ग्वालियर। ग्वालियर में एक ऐसी लैब बनने जा रही है, जिसमें हवा में ही आलू उगाया जाएगा. इस आलू की खास बात ये है कि इसमें किसी प्रकार का कोई रोग नहीं लगेगा और इससे उत्पादित बीजों के जरिए कोई भी किसान इसी तकनीक से आलू की फसल कर सकता है. उद्यानिकी फसल करने वाले किसान अब चैन फेंसिंग भी लगवा सकते हैं, जिस पर सरकार 50% सब्सिडी देगी. उद्यानिकी कृषि मेला में 55 करोड़ 75 लाख रुपए लागत के विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया गया. Gwalior Aeroponic Lab
पौधों की नर्सरी के लिये विशेष बजट : इस मौके पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में पौधों की कमी दूर करने के लिये भारत सरकार ने कारगर कदम उठाए हैं. पहले भारत को अन्य देशों से पौधे आयात करने पड़ते थे, पर अब ऐसी स्थिति नहीं रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार के बजट में पौधों की नर्सरी के लिये 2200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. सरकार की सोच है कि साधारण व पारंपरिक खेती करने वाले किसान अपने खेतों में सेब की खेती करें. वहीं प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि ग्वालियर प्रदेश का ऐसा पहला जिला है, जहाँ 90 बीघा में लगभग 13 करोड़ रुपए की लागत से हाईटेक नर्सरी (फ्लोरी कल्चर गार्डन) का निर्माण होने जा रहा है. Gwalior Aeroponic Lab
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किसानों की आमदानी दोगुनी करना मकसद : मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि इसी तरह लगभग 18 करोड़ की लागत से ग्वालियर में पोटैटो टिश्यू कल्चर एरोपोनिक लैब की स्थापना होने जा रही है. इस लैब में बगैर मिट्टी, पानी व हवा से आलू के हाईब्रीड का उत्पादन होगा. इन दोनों इकाइयों से ग्वालियर की पहचान देश भर में कायम होगी. उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये केवल पारंपरिक खेती पर्याप्त नहीं है. इसके लिये किसानों को उद्यानिकी फसलों व फूड प्रोसेसिंग को अपनाना होगा. राज्य सरकार फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिये 25 प्रतिशत तक अनुदान देती है. साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा अनाज भण्डारगृह बनाने के लिये 35 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है. Gwalior Aeroponic Lab