ग्वालियर। कोरोना काल के चलते लगभग 9 महीने से सभी स्कूल बंद है. संपन्न लोगों के बच्चे तो ऑनलाइन क्लासेज अटेंड कर रहे हैं लेकिन उन गरीब बच्चों का क्या जिनके माता-पिता बमुश्किल इस कोरोना काल में दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पा रहे हैं. वह अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएं. यही विचार मन में आने के बाद ग्वालियर शहर के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित ने सड़क किनारे झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने की ठानी और सबसे पहले उन्होंने अपने घर के पास रेलवे ट्रैक पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.
वर्तमान में ओपी दीक्षित शहर के पांच अलग-अलग स्थानों पर गरीब पाठशाला संचालित कर रहे हैं. 15 गरीब पाठशाला सेंटरों में लगभग 200 से अधिक बच्चे पढ़ते है और इस पाठशाला में न केवल बच्चों की मुफ्त शिक्षा दी जाती है. बल्कि उनके लिए कॉपी किताब और गर्म कपड़ों का इंतजाम भी यह लोग समाजसेवियों की मदद से करने में जुटे हुए हैं.
ऐसे हुई गरीब बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत
शिक्षक के पद पर कार्यरत रहे ओपी दीक्षित का दिसंबर 2019 में रिटायरमेंट हो गया था. इसके बाद कोविड-19 में वह अक्सर सुबह शाम घर से बाहर घूमने निकलते थे तो उनकी नजर रेल पटरियों के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ी पर पड़ी. वहां कुछ बच्चे खेल रहे थे. जब उन्होंने बच्चों के माता-पिता से पढ़ाई के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी यह लोग पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. हम लोग जब मजदूरी करने जाते हैं तो यह घर पर छोटे बच्चों की देखभाल करते हैं. उसके बाद रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित के मन में ख्याल आया कि इन गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है और इसके बाद उन्होंने इन बच्चों को शिक्षा देने की ठान ली.
गरीब बच्चों की पाठशाला
रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित ने विवेकानंद नगर में रेलवे ट्रैक के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाना दिखाना शुरू किया. तीन महीने पढ़ाने के बाद आधे से ज्यादा झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का काम खत्म हो गया तो उन्होंने वहां से अपनी झुग्गी झोपड़ियां हटाकर बिरला नगर रेलवे स्टेशन की तरफ शिफ्ट कर ली. ओपी दीक्षित को लगा कि जिन बच्चों को 3 महीने से वह पढ़ा रहे थे, एक बार फिर शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. इसलिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाना जारी रखा. ओपी दीक्षित अपने घर के पास रेलवे ट्रैक के पास बने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को सुबह के वक्त पढ़ाते हैं. फिर उसके बाद घर से लगभग 5 किलोमीटर दूर बिरला नगर रेलवे स्टेशन के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों की बच्चों को पढ़ाने के लिए रोज शाम को वक्त यहां आते हैं.
रोजी-रोटी के लिए करते हैं मजदूरी
रिटार्यड शिक्षक ओपी दीक्षित शहर के दो अलग-अलग स्थानों पर गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं. यह सभी बच्चे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली परिवारों की है जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. रोज सुबह के वक्त यह परिवार कमाने के लिए निकलते हैं और शाम को घर आते हैं.
निजी स्कूल संचालक का मिला साथ
जब रेल की पटरियों के पास इन गरीब बच्चों को ओपी दीक्षित पढ़ा रहे थे तो उसी समय शहर के एक निजी स्कूल के संचालक की नजर पड़ी. जिससे उन्होंने भी इस नेक काम में साथ देने की इच्छा जाहिर की. वह भी अब बिरला नगर रेलवे स्टेशन के पास इन गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए ओपी दीक्षित की मदद करते हैं. रोज शाम के वक्त लगभग 20 से अधिक गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने के लिए वह अपने घर से 1 किलोमीटर दूर चलकर इन बच्चों को ओपी दीक्षित के साथ पढ़ाने के लिए आते हैं.
गरीब बच्चों की मदद के लिए आगे आ रहे लोग
रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित की इस मुहिम से शहर के अन्य लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. शहर के कई समाजसेवी इन बच्चों के लिए कॉपी पेंसिल की व्यवस्था कर रहे हैं तो कोई ठंड के मौसम में उनके कपड़ों का इंतजाम कर रहा है. ओपी दीक्षित की इस मुहिम से लोग काफी खुश हैं. उनका कहना है कि ऐसा करने का हर व्यक्ति में जज्बा नहीं होता है. रिटायर होने के बाद लोग घर में आराम करते हैं लेकिन शिक्षक ओपी दीक्षित ने गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. यही वजह है कि आज यह बच्चे पढ़ने लिखने लगे है.
रिटायर्ड शिक्षक ने संवारा गरीब बच्चों का जीवन
कुछ महीने पहले तक गरीब परिवारों के बच्चों को यह नहीं पता था कि पढ़ाई लिखाई क्या होती है और कैसे की जाती है. यह सिर्फ अपना पेट भरने के लिए अपने परिवार के साथ रह रहे थे. लेकिन रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित की वजह से आज यह बच्चे पढ़ने लिखने लगे हैं. कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जो थोड़े समय में ही बहुत कुछ सीख चुके हैं. बच्चों की इच्छा है कि वह पढ़ लिखकर एक अच्छा इंसान बने ताकि उनका परिवार जो जीवन जी रहा है उसे बेहतर बना सकें.