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सवर्ण नेताओं ने कमलनाथ सरकार को दी चेतावनी, मांगे पूरी न होने पर होगा उग्र आंदोलन

ग्वालियर चंबल संभाग में सवर्ण नेताओं ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी. इसके अलावा कमलनाथ सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप भी लगाया.

सवर्ण आंदोलन की चेतावनी
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Published : Sep 18, 2019, 1:08 PM IST

ग्वालियर। चंबल संभाग में एक बार फिर सवर्ण आंदोलन की आवाज उठने लगी है. सवर्णों की माने तो जल्द ही प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले हैं. जिसकी मुख्य वजह विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वचन पत्र के माध्यम से किये गये वादों पूरा न करना है. सवर्ण नेताओं ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है, अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो उग्र आंदोलन किया जायेगा.

सवर्ण नेताओं ने प्रदेश सरकार को दी चेतावनी

बता दें 2 अप्रैल 2018 को एससी-एसटी एक्ट को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल में आंदोलन शुरु हुआ था. जो आग की तरह पूरे देश में फैल गया था. इस आंदोलन की वजह से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था.

ये हैं मांगें-
- सवर्ण आयोग का गठन कर, संवैधानिक दर्जा दिया जाये.
- आर्थिक आधार पर लागू किया गया 10 प्रतिशत आरक्षण, शिक्षा और नौकरी के साथ सभी स्तरों पर लागू हो.
- 2 अप्रैल 2018 को हुई हिंसा के दौरान सवर्णों पर लगे मुकदमे वापिस लिये जायें.

सवर्ण नेता सुनील पटेरिया ने कहा कि सवर्णों के आंदोलन की वजह से ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा सवर्ण नेता ने सीएम कमलनाथ पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बयान दिया है कि सवर्णों से जो वादे किए हैं, सरकार लगातार उस दिशा में काम कर रही है. किसी भी जाति समुदाय धर्म के लोगों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. वचन पत्र में जो भी वादे किये गए थे सरकार उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ग्वालियर। चंबल संभाग में एक बार फिर सवर्ण आंदोलन की आवाज उठने लगी है. सवर्णों की माने तो जल्द ही प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले हैं. जिसकी मुख्य वजह विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वचन पत्र के माध्यम से किये गये वादों पूरा न करना है. सवर्ण नेताओं ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है, अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो उग्र आंदोलन किया जायेगा.

सवर्ण नेताओं ने प्रदेश सरकार को दी चेतावनी

बता दें 2 अप्रैल 2018 को एससी-एसटी एक्ट को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल में आंदोलन शुरु हुआ था. जो आग की तरह पूरे देश में फैल गया था. इस आंदोलन की वजह से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था.

ये हैं मांगें-
- सवर्ण आयोग का गठन कर, संवैधानिक दर्जा दिया जाये.
- आर्थिक आधार पर लागू किया गया 10 प्रतिशत आरक्षण, शिक्षा और नौकरी के साथ सभी स्तरों पर लागू हो.
- 2 अप्रैल 2018 को हुई हिंसा के दौरान सवर्णों पर लगे मुकदमे वापिस लिये जायें.

सवर्ण नेता सुनील पटेरिया ने कहा कि सवर्णों के आंदोलन की वजह से ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा सवर्ण नेता ने सीएम कमलनाथ पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बयान दिया है कि सवर्णों से जो वादे किए हैं, सरकार लगातार उस दिशा में काम कर रही है. किसी भी जाति समुदाय धर्म के लोगों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. वचन पत्र में जो भी वादे किये गए थे सरकार उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

Intro:ग्वालियर चंबल संभाग में एक बार फिर सवर्ण आंदोलन की शुरुआत सुनाई देने लगी है सवर्ण वर्ग के लोगों की माने तो जल्द ही प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले हैं इसके पीछे मुख्य कारण है कि विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी ने सवर्णों से वचन पत्र के माध्यम से जो वादे किए थे पर निभाने में असमर्थ नजर आ रही है। सवर्ण के नेताओं का कहना है कि उनकी पहली मांग यह है कि मध्य प्रदेश में सवर्ण आयोग का गठन किया जाए क्योंकि जब किसी भी व्यक्ति पर एससी एसटी एक्ट का गलत प्रयोग किया जाएगा तो वह मदद मांगने कहां जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल की हिंसा के दौरान मध्य प्रदेश सरकार दलितों पर लगाए गए मुकदमे वापस ले रही है लेकिन सवर्ण पर लगाए गए मुकदमें वापस क्यों नहीं ले रही।


Body:इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण सवर्णो को दिया गया है वह केवल नौकरी और शिक्षा में लागू ना होते हुए बल्कि सभी स्तर पर लागू होना चाहिए। इन मांगों को लेकर सड़क के नेता कांग्रेश के नेताओं से मिलेगे और उसके बाद अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह आगे आने वाले समय में अपनी मांग मंगवाने के लिए एक बार फिर उग्र आंदोलन करने पर करेंगे ।हालांकि इस मामले में कांग्रेस के नेता प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने जो वादे किए हैं उस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है किसी भी जाति समुदाय धर्म के लोगों के साथ कोई अन्याय होने नहीं दिया जाएगा।


Conclusion:गौरतलब है कि 2 अप्रैल को एससी एसटी एक्ट को लेकर ग्वालियर चंबल अंचल में ही सबसे बड़ा आंदोलन हुआ था और यहां से जो आंदोलन शुरू हुआ उसकी आग पूरे देश में फैल गई थी इतना ही नहीं इसके बाद सवर्ण वर्ग के लगातार बीजेपी सरकार के नेताओं का विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया था यह विरोध प्रदर्शन इतना तेज था कि विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग की बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था।

बाईट - आर पी सिंह , कॉंग्रेस प्रवक्ता

बाईट - सुनील पटेरिया , सवर्ण बर्ग का नेता
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