा, जो आगे भी जारी रहेगा. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश