ग्वालियर। उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवार को ग्वालियर में भी इसके खिलाफ प्रदर्शन किया गया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई. एसपी ऑफिस पहुंचे हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कथित लोगों द्वारा हिंदुओं के पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस को जलाने और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने का विरोध करते हुए पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ज्ञापन दिया है.
रामचरितमानस पर बवाल तेज: हिंदूवादी संगठन के लोगों का कहना है कि, इस तरह का कृत्य करने वाले लोग समाज में वैमनस्यता बढ़ाने का काम कर रहे हैं. पुलिस जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई कर आरोपियों को हिरासत में ले. वहीं ज्ञापन लेने पहुंचे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं के ज्ञापन को लेते हुए उचित फोरम पर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे जो आरोपी है उसपर कड़ी कार्रवाई की जा सके. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे अजय चौहान ने कहा, लखनऊ में हमारे सबसे पूज्य रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई. कुछ विधर्मी लाभ लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं. इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. सीएसपी विजय भदौरिया ने ज्ञापन लिया है.
Ramcharitmanas Controversy : रमाचरितमानस की प्रतियां जलाने से स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया इंकार
क्या है मामला: सपा के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर सवाल किए थे. उन्हीं के बयान के बाद लखनऊ में धार्मिक ग्रंथ की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया. मौर्य ने कहा था कि, "कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है". यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है, जिसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का प्रमाण पत्र दे रहे हैं." इस बयान के बाद से ही बवाल मचा हुआ है. हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. इस मामले पर विवाद बिहार से शुरू हुआ था. बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने इस पर विवादित बयान दिया था.
क्या है रामचरित मानस विवाद: बिहार के शिक्षा मंत्री ने नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में कहा था कि, रामचरित मानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. इन ग्रंथों से समाज में नफरत फैलती है. इसी बयान को लेकर देश भर में बवाल हो गया है. मंत्री जी की जीभ काटने पर तो 10 करोड़ का इनाम भी घोषित हो गया था. इसके बाद वहीं बिहार के गृहमंत्री ने शिक्षामंत्री के बयान की आलोचना करते हुए उसने माफी मांगने के लिए भी कहा था.