ग्वालियर। मध्यप्रदेश उपचुनाव के नतीजों पर कई दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा है. इनमें सबसे पहला नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. सीटों की संख्या से तय होगा कि भाजपा में सिंधिया की ताकत बढ़ेगी या घटेगी. यह भी पता चलेगा कि दलबदल कानून से बचने के लिए इस्तीफा देकर पार्टी बदलने का फॉर्मूला कितना कामयाब हुआ.
इन नेताओं का दांव पर राजनीतिक भविष्य
सिंधिया के साथ उपचुनाव के नतीजों का सबसे ज्यादा असर उन पूर्व मंत्रियों पर पड़ने वाला है, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. इनमें गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, एदल सिंह कंसाना, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर,राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र सिंह यादव,गिर्राज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया के नाम शामिल हैं.
जीत से बढ़ेगा सिंधिया का कद
इस उपचुनाव में इनके मुखिया रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोक दी है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि अगर यह सभी मंत्री बीजेपी पार्टी की तरफ से जीतकर आते हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ेगा और उनके लिए आगे रास्ते भी खुलेंगे.
मंत्रियों की हार में छिपा है इनका भविष्य
उपचुनाव के परिणाम ऐसे आते हैं कि भले ही बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब हो जाए, लेकिन कुछ मंत्री चुनाव हार जाएं तो बीजेपी के उन सीनियर नेताओं की किस्मत चमक जाएगी. जिन्हें शिवराज कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी. इनमें रामपाल सिंह, संजय पाठक और राजेंद्र शुक्ला जैसे नाम शामिल हैं. पिछला चुनाव हार चुके कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जमीन छोड़नी पड़ी है, वे भी अगले चुनाव के लिहाज से सक्रिय हो जाएंगे.
कमलनाथ की भी 'अग्नि परीक्षा'
कांग्रेस अगर सिंधिया के गढ़ को धराशायी कर 20 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेती है, तो कमलनाथ का कद कांग्रेस में और बढ़ जाएगा. दूसरा पहलू ये है कि अगर वे सरकार बनाने में कामयाब न हो सके और 10 से भी कम सीटें मिलीं, तो कमलनाथ पर प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ सकता है.
क्या होगा शिवराज का भविष्य
बीजेपी को 20 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो आलाकमान का सीएम शिवराज पर भरोसा तो बढ़ेगा, लेकिन सत्ता की चाबी सिंधिया के हाथ में होगी. क्योंकि ज्यादा सीटें आने पर पूरा श्रेय सिंधिया को ही मिलेगा. हालांकि सीएम शिवराज को इसका एक फायदा ये कि बीजेपी की हार पर वे इसका ठीकरा सिंधिया पर फोड़ सकते हैं.
सदन की स्थिति
विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. उपचुनाव के दौरान ही दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए. अब सदन की संख्या 229 रह गई है. मौजूदा विधानसभा में 201 सदस्य हैं. इसमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बीसपी के 2, एसपी का 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं. बहुमत के लिए 115 विधायकों की जरुरत होगी. ऐसे में भाजपा को 8 और कांग्रेस को 28 सीटें जीतनी होंगी.