ग्वालियर। अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी' वीरांगना के बलिदान मेले में इन पंक्तियों की गूंज सिंधिया महल के सामने पिछले 20 सालों से गूंज रही है, लेकिन इस बार यह गूंज वीरांगना की समाधि स्थल से शायद नहीं गूंजेगी. कारण साफ है ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के नेता हैं. सिंधिया के खिलाफ आग उगलने वाले वीरांगना मेले के संस्थापक कट्टर हिंदूवादी नेता जयभान सिंह पवैया ने अब इस मामले में चुप्पी साध ली है, लेकिन कांग्रेस पवैया से सवाल किया है यदि गद्दार हाथ मिला ले तो उसके माथे से गद्दारी का कलंक मिट जाएगा? गद्दार और शहादत पाने वाले शहीद एक हो जाएंगे?
इतिहास में गद्दारी का उद्घोष गायब: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से बीजेपी के कट्टर हिंदू नेता जयभान सिंह पवैया का 36 का आंकड़ा रहा है और 20 साल पहले महल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए वीरांगना लक्ष्मी बाई की शहादत के दिन यानी आज 18 जून ग्वालियर में बलिदान मेले की स्थापना की और “अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी!” के उद्घोषों की गूंज अब तक सुनाई देती आई है, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के बड़े नेता हैं इसलिए सिंधिया के खिलाफ आग उगलने वाले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने चुप्पी साध रखी है और याद चुप्पी अब वीरांगना के मेले में भी दिखाई दे रही है क्योंकि अब सिंधिया के इतिहास में गद्दारी का उद्घोष गायब है.
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जब गद्दार मिला ले हाथ: चुनावी मौसम में कांग्रेस ने मेले के संस्थापक पवैया पर तंज कसते हुए कहा है कि वीरांगना लक्ष्मी बाई की शहादत पर गद्दारों का जिक्र ना होना मतलब बीजेपी का सिर्फ एक इवेंट रहेगा मेला. वहीं कांग्रेस का सवाल है क्या गद्दार हाथ मिला ले तो वहा गद्दार नहीं रह जाता? जब मीडिया ने भी जयभान सिंह पवैया से यही सवाल किया तो उनका कहना था इस सवाल के लिए one to one करना पड़ेगा और सवाल को टालते नजर आए.
लिदान मेले का आयोजन: आपको बता दें कि ग्वालियर लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पर हर वर्ष पिछले 20 सालों से वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेले का आयोजन होता रहा है. इस बार भी दो दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है लेकिन इस बार सिंधिया के खिलाफ बोलने से मेला आयोजक बच रहे हैं क्योंकि चुनावी मौसम है. केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी पवैया से नजदीकियां बढ़ा चुके हैं. ऐसे में मशहूर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान लिखी हुई कविता का मंचन मेले में नहीं होगा?