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दुनिया भर में फेमस है मुरैना की शाही गजक, देश के अलावा सात समंदर पार भी होती है पार्सल - मुरैना की फेमस गजक

देशभर में मुरैना की गजक के लोग दिवाने हैं. यही नहीं सात समुंदर पार तक लोग यहां की गजक मंगाते हैं. आइए जानते हैं चंबल की गजक कैसे बनती हैं. (famous gajak of morena)

sankranti ke swad
संक्रांति के स्वाद
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Published : Jan 11, 2022, 10:27 PM IST

ग्वालियर/मुरैना। ग्वालियर-चंबल अंचल को लोग बीहड़ और बागी के नाम से जानते हैं. अब चंबल की पहचान ऐसी मिठाई से होने लगी है, जो सर्दी में हर कोई खाना पसंद करता है. इस मिठाई के स्वाद की वजह से इसकी पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. यही वजह है कि मकर संक्रांति के मौके पर चंबल से यह मिठाई सात समुंदर पार तक पहुंचती है. वह मिठाई है चंबल में बनने वाली शाही (famous gajak of morena) गजक. आइए जानते हैं कि चंबल की गजक में क्या है खास और यह मिठाई कैसे बनायी जाती है.

क्या है मुरैना की गजक में खास

मुरैना में बनाई जाती है यह गजक
चंबल में गजक बनाने का इतिहास लगभग 80 से 90 साल पुराना है. चंबल के मुरैना जिले में यह शाही गजब बनाई जाती है. यह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गजक है. मुरैना जिले से देश के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी गजक पार्सल की जाती है.

देशभर में पहली पसंद है मुरैना की गजक
यहां की गजक को लोग काफी पसंद करते हैं. सर्दियां शुरू होते ही यहां गजक बनना शुरू हो जाती है. जब तक सर्दियां रहती हैं, तब तक यहां गजक का कारोबार चलता है. मुरैना में लगभग 200 से अधिक गजक कारीगर हैं, जो यहां पर गजक बनाने का काम करते हैं.

गजक के स्वाद के दीवाने हैं लोग
यूं तो अब गजक मुरैना जिले के अलावा ग्वालियर चंबल संभाग के सभी जिलों (gajak demand on makar sankranti in mp) में बनाई जाने लगी है. इसके साथ ही यहां से कारीगर अलग-अलग राज्यों में पहुंचकर गजक बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन गजक का स्वाद जो मुरैना का है, वह किसी और में नहीं. यह स्वाद यहां के पानी की ताशीर का नतीजा माना जाता है.

देशभर में रहती है हलवाइयों की डिमांड
बताया जाता है कि चंबल नदी के पानी में कुछ खास तत्व पाए जाते हैं, जिसके चलते यहां बनने वाली गजक स्वाद में बेहद टेस्टी लगती है. सेहत के लिए भी यह फायदेमंद रहती है. यही वजह है कि गजक बनाने वाली मुरैना के हलवाइयों की देशभर में डिमांड रहती है.

इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए खास गजक
गजक का महत्व केवल स्वाद की वजह से ही नहीं है, बल्कि गजक में इस्तेमाल होने वाली तिल और गुड़ सर्दियों में शरीर के लिए औषधि का काम करता है. कोरोना जैसी महामारी के समय में जहां लोग अपने शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाइयां और महंगी खाद्य पदार्थ खा रहे हैं. वहीं गजक भी उनके लिये लाभकारी है. सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में शुद्ध गुड़ और तिल का उपयोग किया जाता है.

20 से 25 वैरायटी की बनती है गजक
वैसे तो मुरैना में गुड़ और शक्कर की गजक काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अब अंचल में कई वैरायटी की गजक बनाई जा रही है. इसमें गजब के लड्डू, पटरी रोल, समोसा गजक जैसी कई वैरायटी प्रमुख है. यहां से गजक पूरे देश भर के अलग-अलग राज्यों में जाती है.

