ग्वालियर। देश को कुपोषण मुक्त बनाने का सपना कब हकीकत में बदलेगा यह तो किसी को नहीं पता. लेकिन इस तरफ किए जा रहे प्रयासों की हकीकत आज हम आपको बताएंगे. देश के दिल मध्य प्रदेश में सरकार हर साल पोषण आहार और मिड डे मील पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, हाल में ही सरकार ने आंगनवाड़ीओ में अंडा बांटने की कवायद भी शुरू कर दी है. जिससे कुपोषण को कम किया जाए.
सरकार के इन दावों की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के ही गृह जिले ग्वालियर में पड़ताल की और शहर के एनआरसी सेंटर में जाकर कुपोषित बच्चों का हाल जाना. जहां पता चला कि ग्वालियर शहर में कुपोषण की स्थिति जस की तस बनी हुई है. पिछले सालों में कुपोषण के आंकड़ों में कोई फर्क नजर नहीं आया है.
एनआरसी सेंटर में नहीं होती देखरेख
कुपोषित बच्चे की मां ने ईटीवी भारत को बताया कि आंगनबाड़ियों में पोषण आहार भी मिलता है. लेकिन देख रेख का ज्यादा खास ध्यान नहीं रखा जाता. वहीं एनआरसी सेंटर की प्रभारी से जब हमने आकड़ो के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि कुपोषित बच्चों की आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई है जिस प्रकार से पिछले 2 सालों में कुपोषित बच्चे सामने आए हैं, उतने ही इस समय भी आ रहे हैं और यही हालत जिले के अलग-अलग एनआरसी सेंटरों की है.
ईटीवी भारत ने जब महिला बाल विकास के ज्वाइंट डायरेक्टर सुरेश तोमर से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी जिले में 23 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे हैं. जिसमें सबसे ज्यादा बच्चियां कुपोषित हैं.
ऐसे में जब महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के गृह जिले में ही कुपोषण की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है, तो बाकी जिलों की क्या स्थिति होगी यह आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं.