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रानी लक्ष्मीबाई की याद में बलिदान-दिवस, झांसी से समाधि-स्थल पहुंची मशाल

ग्वालियर में हर साल लगने वाला वीरांगना लक्ष्मीबाई की याद में बलिदान मेला शुरू हो गया है. इस बार यह सांकेतिक रूप से ही लगाया गया है. 22वें "वीरांगना मेले" की शुरुआत शहीद ज्योति के आगमन से हुई. यह मशाल झांसी के किले से चलकर आती है जो महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाकर स्थापित हो जाती है.

Rani Laxmibai sacrifice day
रानी लक्ष्मीबाई बलिदान-दिवस
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Published : Jun 18, 2021, 10:04 AM IST

ग्वालियर। ग्वालियर में हर साल लगने वाला वीरांगना लक्ष्मीबाई की याद में बलिदान मेला शुरू हो गया है. इस बार यह सांकेतिक रूप से ही लगाया गया है. 22वें "वीरांगना मेले" की शुरुआत शहीद ज्योति के आगमन से हुई. यह मशाल झांसी के किले से चलकर आती है जो महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाकर स्थापित हो जाती है. मेले के संस्थापक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया ने कहा की वीरांगना हमारे देश में वीरता की प्रतीक हैं. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत का झंडा बुलंद करने वाली रानी लक्ष्मीबाई देश के इतिहास में सम्मान की प्रतिमूर्ति हैं. स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत की 163 वी वर्षगांठ पर 22वां वीरांगना बलिदान मेले का आयोजन 17 - 18 जून को ग्वालियर में उनकी समाधि पर आयोजित किया गया.

क़ोरोना वारियर्स का किया सम्मान
मेले में श्रद्धांजलि और "क़ोरोना वारियर्स नारी" सम्मान का कार्यक्रम रखा गया. शाम को वर्चुअल काव्य-पाठ के आयोजन की भी योजना है. मेले के संस्थापक और बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भान सिंह पवैया ने कहा कि संपूर्ण आयोजन कोविड संक्रमण के कारण गाइडलाइन की मर्यादा में सीमित संख्या में होंगे. सन 2000 से स्थापित बलिदान मेले की परंपरा का पावन दीप बुझने न पाये इसलिए इसे सांकेतिक रूप में ही आयोजित किया गया है.

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पहली बार कांग्रेस पार्टी में धूमधाम से मना रही है बलिदान दिवस
ऐसा पहली बार हो रहा है जब वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस तो कांग्रेस धूमधाम से मना रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए कांग्रेस पार्टी ने बलिदान दिवस मनाने से परहेज किया, लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस बलिदान दिवस मना रही है. कांग्रेसियों ने समाधि स्थल पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की.

ग्वालियर। ग्वालियर में हर साल लगने वाला वीरांगना लक्ष्मीबाई की याद में बलिदान मेला शुरू हो गया है. इस बार यह सांकेतिक रूप से ही लगाया गया है. 22वें "वीरांगना मेले" की शुरुआत शहीद ज्योति के आगमन से हुई. यह मशाल झांसी के किले से चलकर आती है जो महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाकर स्थापित हो जाती है. मेले के संस्थापक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया ने कहा की वीरांगना हमारे देश में वीरता की प्रतीक हैं. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत का झंडा बुलंद करने वाली रानी लक्ष्मीबाई देश के इतिहास में सम्मान की प्रतिमूर्ति हैं. स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत की 163 वी वर्षगांठ पर 22वां वीरांगना बलिदान मेले का आयोजन 17 - 18 जून को ग्वालियर में उनकी समाधि पर आयोजित किया गया.

क़ोरोना वारियर्स का किया सम्मान
मेले में श्रद्धांजलि और "क़ोरोना वारियर्स नारी" सम्मान का कार्यक्रम रखा गया. शाम को वर्चुअल काव्य-पाठ के आयोजन की भी योजना है. मेले के संस्थापक और बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भान सिंह पवैया ने कहा कि संपूर्ण आयोजन कोविड संक्रमण के कारण गाइडलाइन की मर्यादा में सीमित संख्या में होंगे. सन 2000 से स्थापित बलिदान मेले की परंपरा का पावन दीप बुझने न पाये इसलिए इसे सांकेतिक रूप में ही आयोजित किया गया है.

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पहली बार कांग्रेस पार्टी में धूमधाम से मना रही है बलिदान दिवस
ऐसा पहली बार हो रहा है जब वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस तो कांग्रेस धूमधाम से मना रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए कांग्रेस पार्टी ने बलिदान दिवस मनाने से परहेज किया, लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस बलिदान दिवस मना रही है. कांग्रेसियों ने समाधि स्थल पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की.

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