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व
मकर संक्रांति के मौके पर तिल का महत्व (gajak importance on makar sankranti in mp) विशेष माना जाता है. यही वजह है कि इस मौके पर तिल से बनने वाली मुरैना की गजक की भारी डिमांड रहती है. हर कोई मिठाई के बदले यह शुद्ध और सेहत वाली मिठाई यानी गजक लेना पसंद करता है. मकर संक्रांति के मौके पर चंबल में गजक मेला भी लगाया जाता है, इसमें अलग अलग वैरायटी की दर्जनों भर गजक यहां पर मिलती हैं. मकर संक्रांति के मौके पर चंबल के मुरैना जिले में ही लगभग 50 क्विंटल की बिक्री होती है.

गुड़ की गजक बनाने की विधि (how to make gajak)
गजक बनाने के लिए देसी शुद्ध गुण और साफ तिल चाहिए. इसे बनाने के लिए सबसे पहले हम एक कढ़ाई में साफ और स्वच्छ तिल को धीमी आंच पर सेंकते हैं. सेंकने के दौरान तिल जलना नहीं चाहिए. तिल सेंकने के बाद उसे अलग रख दें. उसके बाद पानी को गर्म कर उसमें साफ गुड़ मिलाया जाता है.

इससे गुड़ की चाशनी तैयार की जाती है. 20 मिनट बाद चाशनी को बड़ी प्लेट में ठंडा किया जाता है. इसे ठंडा करने के बाद लेयर बना लें और उस लेयर को लकड़ी की सहारे खींचे. ऐसे तब तक करें जब तक चाशनी का रंग सफेद न हो जाए.

ऐसा करने से गजक खस्ता होती है. यह विधि लगभग 20 से 25 मिनट तक की जाती है. अब चासनी की लेयर को भुने हुए तिल में मिलाएं और फिर इसकी कुटाई करें. लगभग 10 से 15 मिनट तक अच्छे से कुटाई करें ताकि चासनी और तिल पूरी तरह मिल जाएं.

यहां मिलती हैं 30 वैरायटी की गजक

अच्छी तरह से मिलने के बाद उसे किसी बड़ी पत्थर की पाट पर रखा जाता है. इसके बाद फिर साइज के हिसाब से काटते हैं और गजक बनकर तैयार हो जाती है. शक्कर की गजक बनाने के लिए यही विधि अपनाई जाती है.

ग्वालियर/मुरैना। ग्वालियर-चंबल अंचल को लोग बीहड़ और बागी के नाम से जानते हैं. अब चंबल की पहचान ऐसी मिठाई से होने लगी है, जो सर्दी में हर कोई खाना पसंद करता है. इस मिठाई के स्वाद की वजह से इसकी पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. यही वजह है कि मकर संक्रांति के मौके पर चंबल से यह मिठाई सात समुंदर पार तक पहुंचती है. वह मिठाई है चंबल में बनने वाली शाही (famous gajak of morena) गजक. आइए जानते हैं कि चंबल की गजक में क्या है खास और यह मिठाई कैसे बनायी जाती है.

क्या है मुरैना की गजक में खास

मुरैना में बनाई जाती है यह गजक
चंबल में गजक बनाने का इतिहास लगभग 80 से 90 साल पुराना है. चंबल के मुरैना जिले में यह शाही गजब बनाई जाती है. यह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गजक है. मुरैना जिले से देश के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी गजक पार्सल की जाती है.

देशभर में पहली पसंद है मुरैना की गजक
यहां की गजक को लोग काफी पसंद करते हैं. सर्दियां शुरू होते ही यहां गजक बनना शुरू हो जाती है. जब तक सर्दियां रहती हैं, तब तक यहां गजक का कारोबार चलता है. मुरैना में लगभग 200 से अधिक गजक कारीगर हैं, जो यहां पर गजक बनाने का काम करते हैं.

