ग्वालियर। लॉकडाउन के दौरान जीवाजी विश्वविद्यालय के स्कॉलर शिक्षक ने एक महत्वपूर्ण खोज की है, उन्होंने एक ऐसी दवा बनाई है, जिससे मलेरिया होने पर दवा खाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, इस दवा का नाम हाइड्रोजल है. किसी भी व्यक्ति को मलेरिया होने पर इस दवा को त्वचा के जरिए रक्त तक पहुंचाया जा सकता है, जो बेहद ही कारगर है. अभी तक मलेरिया की बीमारी में दवा दी जाती थी, लेकिन अब हाइड्रोजेल को त्वचा पर लगाने से ही मलेरिया जैसी बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है.
मलेरिया की दवा खाने से होते हैं साइड इफेक्ट्स
मलेरिया की दवा खाने से साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, लेकिन हाइड्रोजेल को त्वचा पर लगाने से दवा रक्त में पहुंचते ही असर करेगी. ऐसे में पारंपरिक दवा के साइड इफेक्ट्स से बचा जा सकता है. हाइड्रोजेल को हाथ, कंधे और पेट में लगाकर मलेरिया से राहत मिल सकती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि, दवाई की तुलना में ये जल्दी कारगर साबित हुई है. ऐसे में मरीजों को दी जाने वाली हाइड्रोक्लोरोक्वीन को लेकर भी इसी माध्यम पर काम शुरू किया जा रहा है. जिससे और ज्यादा अच्छे प्रमाण परिणाम मिल सके.
मच्छर के काटे बिना ही हो सकता है दोबारा मलेरिया
ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय की फार्मेसी अध्ययन शाला में विभागाध्यक्ष मुकुल तैलंग के बताया कि, मलेरिया रोग का परजीवी रोगाणु मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से शरीर में पहुंचता है. जो लाल रक्त कणिकाओं पर आक्रमण करता है, जिसकी वजह से तेज बुखार, थकान, सिरदर्द, कपकपी के लक्षण होते हैं. उन्होंने कहा कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वीकृत दवा रोगियों को दी जाती है, ये दवा 15 मिलीग्राम हर दिन दी जाती है. जिसका 14 दिन तक का कोर्स होता है. कोर्स पूरा नहीं होने से रोगाणु लिवर में रहता है और मच्छर के काटे बिना ही दोबारा मलेरिया हो जाता है.
हाइड्रोजेल के फायदे
प्रोफेसर मुकुल तैलंग ने कहा कि, मलेरिया की दवा कड़वी होने के साथ इसको खाने से उल्टी आती है, पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है, लेकिन हाइड्रोजेल लगाने से कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है.
- ये कृत्रिम रक्त द्रव और प्रथम त्वचा का आवरण तैयार करता है.
- इस जेल को मानव शरीर जैसा वातावरण दिया गया है.
- ये दवा अच्छी मात्रा में कृत्रिम रक्त द्रव में पहुंचती है और 12 घंटे तक शरीर में रहकर अपने काम को अंजाम देती है.
- हाइड्रोजेल बेहद सस्ता है.
- इस जेल को लगाने का कोई साइड इफेक्ट नहीं है.
हाइड्रोजेल का उपयोग
हाइड्रोजेल को हाथ, पेट, कंधे और जहां पर त्वचा की मोटाई कम होती है, वहां लगाया जाएगा.
जानवरों पर सफल परीक्षण
सीनियर प्रोफेसर मुकुल तैलंग ने बताया कि, इस दवाई का परीक्षण जानवरों पर किया गया है जिसके अच्छे प्रमाण परिणाम मिले है. वहीं खास बात ये है कि, मलेरिया की दवाई के निर्माण में नैनो पार्टिकल्स के जरिए हाइड्रोजेल को तैयार किया गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में इसकी पेटेंट कराने से लेकर इसकी रिपोर्ट को इंटरनेशनल लेवल के आयोजनों में दर्शाया जाएगा.
हाइड्रोजेल से कोरोना के इलाज में संभावनाएं
वर्तमान समय में मलेरिया के लिए बनाई गई दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए किया जा रहा है. ऐसे में मलेरिया के इलाज के लिए तैयार हाइड्रोजेल के जरिए कोरोना के इलाज की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. बता दें कि, मलेरिया के इलाज के लिए अभी टेबलेट का उपयोग होता है. जिसके साइड इफेक्ट का डर सबसे अधिक रहता है और बच्चे भी गोली खाने से कतराते हैं. ऐसे में इस वैज्ञानिक ने लोगों के लिए कारगर उपाय निकाला है. हाइड्रोजेल को दिन में एक बार लगाना है, जिससे बार-बार गोली खाने से बचा जा सकता है.