ग्वालियर। जिले में पिछले 7 दिनों से चल रही सफाई कर्मचारियों की हड़ताल 10 दिनों के लिए टल गई है. बुधवार को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह सफाई कर्मचारियों के बीच पहुंचे. वे धरना स्थल पर पहुंचे और एक-एक कर सभी सफाई कर्मचारियों की परेशानी सुनी. इसके बाद सफाई कर्मचारियों ने आश्वासन दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर विचार चल रहा है, वे अपनी हड़ताल को स्थगित कर रहे हैं. अगर 11 दिन बाद भी उनकी समस्याओं का हल नहीं हुई तो फिर से हड़ताल पर चले जाएंगे.
कलेक्टर ने लिया सफाई का जिम्मा
नगर निगम के आउट सोर्स कर्मचारी वेतन न मिलने और ठेका प्रथा खत्म करने को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. ये मामला सीएम शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचा था. जिसके बाद आनन-फानन में ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन को हटा दिया गया था. इसके बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने खुद ग्वालियर शहर की सफाई का जिम्मा अपने हाथों लिया हैं. वे बुधवार सुबह से शहर की सड़कों पर घूम रहे थे.
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कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को पता चला कि सफाई कर्मचारियों ने अपना तंबू फूलबाग चौराहे पर अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर लगा दिया है. इसके बाद वे उनके पास पहुंच गए. कलेक्टर के मुताबिक उन्होंने एक समिति का गठन कर दिया है, जो सफाई कर्मचारियों की मांगों पर काम करेगी. वहीं सफाई कर्मचारियों ने 10 दिन का कलेक्टर को अल्टीमेटम दिया है.
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क्या है पूरा मामला?
31 दिसंबर से नगर निगम के सफाई कर्मी, आउटसोर्स कर्मचारी और इको ग्रीन कंपनी के विनियमित किए गए कर्मचारियों ने मिलकर संयुक्त रूप से हड़ताल पर थे. जिससे शहर में सफाई व्यवस्था एक बार फिर लड़खड़ा गई है. कर्मचारियों का कहना था की उन्हें सिवाय आश्वासन के अभी तक कुछ नहीं मिला है.
सफाई कर्मियों की हड़ताल
सभी कर्मचारी गुरुवार सुबह 6 बजे से महाराज बाड़े पर एकत्रित होकर प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद वे सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के घर पहुंचे थे और वहां उन्होंने सांसद की गैरमौजूदगी में उनके घर बाहर बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया था. उनका कहना था की इको ग्रीन कंपनी की तर्ज पर नगर निगम के अधिकारी भी सफाई व्यवस्था पर काम कर रहे हैं. वह दो पारियों में 400 कर्मचारियों से रोज काम ले रहे हैं, लेकिन जब वेतन देने की बात आती है तो एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं. ऐसे में आउटसोर्स कर्मचारी और इकोग्रीन के कर्मचारियों को बार-बार हड़ताल करना पड़ रहा है. कचरा सेंटर पर लगे सुरक्षा गार्डों को भी लंबे रास्ते से वेतन नहीं मिला है.
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हड़ताली कर्मचारियों को नगर निगम आयुक्त ने 24 घंटे में वेतन देने का भरोसा दिया था, लेकिन वह भी उनके खाते में नहीं पहुंचा. शहर के 21 वार्डों में 100 फ़ीसदी कचरा कलेक्शन नहीं होने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. शहर में शुक्रवार रात तक 200 से भी ज्यादा कचरा विभिन्न स्थानों पर पड़ा रहा. वहीं सांसद विवेक शेजवलकर ने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया था कि वे नगर निगम कमिश्नर से बात करके उनकी समस्या दूर करने का प्रयास करेंगे.