ग्वालियर। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन तमाम कोशिशों में जुटा है कि संक्रमण पर काबू पाया जा सके. लेकिन इस कठिन घड़ी में भी कई ऐसी चीजें हैं, जो उनके रास्ते का रोड़ा बन रही हैं. उनमें से एक है गुटखा और तंबाकू की धड़ल्ले से हो रही बिक्री. शुरूआती लॉकडाउन तक तो इनके व्यापार पर प्रतिबंध लगा, लेकिन इनकी काला बाजारी नहीं रुक पाई. लिहाजा अब माना जा रहा है कि ग्वालियर में संक्रमण फैलने की एक वजह गुटखा तंबाकू खाकर सार्वजनिक स्थलों पर थूकना भी है.
हालांकि जिला प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की, जो सार्वजनिक स्थलों पर थूकते पाए गए. ऐसे लोगों से 500 से लेकर एक हजार रुपए तक जुर्माना भी वसूला गया, बावजूद इसके जिले की सूरत में कोई खास बदलाव नहीं देखने को मिला है. सार्वजनिक स्थलों पर आज भी गुटखा, पान और तंबाकू की पीक के निशान निशान मिल जाते हैं.
जैसे-जैसे समय गुजरता गया, वैसे-वैसे ही जिला प्रशासन की सख्ती भी कम होती गई. जानकारों की मानें तो शहर में दो से तीन लाख गुटखे के पाउच की रोजाना खपत होती है. डॉक्टर सुनील अग्रवाल कहते हैं कि तंबाकू-गुटखा तो सेहत के लिए वैसे ही हानिकारक होता है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में इनका सेवन और खतरनाक है. इससे एक तो खाने वाले की इम्युनिटी घटती है, वहीं दूसरी तरफ जगह-जगह थूकने से संक्रमण फैलने का खतरा भी होता है.
कोरोना को अगर हराना है तो हर किसी को इस लड़ाई में अपना योगदान देना होगा. प्रशासन को चाहिए की गुटखा-तंबाकू पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए, वहीं सामान्य जनमानस को भी जिम्मेदार बनने की जरूरत है.