गजक के स्वाद के दीवाने हैं लोग
यूं तो अब गजक मुरैना जिले के अलावा ग्वालियर चंबल संभाग के सभी जिलों (gajak demand on makar sankranti in mp) में बनाई जाने लगी है. इसके साथ ही यहां से कारीगर अलग-अलग राज्यों में पहुंचकर गजक बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन गजक का स्वाद जो मुरैना का है, वह किसी और में नहीं. यह स्वाद यहां के पानी की ताशीर का नतीजा माना जाता है.

देशभर में रहती है हलवाइयों की डिमांड
बताया जाता है कि चंबल नदी के पानी में कुछ खास तत्व पाए जाते हैं, जिसके चलते यहां बनने वाली गजक स्वाद में बेहद टेस्टी लगती है. सेहत के लिए भी यह फायदेमंद रहती है. यही वजह है कि गजक बनाने वाली मुरैना के हलवाइयों की देशभर में डिमांड रहती है.

इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए खास गजक
गजक का महत्व केवल स्वाद की वजह से ही नहीं है, बल्कि गजक में इस्तेमाल होने वाली तिल और गुड़ सर्दियों में शरीर के लिए औषधि का काम करता है. कोरोना जैसी महामारी के समय में जहां लोग अपने शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाइयां और महंगी खाद्य पदार्थ खा रहे हैं. वहीं गजक भी उनके लिये लाभकारी है. सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में शुद्ध गुड़ और तिल का उपयोग किया जाता है.

20 से 25 वैरायटी की बनती है गजक
वैसे तो मुरैना में गुड़ और शक्कर की गजक काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अब अंचल में कई वैरायटी की गजक बनाई जा रही है. इसमें गजब के लड्डू, पटरी रोल, समोसा गजक जैसी कई वैरायटी प्रमुख है. यहां से गजक पूरे देश भर के अलग-अलग राज्यों में जाती है.

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व
मकर संक्रांति के मौके पर तिल का महत्व (gajak importance on makar sankranti in mp) विशेष माना जाता है. यही वजह है कि इस मौके पर तिल से बनने वाली मुरैना की गजक की भारी डिमांड रहती है. हर कोई मिठाई के बदले यह शुद्ध और सेहत वाली मिठाई यानी गजक लेना पसंद करता है. मकर संक्रांति के मौके पर चंबल में गजक मेला भी लगाया जाता है, इसमें अलग अलग वैरायटी की दर्जनों भर गजक यहां पर मिलती हैं. मकर संक्रांति के मौके पर चंबल के मुरैना जिले में ही लगभग 50 क्विंटल की बिक्री होती है.

गुड़ की गजक बनाने की विधि (how to make gajak)
गजक बनाने के लिए देसी शुद्ध गुण और साफ तिल चाहिए. इसे बनाने के लिए सबसे पहले हम एक कढ़ाई में साफ और स्वच्छ तिल को धीमी आंच पर सेंकते हैं. सेंकने के दौरान तिल जलना नहीं चाहिए. तिल सेंकने के बाद उसे अलग रख दें. उसके बाद पानी को गर्म कर उसमें साफ गुड़ मिलाया जाता है.

इससे गुड़ की चाशनी तैयार की जाती है. 20 मिनट बाद चाशनी को बड़ी प्लेट में ठंडा किया जाता है. इसे ठंडा करने के बाद लेयर बना लें और उस लेयर को लकड़ी की सहारे खींचे. ऐसे तब तक करें जब तक चाशनी का रंग सफेद न हो जाए.

ऐसा करने से गजक खस्ता होती है. यह विधि लगभग 20 से 25 मिनट तक की जाती है. अब चासनी की लेयर को भुने हुए तिल में मिलाएं और फिर इसकी कुटाई करें. लगभग 10 से 15 मिनट तक अच्छे से कुटाई करें ताकि चासनी और तिल पूरी तरह मिल जाएं.

यहां मिलती हैं 30 वैरायटी की गजक

अच्छी तरह से मिलने के बाद उसे किसी बड़ी पत्थर की पाट पर रखा जाता है. इसके बाद फिर साइज के हिसाब से काटते हैं और गजक बनकर तैयार हो जाती है. शक्कर की गजक बनाने के लिए यही विधि अपनाई जाती है.

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